Ncert Syllabus: 1,2, 3... नहीं 250 इतिहासकारों ने एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के बदलाव पर साधा निशाना

Ncert Syllabus- एनसीआरटी पाठ्यक्रम के बदलाव के विषय में सरकार का एक मात्र उद्देश्य भारत देश को एक हिन्दू राष्ट्र के तौर पर विकसित करना है, यह कहना है इतिहासकारों का।

Update: 2023-04-11 13:19 GMT
एनसीआरटी पाठ्यक्रम में बदलाव, नहीं हुई मुख्य प्राध्यापकों से चर्चा

Ncert Syllabus- एनसीआरटी पाठ्यक्रम के बदलाव के मुद्दे पर शक्तिशाली प्रहार करते हुए इतिहासकार कहते हैं, “लॉकडाउन और करोना महामारी के समय को इतिहास का पाठ्यक्रम घटाने के आरम्भ की तरह इस्तेमाल किया गया है। इस दौरान इतिहास में मुग़ल बादशाह, वर्ष 2002 के गुजरात दंगे, दलित आंदोलन, एकता का संघर्ष जैसे महत्वपूर्ण विषयों को एनसीआरटी की इतिहास और राजनीति शास्त्री के कक्षा 6 से 12 के पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है।

एनसीआरटी पाठ्यक्रम में सम्मिलित मुख्य लेखक-दिल्ली यूनिवर्सिटी की पूर्व प्राध्यापक अनीता रामपाल, लेखक बदरी रैना, इतिहासकार इरफ़ान हबीब। सभी इतिहासकार कहते है “पाठ्यक्रम से मुख्य विषयो का हटाया जाना वर्तमान भारत सरकार की निकृष्ट पृष्ठभूमि का संकेत देता है। भारत देश को एक हिंदू देश मात्र बनाने के लिए मुग़ल राजाओं के विषयों को पाठ्यक्रम से हटाया गया है।

मुख्य साहित्यकारों से नहीं की गई चर्चा

बिना मुख्य साहित्यकारों से चर्चा करे साकार द्वारा एनसीआरटी पाठ्यक्रम में बदलाव कर दिया गया है। एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम देश के मुख्य एवं वरिष्ठ इतिहाकारों से लम्बे समय की चर्चा के बाद तय किया गया था। इन किताबों और विषयों से देश के इतिहास और संस्कृति को विश्व में प्रसिद्ध बनाने का उद्देश्य है। सभी इतिहासकार कहते है की हम सब एनसीआरटी के फ़ैसले से चकित है और माँग करते है कि इसे वापस लिया जाए। यह ऐसा निर्णय है जो भारतीय सविधान और संस्कृति के ख़िलाफ़ है।

क्या बोले डायरेक्टर?

एनसीआरटी पाठ्यक्रम के बदलाव में एनसीआरती डिरेक्टर डीएस सकलानी पाठ्यक्रम बदलाव में सरकार के फ़ैसले को ग़लत न ठहराते हुए कहते है “एनसीईआरटी के सदस्यों के अलावा, पाठ्यपुस्तकों को तैयार करने वाली टीमों के सदस्यों से परामर्श करने की कोई कोशिश नहीं की गई है। टीमों के सदस्यों में इतिहासकार और स्कूल शिक्षक शामिल हैं। इस पाठ्यक्रम के बदलाव में सरकार का एकमात्र उद्देश्य भारत को हिंदू राष्ट्र के तौर पर विकसित करना है। भविष्य में न रहेंगे मुसलमान न ही उनके विषय पर ज्ञान प्राप्त करेंगे छात्र। डीएस सकलानी से जब पूछा गया कि महात्मा गांधी की हत्या से संबंधित बदलाव जून 2022 में जारी एनसीईआरटी के ऑफिशियल डॉक्यूमेंट में क्यों नहीं आए? सकलानी ने कहा कि इस बार "कुछ भी नया नहीं है बदलाव पिछले साल हुए थे। इस बार कुछ नया नहीं किया है।"

सेंट्रल इन्स्टिटूट ओफ़ एजुकेशनल टेक्नॉलजी के प्रमुख बोले

उनके सहयोग़ी और एनसीआरटी के सेंट्रल इन्स्टिटूट ओफ़ एजुकेशनल टेक्नॉलजी के प्रमुख एपी बेहेरा ने कहा, ''हो सकता है कि निरीक्षण के कारण कुछ चीजें टेबल से छूट गई हों, लेकिन इस साल कोई नया बदलाव नहीं किया गया है यह सब पिछले साल हुआ था।

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