1984 Anti Sikh Riot Case: सन 84 के एंटी सिख दंगे की गूंज कैलिफोर्निया असेम्बली में
1984 Anti Sikh Riot Case: असेम्बली में बाकायदा एक प्रस्ताव पारित किया गया है जिसमें यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस यानी संसद से आग्रह किया गया है कि वह भारत में 1984 की सिख विरोधी हिंसा को नरसंहार के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता दे और उसकी निंदा करे।
1984 Anti Sikh Riot Case:भारत में सन 84 में हुए सिख विरोधी दंगों का मसला अब अमेरिका में कैलिफोर्निया स्टेट असेम्बली में उठा है। असेम्बली में बाकायदा एक प्रस्ताव पारित किया गया है जिसमें यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस यानी संसद से आग्रह किया गया है कि वह भारत में 1984 की सिख विरोधी हिंसा को नरसंहार के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता दे और उसकी निंदा करे।
सिख सदस्य ने पेश किया प्रस्ताव
यह प्रस्ताव 22 मार्च को असेम्बली के सदस्य जसमीत कौर बैंस द्वारा पेश किया गया था। वह राज्य विधानसभा की पहली निर्वाचित सिख सदस्य हैं। उनके प्रस्ताव को राज्य विधानसभा द्वारा 10 अप्रैल को सर्वसम्मति से पारित किया गया था। यह प्रस्ताव विधानसभा सदस्य कार्लोस विलापुदुआ द्वारा सह-प्रायोजित था।सदन की एकमात्र हिंदू सदस्य ऐश कालरा ने भी प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया।
क्या है प्रस्ताव में
प्रस्ताव में कहा गया है कि - यह देखते हुए कि अमेरिका में सिख समुदाय दंगों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक आघात से उबर नहीं पाया है, यह प्रस्ताव अमेरिकी कांग्रेस से औपचारिक रूप से नवंबर 1984 की सिख विरोधी हिंसा को नरसंहार के रूप में पहचानने और निंदा करने का आग्रह करता है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि नई दिल्ली में 'विडो कॉलोनी' में अभी भी उन सिख महिलाओं का घर है, जिन पर हमला किया गया था, उनके साथ बलात्कार किया गया, उन्हें प्रताड़ित किया गया और उन्हें उनके परिवारों के अंग-भंग, जलाने और हत्या को देखने के लिए मजबूर किया गया, और जो अभी भी अपराधियों के खिलाफ न्याय की मांग कर रही हैं।
अमेरिकी सिख कॉकस
अमेरिकी सिख कॉकस कमेटी और अन्य अमेरिकी सिख निकायों के समन्वयक प्रितपाल सिंह ने एक बयान में प्रस्ताव पेश करने और पारित करने के लिए कैलिफोर्निया राज्य विधानसभा के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया।
2015 में पारित हुआ था प्रस्ताव
2015 में कैलिफोर्निया स्टेट असेम्बली ने भी सिख विरोधी हिंसा को नरसंहार करार देते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था।
31 अक्टूबर, 1984 को पूर्व भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा में 3,000 से अधिक सिख पूरे भारत में मारे गए, जिनमें से ज्यादातर राष्ट्रीय राजधानी में थे। 39 साल से दंगों की विभिन्न प्रकार की जांचें चली हैं लेकिन दोषियों को सज़ा तो दूर अभी तक बहुत से मामले ट्रायल तक नहीं पहुँचे हैं।