दलित समुदाय के 27 लोगों ने किया धर्म परिवर्तन, पूरी बात जानकर रह जाएंगे दंग

बाबा साहेब अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर आयोजित समारोह में लोगों को भगवान बुद्ध के बताए नियमों और बातों का अनुसरण करने की बात बताई गई।

Update: 2020-12-07 06:30 GMT
समता सैनिक दल के जिलाध्यक्ष अमित धनदे ने बताया कि हिन्दू धर्म से बौद्ध धर्म को अंगीकार करने वाले सभी लोग दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

बाड़मेर: राजस्थान के बाड़मेर जिले में एक बार फिर धर्म परिवर्तन का बड़ा मामला सामने आया है। यहां दलित समाज के दो दर्जन से अधिक लोगों ने हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया है।

पूरे विधि-विधान से दलित समाज के लोगों का धर्म परिवर्तन कराया गया। इसके लिए भव्य स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किये गये थे। बौद्ध भिक्षुओं के अलावा दूर-दराज के इलाकों से बड़ी तादाद में लोग इस कार्यक्रम में पहुंचे थे।

ये कार्यक्रम समता सैनिक दल और भारतीय बौद्ध महासभा की तरफ से आयोजित किया गया था। बाड़मेर के रामसर और पिलानी गांव के दो परिवारों ने तो अपने पूरे सदस्यों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया है। इनकी दीक्षा विधिवत सम्पन्न कराई गई।

बौध धर्म द्वारा आयोजित कार्यक्रम ( सांकेतिक फोटो: सोशल मीडिया)

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बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण दिवस पर आयोजित हुआ था कार्यक्रम

बौद्ध भिक्षुओं के गुरु ने उन्हें दीक्षा दिलाई। बाबा साहेब अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर आयोजित इस समारोह में उनको भगवान बुद्ध के बताए नियमों और बातों का अनुसरण करने की बात बताई गई।

वहीं इस कार्यक्रम का आयोजन करने समता सैनिक दल के जिलाध्यक्ष अमित धनदे ने बताया कि हिन्दू धर्म से बौद्ध धर्म को अंगीकार करने वाले सभी लोग दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

ये सभी लोग जिले के अलग अलग गांवों से हैं। इन लोगों का आरोप है कि वे हिन्दू धर्म की वर्ण व्यवस्था से दुखी हैं। जिसके चलते वे अपने मूल धर्म से बौद्ध धर्म में जा रहे हैं।वे भगवान बुद्ध के बताए नियमों को अंगीकार कर रहे हैं। उनके बताये गये नियमों पर चलेंगे।

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पुलिस की फोटो(सोशल मीडिया)

यूपी के गाजियाबाद में भी आया था ऐसा मामला

इससे पहले बीते दिनों यूपी के गाजियाबाद में वाल्मीकि समुदाय के करीब 236 लोगों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था। ये पूरा वाकया गाजियाबाद के करहैड़ा गांव में सामने आया था।

ऐसा बताया गया कि यहां वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने अपने साथ भेदभाव और जातीय उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था।

बौद्ध धर्म में शामिल होने के बाद मीडिया से बात करते हुए इन तमाम लोगों ने आरोप लगाया था कि उनके गांव में सवर्ण समाज के लोग बहुसंख्यक हैं, जिस वजह से उनके साथ बुरा बर्ताव किया जाता है। उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। पुलिस भी उनकी नहीं सुनती है। इस वजह से उन्होंने ये कदम उठाया है।

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