OMG! 931 मिलियन टन भोजन की होती है बर्बादी, देखें UNEP का चौकाने वाला रिपोर्ट

UNEP की फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट (Food Waste Index Report) के अनुसार, "2019-20 में भारत का वेस्‍टेज फूड का कुल वजन तिलहन, गन्ना और बागवानी उत्पादों के कुल उत्पादन के बराबर होता है।"

Update: 2021-03-05 10:55 GMT

नई दिल्ली: क्या आपको बता है कि पूरी दुनिया में लगभग 931 मिलियन टन भोजन कचरे के डिब्बें में जाता है? जी हां, ये हम नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की रिपोर्ट बताती है। बता दें कि UNEP ने गुरूवार को फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट (Food Waste Index Report) जारी की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरे विश्व में करीब 931 मिलियन टन भोजन बर्बाद होता है। जानकारी के लिए बता दें कि यह एक अनुमानित संख्या है।

क्या कहती है रिपोर्ट

UNEP की फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट (Food Waste Index Report) के अनुसार, "2019-20 में भारत का वेस्‍टेज फूड का कुल वजन तिलहन, गन्ना और बागवानी उत्पादों के कुल उत्पादन के बराबर होता है। भारत में भी जहां लाखों लोग अपने निर्वाह के लिए झेलते हैं, यहां भी कई टन भोजन हर साल बर्बाद हो जाता है। विशेषज्ञों को इस गंभीर विरोधाभास से बाहर निकलने के उपाय सुझाने चाहिए. हमें सरकार और एनजीओ की मदद से इस विषय पर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।"

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इन देशों में होती है सबसे ज्यादा भोजन की बर्बादी

अफगानिस्तान - 82 किलोग्राम

नेपाल - 79 किलोग्राम

श्रीलंका - 76 किलोग्राम

पाकिस्तान - 74 किलोग्राम

बांग्लादेश - 65 किलोग्राम

क्या कहती हैअन्य रिपोर्टे

बता दें कि उप-सहारा अफ्रीकी देशों और पश्चिम एशियाई देशों में भी भोजन की बर्बादी सबसे ज्यादा होती है। वहीं खाद्य और कृषि संगठन यूएन (FAO) ने भी इस पर अपना बयान दिया है। FAO ने कहा है, "ऐसा अनुमान है कि 2019 में पूरी दुनिया में 690 मिलियन लोग भूख की कमी झेल रहे थे।" इसके अलावा खाद्य अपशिष्ट सूचकांक ने भी अपनी रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है, "कोविड -19 के दौरान और बाद में संख्या में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद थी।"

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WRAP के सीईओ की प्रतिक्रिया

बताते चलें कि भोजन की बर्बादी पर WRAP के सीईओ ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है, "अगर हम वैश्विक स्तर पर घर में फूड वेस्‍ट से निपटने का काम नहीं करते तो केवल नौ साल में हम SDG (लक्ष्य 12.3) को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। यह सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, व्यवसायों और सोशल एनजीओ के लिए एक प्राथमिकता होनी चाहिए।"

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