बिल्कुल न करें इसे नजरअंदाज, जानें क्या है कोरोना वायरस की नई किस्म

जानकारों का कहना है कि वायरसों में म्युटेशन होना बहुत सामान्य है और हमेशा ऐसा नहीं होता कि बदला हुआ वायरस पहले वायरस से ज्यादा खतरनाक ही हो।

Update:2020-12-21 14:16 IST
बिल्कुल न करें इसे नजरअंदाज, जानें क्या है कोरोना वायरस की नई किस्म (PC: Social media) (PC: Social media)

नई दिल्ली: ब्रिटेन में कोरोना वायरस की एक किस्म में म्युटेशन हो गई है और ये मूल किस्म से ज्यादा तेजी से संक्रमण फैला रहा है। ब्रिटेन की सरकार ने इस वायरस को बेकाबू घोषित कर दिया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस की नई किस्म में कम से कम 17 महत्वपूर्ण बदलाव हैं। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव ‘स्पाइक प्रोटीन’ में आया है। ये वो प्रोटीन होता है जिसका इस्तेमाल वायरस हमारे शरीर की कोशिकाओं में घुसने के लिए करता है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि वायरस की ये नई किस्म पहले वाली किस्म के मुकाबले 70 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है। कोरोना का पहले वाला स्ट्रेन 50 फीसदी संक्रामक है।

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सामान्य प्रक्रिया है म्यूटेशन

जानकारों का कहना है कि वायरसों में म्युटेशन होना बहुत सामान्य है और हमेशा ऐसा नहीं होता कि बदला हुआ वायरस पहले वायरस से ज्यादा खतरनाक ही हो। लेकिन चूंकि यह नई किस्म ज्यादा तेजी से संक्रमण को फैला रही है, इसलिए इस पर नजर रखना जरूरी है। नए स्ट्रेन को ले कर सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जिन वैक्सीनों को लगाना शुरू किया जा चुका है क्या वो इस नए स्ट्रेन के खिलाफ भी असरदार होंगी या बेअसर हो जाएंगी?

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फिलहाल इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि वैक्सीन तो अभी लगना ही शुरू हुई है। अमूमन वैक्सीनें शरीर के इम्यून सिस्टम को वायरस के कई पहलुओं से लड़ने के लिए तैयार करती हैं। ऐसे में अगर वायरस के कुछ हिस्सों में म्युटेशन भी हो जाती है तो भी संभव है कि वैक्सीन उसका मुकाबला कर लेगी।लेकिन अगर वायरस पूरी तरह से म्यूटेट हो गया तो संभव है कि वैक्सीन उसके आगे बेअसर हो जाए।

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17 तरह के बदलाव

एक्सपर्ट्स का कहना है कि वायरस का नया स्ट्रेन अपने जीनोम में 17 तरह के बदलाव दिखा रहा है और ये एक व्यापक बदलाव है। अभी नया स्ट्रेन ब्रिटेन से बाहर नहीं पाया गया है लेकिन इसका फैलाव होगा ही। भारत में भी ये स्ट्रेन जरूर आयेगा है। बहुत मुमकिन है कि नया स्ट्रेन भारत में आ भी चुका हो। कोरोना वायरस में इससे पहले भी बदलाव हो चुके हैं। अप्रैल में स्वीडन के शोधकर्ताओं ने म्युटेशन का पता चलाया था। उस स्ट्रेन के करीब 6 हजार केस आये थे और वो भी डेनमार्क और इंग्लैंड में देखे गए थे। इसके अलावा भी कई स्ट्रेन सामने आ चुके हैं।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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