हीमोफीलियाः बच्चों के दांत निकलते समय दिखते हैं लक्षण, जानें कैसे

हीमोफिलिया एक अनुवांशिक बीमारी है जिसमें शरीर से लगातार रक्तश्राव होता है।

Report by :  Ravindra Singh
published by :  Shweta
Update:2021-04-16 17:56 IST

हीमोफिलिया ( सोशल मीडिया)

हमीरपुरः यदि आपके बच्चे के दांत निकल रहे हैं और उसके मसूड़ों से लगातार खून बह रहा है तो सावधान हो जाइए क्योंकि यह हीमोफिलिया के लक्षणों में से एक है। जी हां, हीमोफिलिया एक अनुवांशिक बीमारी है, इसमें शरीर से लगातार रक्तश्राव होता है। हालांकि यह समस्या लगभग दस हजार में से कहीं एक को होती है। आमतौर पर देखा गया है चोट लगने या घाव होने के बाद खून निकलता है और कुछ देर बाद अपने आप या फर्स्ट एड करने पर खून का बहाव बंद हो जाता है। लेकिन अगर कोई हीमोफिलिया से पीड़ित है तो ऐसा नहीं होता। खून अपने आप बहना बंद नहीं होगा। न ही शरीर में ऐसे तंत्र काम करेंगे जो खून को बहने से रोकने में सक्षम हों।

बता दें कि जिला महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.आशुतोष निरंजन बताते हैं कि यह रोग अनुवांशिक होता है। इस रोग से पीड़ित में क्लोटिंग फैक्टर अर्थात खून के थक्के बनना बंद हो जाते हैं। सामान्य लोगों में जब चोट लगती है तो खून में थक्के बनाने के लिए जरूरी घटक खून में मौजूद प्लेटलेट्स से मिलकर उसे गाढ़ा कर देते हैं। इस तरह खून अपने आप बहना बंद हो जाता है, लेकिन जो लोग हीमोफिलिया से पीड़ित होते हैं। उनमें थक्के बनाने वाला घटक बहुत कम होता या होता ही नहीं है। इसलिए उनका खून ज्यादा समय तक बहता रहता है। अक्सर इस रोग का पता आसानी से नहीं चलता है, जब बच्चे के दांत निकलते हैं और खून बहना बंद नहीं होता तब इस बीमारी के बारे में पता चल सकता है।

आगे डॉ.निरंजन बताते हैं जिस तरह शादी से पहले कुंडली मिलाई जाती है। उसी प्रकार आने वाले गंभीर बीमारियों जैसे डायबिटीज, हीमोफिलिया, कैंसर, रोगों से बचने के लिए मेडिकल हिस्ट्री जानना बहुत जरूरी है। साथ ही गर्भधारण से पूर्व माता और पिता का मेडिकल चेकअप होना बहुत आवश्यक है। इस तरह से समय रहते इलाज होना संभव होता है। पूरे बुंदेलखंड में मेडिकल कॉलेज झांसी में ही इस बीमारी का नि:शुल्क उपचार है। क्लोटिंग फैक्टर/ प्रोटीन को इंजेक्शन के जरिए दिए जाता है।

हीमोफिलिया के प्रकार

1. हीमोफिलिया ए- यह बेहद सामान्य प्रकार का हीमोफिलिया होता है, इसमें रक्त के थक्के बनने के लिए आवश्यक "फैक्टर 8" की कमी हो जाती है। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज झांसी में 'फैक्टर 8' के 101 मरीज इलाज ले रहे हैं।

2. हीमोफिलिया बी - यह दुर्लभ प्रकार का हीमोफिलिया होता है, इसमें क्लोटिंग "फैक्टर 9" की कमी हो जाती है। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज झांसी में 'फैक्टर 9' के 9 मरीज इलाज ले रहे हैं।

हीमोफिलिया के लक्षण

1 मांसपेशियों एवं जोड़ों में रक्तस्त्राव या दर्द होना।

2. नाक से लगातार खून निकलना।

3. त्वचा का आसानी से छिल जाना।

4. शरीर पर लाल, नीले व काले रंग के गांठदार चकत्ते।

5. सूजन, दर्द या त्वचा गरम हो जाना।

6.चिड़चिड़ापन, उल्टी, दस्त, ऐठन, चक्कर, घबराहट आदि।

7. मूत्र या शौच करते समय तकलीफ होना।

8. सांस लेने में समस्या।

9. खून या काला गाढ़े घोल जैसे पदार्थ की उल्टी करना।

आपको बता दें कि  नेशनल हेल्थ पोर्टल के अनुसार लगभग दस हजार पुरुषों में से एक पुरुष को हीमोफिलिया होने का खतरा रहता। महिलाएं इस रोग के वाहक के रूप में जिम्मेदार होतीं हैं।

हर साल 17 अप्रैल को मनाया जाता है ये दिवस

हीमोफिलिया बीमारी को लेकर जागरूकता के लिए हर वर्ष 17 अप्रैल को विश्व हीमोफिलिया दिवस मनाया जाता है। यह विश्व फेडरेशन ऑफ हीमोफिलिया की एक पहल है। इस वर्ष की थीम- एडॉप्टिंग द चेंज सस्टेनिंग केयर इन अ वर्ल्ड यानी 'एक नई दुनिया, जिसमें निरंतर देखभाल की आदत डालना' है।

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