देश में जगह-जगह भूकंप: फिर थरथराई धरती, झटकों से हिल उठे लोग

Update: 2020-09-06 04:21 GMT
भारत में भूकंप के झटकों का सिलसिला जारी है। इन दिनों लगभग हर दिन देश के अलग अलग हिस्सों में भूकंप के झटकों को महसूस किया जा रहा है।

दिल्ली: भारत में भूकंप के झटकों का सिलसिला जारी है। इन दिनों लगभग हर दिन देश के अलग अलग हिस्सों में भूकंप के झटकों को महसूस किया जा रहा है। बीते दिन महाराष्ट्र के नासिक और मुंबई में 12 घंटों में तीन बार धरती की कम्पन को महसूस किया गया तो वहीं आज अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश में भी भूकंप आया।

निकोबार द्वीपसमूह में 4.3 तीव्रता का भूकंप

दरअसल रविवार की सुबह को निकोबार द्वीपसमूह में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.3 मांपी गयी। भूकंप की जानकारी नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने दी। वहीं नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) के मुताबिक इसकी गहराई 82 किलोमीटर थी। इन झटकों से लोग सहम गए।

अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 3.4 रिएक्टर स्केल की तीव्रता का भूकंप

इसके बाद आज ही अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, यहां भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.4 मापी गई। एक ही दिन में दो अलग अलग जगह पर भूकंप आया।

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नासिक और मुंबई में 12 घंटों में तीन बार आया भूकंप

बता दें कि बीते दिन भी नासिक और मुंबई में तीन बार भूकंप को दर्ज किया गया। 12 घंटों में आये तीन बार भूकंप से लोगों में खौफ का माहौल है। बता दें कि राज्य के नासिक में शुक्रवार की रात 12 बजे भूकंप आया। थोड़ी देर बाद फिर भूकंप के झटकों को लोगों ने महसूस किया।

इसके बाद शनिवार सुबह करीब 6.36 बजे मुंबई में भूकंप आया। इसका केंद्र मुंबई से 98 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में मिला। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.7 थी। हालाँकि इसकी तीव्रता रात में नासिक में आये भूकंप से कम रही।

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पालघर में आ चुका भूकंप

गौरतलब है कि पिछले महीने भी महाराष्ट्र के पालघर में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे, जिसकी तीव्रता 2.8 मापी गई थी। हालांकि, उस भूकंप में भी किसी के हताहत होने या कोई नुकसान की खबर नहीं थी।

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क्यों आता है भूकंप?

– पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूम रही हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है।

– बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं।

– नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

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