Kidney Disorder: पैरों में सूजन की वजह कहीं किडनी की कोई परेशानी तो नहीं? जानिए इसके बारे में
Kidney Disorder: पैरों की सूजन कई दिनों तक बने रहना किडनी की समस्या की ओर इशारा कर सकती है आइये जानते हैं इसका पता आप कैसे लगा सकते हैं।
Kidney Disorder: अगर आपके भी पैरों और टाँगों में सूजन (Swelling in Legs) लगातार बनी रहती है तो सावधान हो जाइये क्योंकि ये किडनी से सम्बंधित भी हो सकता है। इसके अलावा ये हृदय संबंधी समस्याएं, लीवर की विफलता और आंत से गंभीर प्रोटीन हानि जैसी कई समस्या जिसे एडिमा कहते हैं की ओर इशारा कर सकता है, जो गुर्दे की शिथिलता शरीर के भीतर द्रव असंतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
ये हो सकता है किडनी की समस्या का संकेत
गुर्दे नमक, प्रोटीन और पानी के संतुलन को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है तो शरीर में अधिक पानी और नमक जमा हो जाता है, जिससे हाथ-पैर में सूजन हो जाती है। इस प्रक्रिया में शामिल कुछ हार्मोन्स एंजियोटेंसिन, एल्डोस्टेरोन और एडीएच (वैसोप्रेसिन) शामिल होते हैं, जो अक्सर जल संतुलन को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में अगर गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होंगे तो वो इस संतुलन को बाधित करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप सूजन होती है, खासकर पैरों में।
गुर्दे की बीमारी का एक और प्रारंभिक संकेत प्रोटीनुरिया है, जो गुर्दे के माध्यम से महत्वपूर्ण एल्ब्यूमिन हानि से चिह्नित होता है। ये नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के रूप में प्रकट हो सकता है, जो एल्ब्यूमिन के निम्न स्तर और बड़े पैमाने पर द्रव प्रतिधारण की विशेषता है।
अपर्याप्त एल्ब्यूमिन नसों में आसमाटिक दबाव को कम कर देता है, जिससे तरल पदार्थ चमड़े के नीचे के ऊतकों में रिसने लगता है, जिससे पैरों में एडिमा हो जाती है। किडनी से संबंधित एडिमा (Edema) को अन्य संभावित कारणों से अलग करना आवश्यक है, जैसे हृदय या यकृत संबंधी समस्याएं।
इन लक्षणों के साथ अगर आंखों के आसपास सूजन और चेहरे पर सूजन जैसे अतिरिक्त लक्षण भी हैं, विशेष रूप से सुबह के समय, तो ये गुर्दे की समस्या की ओर संदेह को और मजबूत कर सकती है। इन स्थितियों से निपटने और द्रव असंतुलन और एडिमा से जुड़ी आगे की जटिलताओं को रोकने के लिए किडनी विकारों (Kidney Issues) का शीघ्र पता लगाना काफी महत्वपूर्ण है। जिससे इन्हे समय रहते कण्ट्रोल किया जा सके।
किडनी की बीमारी (Kidney Disorder) के जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए, विशेष रूप से जिन्हे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, यकृत रोग, कैंसर, गुर्दे की समस्याएं, गुर्दे की पथरी और बार-बार होने वाले मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) जैसी समस्याएं भी हैं उन्हें सरल परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुजरने की सलाह विशेषज्ञ देते हैं।
40 वर्ष की आयु के बाद इन उच्च जोखिम वाले समूहों और सामान्य आबादी के लिए नियमित जांच आवश्यक हो जाती है। ऐसे में अगर आपको भी ऐसी कोई समस्या लगती है तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लें और जाँच करवाएं।