पेड़ की जीतः नितिन गडकरी को बदलना पड़ गया अपना प्लान, ये है मामला
शुक्रवार को महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे के कार्यालय तक सोशल मीडिया से शुरू हुई विरोध की आवाज पहुंच गई।इसके बाद आदित्य ठाकरे ने इस संबंध में तुरंत नितिन गडकरी से बात की और इस पेड़ को बचाने की मांग की
आपने कई बरगद के पेड़ो के बारे में सुना और पड़ा होगा। लेकिन महाराष्ट्र के सांगली जिले के भोसे गांव में 400 साल पुराना बरगद का पेड़ एक बार फिर सुर्खियों में है।
हुआ कुछ यूँ इस पेड़ को बचाने के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को निर्माणाधीन हाइवे का नक्शा तक बदलना पड़ गया। बताया जाता है कि निर्माणाधीन रत्नागिरी- नागपुर हाइवे नंबर 166 के बीच में बरगद का ये विशाल और पुराना पेड़ आ रहा था। ख़बरों की माने तो रोड बनाने के लिए इस पेड़ को काटने की तैयारी थी, जिसका पर्यावरणवादी कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं।
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सोशल मीडिया से शुरू हुआ विरोध
A 400 year old banyan tree in Sangli a District and a Tiger corridor saved yesterday. Feels good. 2 interventions where I had humbly requested 2 Union Ministers and received a positive response from both to assist saving the environment. (1/2) https://t.co/gs5BJrki99
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) July 24, 2020
शुक्रवार को महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे के कार्यालय तक सोशल मीडिया से शुरू हुई विरोध की आवाज पहुंच गई।इसके बाद आदित्य ठाकरे ने इस संबंध में तुरंत नितिन गडकरी से बात की और इस पेड़ को बचाने की मांग की।नितिन गडकरी ने बात करने के बाद इस पेड़ को बचाने के लिए नक्शे में ही बदलाव करके प्रोजेक्ट पूरा करने का आदेश दिया है।
नितिन गडकरी ने अपने विभाग के अधिकारियों से बात की
निर्माणाधीन रत्नागिरी- नागपुर हाइवे नंबर 166 सांगली जिले के भोसे गांव के रास्ते में 400 साल पुराना एक बरगद का पेड़ आ रहा था, जिसे हटाने की तैयारी चल रही थी। सांगली के पर्यावरणवादी कार्यकर्ता पेड़ काटने का विरोध कर रहे थे। जैसे ही यह जानकारी महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे तक पहुंची और उन्होंने इसमें दखल दिया।इस मामले में आदित्य ठाकरे ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से बात की और पेड़ बचाने की गुजारिश की।
नितिन गडकरी ने अपने विभाग के अधिकारियों से इस मसले पर बात की है और हाइवे के नक्शे में तब्दीली करने को कहा है, जिससे 400 साल पुराने पेड़ को बचाया जा सके।
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