17वीं लोकसभा: कौन MP कहां बैठेगा, कैसे होता है सीटों का निर्धारण?
सोमवार को सत्रहवीं लोकसभा के पहले सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित नवनिर्वाचित सदस्यों ने सदस्यता की शपथ ली। शपथ लेने के लिए जैसे ही प्रधानमंत्री का नाम पुकारा गया सदस्यों ने मेजें थपथपाकर उनका स्वागत किया।
नई दिल्ली: सोमवार को सत्रहवीं लोकसभा के पहले सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित नवनिर्वाचित सदस्यों ने सदस्यता की शपथ ली। शपथ लेने के लिए जैसे ही प्रधानमंत्री का नाम पुकारा गया सदस्यों ने मेजें थपथपाकर उनका स्वागत किया। जबकि भाजपा के कई सदस्यों ने 'मोदी। मोदी' और 'भारत माता की जय" के नारे लगाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने सदन के नेता होने के कारण सबसे पहले शपथ ली। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी शपथ ली। इससे पहले कार्यवाहक अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार ने पीठासीन अध्यक्षों के पैनल की घोषणा की जिनमें के सुरेश, ब्रजभूषण शरण सिंह एवं बी महताब शामिल हैं।
इस दौरान हर किसी की नजर इस बात पर थी कि कौन किस सीट पर बैठेगा। लोगों में इस बात को जानने को लेकर भी उत्सुकता थी कि 'सरकार में नंबर दो पर कौन होगा'। पहली सीट पर सदन के नेता के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी बैठे थे। उनके बाद राजनाथ सिंह और फिर अमित शाह का स्थान है।
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राजनाथ को मिली नंबर दो कुर्सी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा में भाजपा के उपनेता हैं। प्रधानमंत्री मोदी सदन के नेता हैं। इसी से पता चलता है कि राजनाथ सिंह सदन में नंबर दो पर हैं। जिस वजह से वह प्रधानमंत्री मोदी के बगल में बैठेंगे। इससे पिछले सदन में भी वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ ही बैठे थे। बता दें जब राजनाथ सिंह को गृह मंत्री की बजाय रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, तो इस बात की राजनीतिक चर्चा हुई कि उनका कद नंबर दो से हटाकर तीन कर दिया गया है।
कौन कहां बैठेगा?
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सत्तापक्ष की पहली लाइन में राजनाथ सिंह के बगल में बैठे। पहले इस सीट पर तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज बैठती थीं। वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की सीट पर थावरचंद गहलोत बैठेंगे।
इनके अलावा पहली लाइन में नितिन गडकरी, सदानंद गौड़ा, रविशंकर प्रसाद, नरेंद्र सिंह तोमर और हरसिमरत कौर दिखीं। फिर रामविलास पासवान भी दिखे, हालांकि वह इस बार लोकसभा सांसद नहीं हैं। वह मंत्री होने के नाते सदन में बैठेंगे।
सदन में हुआ जयश्रीराम का उद्घोष
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का नाम शपथ के लिए पुकारे जाने के बाद भाजपा के कई सदस्यों ने जोरदार ढंग से मेजें थपथपाईं। दरअसल, ईरानी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी से हराकर लोकसभा पहुंची हैं।
पश्चिम बंगाल कोटे से मंत्रियों बाबुल सुप्रियो और देबश्री चौधरी के नाम शपथ के लिए पुकारे जाने के बाद भाजपा सदस्यों ने ‘जयश्री राम’ के नारे लगाए। गौरतलब है कि पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने ‘जयश्रीराम‘ के नारे लगाए थे जिस पर उन्होंने नाराजगी जताई थी।
मंत्रियों का नाम शपथ के लिए पुकारे जाने के दौरान लोकसभा महासचिव ने एक बार भूलवश केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम पुकारा, जबकि वह सदन के सदस्य निर्वाचित नहीं हुए हैं। बाद में उन्होंने भूल सुधारी और फिर प्रह्लाद जोशी का नाम पुकारा।
इस बार सदन में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, मल्लिकार्जुन खड़गे और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे बड़े नेता नहीं दिखेंगे।
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क्या होता हाउस ऑफ़ पीपुल ?
17वीं लोकसभा के पहले सत्र में सोमवार और मंगलवार को नवनिर्वाचित सांसद शपथ लेंगे। संसद के तीन अंगों राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा में लोकसभा को निचला सदन कहा जाता है। लोकसभा को 'House of the People' भी कहा जाता है।
कैसे होता है सीटों का निर्धारण
संसद की पूरी प्रणाली संसदीय नियम के मुताबिक चलती है। अक्सदर टीवी पर हम देखते हैं कि लोकसभा में बहस के दौरान विभिन्न दलों के सभी सांसद लाइन से बैठे रहते हैं। लोकसभा के इन सदस्यों के बैठने के भी नियम होते हैं कि कौन कहां बैठेगा। इसके लिए एक फार्मूला तय है। इस फार्मूले से पहले आइए जानें कुछ जरूरी तथ्यौ।
भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सांसदों की संख्या अधिकतम 552 तक हो सकती है जिनमें से 530 सदस्य अलग-अलग राज्यों से होते हैं।
20 सदस्य तक भारत के केंद्र शासित प्रदेशों से हो सकते हैं इसके अलावा 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित निर्धारित की गई है। वर्तमान में सदन की संख्या 545 है।
लोकसभा चैम्बर में सीटों की संख्या 550 है। सीटों को 6 ब्लॉक में बांटा गया है। प्रत्येक ब्लॉक में 11 पंक्तियां हैं।
स्पीकर के दायीं ओर (सीधी ओर) ब्लॉक नंबर 1 और बायीं ओर (उल्टे ओर) जो पंक्तियां हैं उनमें 97-97 सीटें हैं और बाकी के बचे 4 बलॉक्स में 89-89 सीटें हैं। 1 सीट लोकसभा के प्रत्येक सदस्य और मंत्री को दी जाती है।
यह है बैठने की व्यंवस्था
स्पीकर की दायीं ओर की कुर्सियों पर सत्तारूढ़ दल के सदस्य बैठते हैं। बायीं ओर विपक्ष के सदस्य बैठते हैं। लोकसभा का उप-सभापति बायीं ओर पहली पंक्ति वाली सीट पर बैठता है। सभापति के सबसे आगे एक टेबल पर लोकसभा सचिवालय के अधिकारी बैठते हैं जो दिन भर की कार्यवाही के दौरान सब कुछ रिकॉर्ड करते हैं।"Rules of Procedure and Conduct of Business" के नियम 4 के मुताबिक लोकसभा स्पीकर तय करता है कि कौन कहां बैठेगा। स्पीकर किसी भी पार्टी की लोकसभा में सीटों के आधार उनके बैठने की जगह तय कर सकते हैं।
ऐसे बांटी जाती हैं सीटें
जिस पार्टी के पास 5 या उससे ज्यादा सीटें हैं उनके लिए निम्न फ़ॉर्मूले के आधार पर सीटों का बांटा जाता है। पार्टी या गठबंधन के पास सीटों की संख्या को उस पंक्ति में कुल सीटों की संख्या से गुणा करेंगे। फिर जो भी संख्या आएगी उन्हें लोकसभा सीटों की कुल संख्या से भाग दे देंगे।
जिस पार्टी के पास 5 या उससे ज्यादा सीटें हैं उनके लिए निम्न फ़ॉर्मूले के आधार पर सीटों का बंटवारा किया जाता है
हर पंक्ति में पार्टी के लिए सीटों की संख्या= पार्टी या गठबंधन के पास सीटों की संख्या X उस पंक्ति में कुल सीटों की संख्या
यदि हम सबसे आगे की पंक्ति में बीजेपी के लिए आवंटित सीटों की संख्या निकालना चाहें तो। मान लीजिये कि लोक सभा में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास कुल 353 सदस्य हैं और सभी ब्लॉक्स में फ्रंट सीटों की संख्या 20 है तो NDA सदस्यों के लिए फ्रंट सीटों की संख्या होगी।
= 353 x 20/ 550 =12।83
अतः पहली पंक्ति में मौजूद 20 सीटों में से 13 सीटों पर NDA के सदस्य बैठेंगे।
इसी फ़ॉर्मूले के आधार पर कांग्रेस को उसके 52 सदस्यों में से कुछ को पहली पंक्ति में सीटें आवंटित की जायेगीं। अर्थात कांग्रेस को पहली पंक्ति में (52 x 20 /550 =1।89) दो सीटें आवंटित की जाएंगी।
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बची हुई सीटों के बंटवारा ऐसे होता है?
ऊपर दिया गया फार्मूला ही अन्य पंक्ति की सीटों के आवंटन के लिए अपनाया जाता है। इस प्रकार जब फ़ॉर्मूले के आधार पर सीटों का बंटवारा हो जाता है तो सम्बंधित राजनीतिक पार्टी या गठबंधन समूह को इस बारे में बताया जाता है। अब सम्बंधित पार्टी, स्पीकर को बताती है कि उसका कौन सा सदस्य किस जगह पर बैठेगा। इस प्रकार लोक सभा स्पीकर की अनुमति के बाद सदस्य को सीट मिल जाती है।
जिन पार्टियों के 5 से कम सदस्य होते हैं
जिन पार्टियों के पास 5 से कम सदस्य होते हैं या जो इंडिपेंडेंट होते हैं उनके लिए सीटों का आवंटन लोकसभा स्पीकर अपने विवेकाधिकार के आधार पर करता है। कभी-कभी लोक सभा स्पीकर इसका फैसला किसी सदस्य की वरिष्ठता और सामाजिक सम्मान के आधार पर भी करता है। जैसे आपने देखा होगा कि मायावती, मुलायम सिंह और देवेगौडा को फ्रंट सीट दी जाती है जबकि उनकी पार्टी के पास इतनी सदस्य संख्या नहीं होती है कि उन्हें फ्रंट सीट दी जा सके।
तो इस प्रकार अब आपको यह पता चल गया होगा कि लोक सभा में कौन सदस्य किस सीट पर बैठेगा। जो फॉर्मूला ऊपर दिया गया है उसी के आधार पर सीटों का बंटवारा किया जाता है। बता दें, लोकसभा स्पीकर की अनुमति के बाद ही सीटें दी जाती है।
वहीं आपको बता दें। जिन पार्टी के पास 5 से कम सदस्य होते हैं लोकसभा स्पीकर उनके लिए सीटों का बंटवारा अपनी इच्छा के अनुसार कर सकता है। स्पीकर किसी सदस्य की वरिष्ठता और सामाजिक सम्मान को देखते हुए संसद के किसी सदस्य को फ्रंट सीट उपलब्ध करवा सकता है।