Smoking Harmful Effects On Body: सावधान! जहरीला धुआं फेफड़े ही नहीं दिल को भी कर रहा बीमार

Smoking Harmful Effects On Body: क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के मरीजों पर शोध में खुलासा हुआ धूम्रपान, चूल्हा, ट्रैफिक में ज्यादा देर रहने से खराब फेफड़े वालों पर अध्ययन किया

Report :  Snigdha Singh
Update:2024-07-17 23:46 IST

Smoking Harmful Effects On Body

Smoking Harmful Effects On Body: धूम्रपान, चूल्हा और ट्रैफिक का जहरीला धुआं सिर्फ फेफड़ों के लिए ही खतरनाक नहीं है, बल्कि यह आपके दिल को भी बीमार कर रहा है। लंबे समय तक बेखबर रहने पर स्थिति हार्ट फेल तक पहुंच रही है। यह तथ्य जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एक शोध में प्रमाणित भी हुआ है। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के मरीजों के फेफड़े के साथ हृदय भी खराब हालत में मिला। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस में प्रकाशित इस शोध में सीओपीडी के 100 मरीजों को शामिल किया गया। सभी पांच-दस साल से फेफड़े की तकलीफ झेल रहे थे।

सीडीपीओ के 70 गंभीर और 30 कम गंभीर मरीजों पर स्टडी

मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ एसके गौतम की देखरेख में सीडीपीओ के 70 गंभीर और 30 कम गंभीर मरीजों पर स्टडी की गई। डेढ़ साल तक उनके फेफड़े से लेकर हृदय की गहनता से जांच बारी-बारी से की गई। सबसे पहले सभी मरीजों का पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) कराया गया। इस टेस्ट के जरिए देखा गया कि फेफड़े कितनी अच्छी तरह काम कर रहे हैं। उनकी क्षमता, प्रवाह की दर को जांचा गया।

गंभीर स्थिति वालों का दिल 76 फीसदी तक कम कर रहा काम

40 से 60 साल की आयु वाले सीडीपीओ मरीजों में से किसी ने भी कभी भी इको कार्डियोग्राफी यानी हृदय का अल्ट्रासाउंड नहीं कराया था। यही लापरवाही इनके लिए महंगी साबित हुई। धुएं का असर फेफड़ों के साथ हृदय पर भी साफ दिखने लगा। गंभीर रूप से बीमार 70 मरीजों का हृदय 76 फीसदी तक कम काम कर रहा था। कम गंभीर 30 मरीज का दिल 40 से 50 फीसदी तक कम काम करता मिला।

शोध के प्रमुख तथ्य

- जांच नहीं कराने से हृदय तक पहुंच गया धुएं का असर

- आठ से दस साल का समय लगता है दिल बीमार होने में

- सीडीपीओ मरीजों को इको कार्डियोग्राफी कराना जरूरी

- फेफड़ों में खराबी के साथ हार्ट संबंधी रोग पर सचेत हों

- बिना किसी डॉक्टर की सलाह के कोई भी इलाज ना करें।

डॉ एसके गौतम, प्रमुख शोधकर्ता, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अनुसार सीडीपीओ के 100 मरीजों पर डेढ़ साल तक शोध किया गया। जहरीले धुएं से फेफड़ों के साथ मरीजों के हृदय पर पड़ने वाले असर का पता लगाना शोध का मकसद रहा। नतीजे चौंकाने वाले रहे। सीडीपीओ के गंभीर मरीजों का हृदय 76 फीसदी तक कम काम कर रहा था, जबकि कम गंभीर वाले मरीजों में यह स्थिति 50 फीसदी तक मिली। निष्कर्ष यह है कि सीडीपीओ मरीजों को समय-समय पर दिल का अल्ट्रासाउंड कराना बेहद जरूरी है।

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