Oral Cancer Patients: कम सर्कुलेटिंग ट्यूमर सेल्स वाले मरीज ज्यादा समय तक रहते हैं जीवित

Oral Cancer: कईं बार लंबे समय तक मुंह की ठीक से सफाई ना करना भी इसके होने का कारण बन जाता है।

Written By :  Preeti Mishra
Published By :  Monika
Update:2022-03-28 11:58 IST

मुंह का कैंसर (photo : social media ) 

 Oral Cancer Patient: Oral cancer यानि मुंह का कैंसर (Mouth Cancer ) जो आमतौर पर कमजोर इम्यूनिटी के कारण होता है। जो लोग तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, शराब, या उससे जुड़ी चीज़ों का सेवन अत्यधिक मात्रा में करते हैं, उनलोगों को ओरल कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है। कईं बार लंबे समय तक मुंह की ठीक से सफाई ना करना भी इसके होने का कारण बन जाता है। बता दें कि मुंह के अंदर इस कैंसर की शुरुआत सफेद छाले या छोटे से घाव से होती है। अगर लम्बे समय तक मुंह के भीतर सफेद धब्बा, घाव या छाला बना रहता है, जो आगे चलकर यह मुंह का कैंसर बन जाता है।

Oral cancer के कुछ प्रमुख लक्षण (Mouth Cancer Symptoms ) हैं जिनको नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। जिनमें होंठ या मुंह पर न ठीक होने वाला छाला होना , मुंह के किसी हिस्से का बढ़ना, मुंह से खून आना, दांत ढीले हो जाना, मुंह में दर्द या खाना निगलने में कठिनाई, गर्दन में अचानक गांठ हो जाना, कान में दर्द होना, मुंह से दुर्गंध आना, आवाज बदलना, आवाज बैठ जाना, कुछ निगलने में तकलीफ, लार का अधिक या ब्लड के साथ आना और अचानक से वजन घटना इत्यादि शामिल हैं।

गौतलब है कि धूम्रपान को मुंह के कैंसर (Mouth Cancer ) के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है। इसलिए सिगरेट(cigratte), सिगार, या पाइप धूम्रपान करने वाले लोगों में मुंह के कैंसर का खतरा (Oral cancer ) औरों के मुकाबले सबसे अधिक होता है।

शोधकर्ताओं की एक टीम का शोध 

बता दें कि भारतीय शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि मुंह के कैंसर के मरीज़ जिनके रक्त में सर्कुलेटिंग ट्यूमर कोशिकाओं (circulating tumour cells) (CTCs)(सीटीसी) की संख्या कम होती है, ऐसी कोशिकाओं की अधिक संख्या वाले रोगियों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहते हैं।

चार साल के लंबे अध्ययन, सिर और गर्दन के कैंसर में सबसे बड़े नैदानिक परीक्षणों में से, 500 रोगियों का विश्लेषण किया गया था, जिसका नेतृत्व टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई के डॉ पंकज चतुर्वेदी, डॉ जयंत खंडारे और पुणे स्थित एक्टोरियस ओन्कोडिस्कवर की एक टीम ने किया था।

शोधकर्ताओं ने बताया कि कुल मिलाकर मुंह के कैंसर के 152 रोगियों का विश्लेषण किया गया और सीटीसी की उपस्थिति के लिए प्रति मरीज 1.5 मिली रक्त की निगरानी की गई। जिसके अध्ययन से पता चला है कि प्रति 1.5 मिलीलीटर रक्त में 20 से अधिक सीटीसी वाले रोगियों में एक उन्नत चरण की बीमारी और नोडल मेटास्टेसिस (कैंसर कोशिकाएं जहां से उन्होंने पहली बार बनाई थी) को तोड़ने की अधिक संभावना है, जबकि प्रति 1.5 मिलीलीटर रक्त में 12 सीटीसी से कम वाले रोगी लंबे समय तक जीवित रहें हैं।

राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार

बता दें कि अध्धयन में यह बात भी सामने आयी कि राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार, भारत में लगभग 14 लाख कैंसर के रोगी हैं और जिनमें से लगभग नौ प्रतिशत (1.2 लाख)अकेले महाराष्ट्र से ही हैं। गौतलब है कि पिछले तीन वर्षों में महाराष्ट्र में कैंसर के मामलों और मौतों में क्रमशः 11,306 और 5,727 की वृद्धि हुई है, जो लगभग आठ प्रतिशत की सामूहिक वृद्धि है।

उन्होंने कहा कि बायोटेक्नोलॉजी विभाग (Department of Biotechnology) के बायोटेक इग्निशन ग्रांट और लघु व्यवसाय उद्योग अनुसंधान पहल के माध्यम से सरकार द्वारा वित्त पोषित ऑनकोडिस्कवर परीक्षण, चिकित्सा उपकरण नियम 2017 (Drugs Controller General of India as per the Medical Device Rules 2017)

के अनुसार भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा अनुमोदित एकमात्र सीटीसी परीक्षण (CTC test) है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि परीक्षण का उपयोग सिर और गर्दन, स्तन, फेफड़े, कोलन और रेक्टल जैसे कैंसर के निदान के लिए सीटीसी (CTC) का पता लगाने के लिए किया जाता है।

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