Aaj Ka Mantra: बहुत जरूरी है जिंदगी का ये तीसरा मंत्र, नहीं जाना तो बेकार हो रहा है आपका जीवन
Aaj Ka Mantra: ये कहानी आज का विचार भी है और जीवन के तीन गुप्त मंत्र भी हैं। आज हम शौर्य मिश्र की पोस्ट की गई श्रृंखला में आई राज की ये तीन बातें आपको बताते हैं।
Aaj Ka Mantra: बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेय। इस सूत्र वाक्य में जीवन का मूल मंत्र छिपा है। ये कोई नई बात नहीं है। सभी लोग हम इसे जानते हैं। ऐसा सोचते हैं लेकिन क्या इसका मर्म समझते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट की गई एक कहानी के जरिये कौशाम्बी के शौर्य मिश्र ने इसे खूबसूरती से समझाया है। शौर्य मिश्र राष्ट्रवादी विचारक और एक लेखक हैं। भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा से भी जुड़े हैं। ये कहानी आज का विचार भी है और जीवन के तीन गुप्त मंत्र भी हैं। आज हम शौर्य मिश्र की पोस्ट की गई श्रृंखला में आई राज की ये तीन बातें आपको बताते हैं।
एक आदमी ने एक बूढ़े पक्षी को एक जंगल में पकड़ लिया था। उस बूढ़े पक्षी ने कहा: मैं किसी के भी काम का नहीं हूं, देह मेरी जीर्ण-जर्जर हो गई, जीवन मेरा समाप्त होने के करीब है, न मैं गीत गा सकता हूं, न मेरी वाणी में मधुरता है, मुझे ले जा कर करोगे भी क्या? लेकिन यदि तुम मुझे छोड़ने को राजी हो जाओ, तो मैं जीवन के संबंध में तीन सूत्र तुम्हें बता सकता हूं। उस आदमी ने कहा: भरोसा क्या कि मैं तुम्हें छोड़ दूं और तुम सूत्र बताओ या न बताओ?
उस पक्षी ने कहा: पहला सूत्र मैं तुम्हारे हाथ में ही तुम्हें बता दूंगा। और अगर तुम्हें सौदा करने जैसा लगे, तो तुम मुझे छोड़ देना। दूसरा सूत्र मैं वृक्ष के ऊपर बैठ कर बता दूंगा। और तीसरा सूत्र जब मैं आकाश में ऊपर उड़ जाऊंगा तभी बता सकता हूं। बूढ़ा पक्षी था, सच ही उसकी आवाज में कोई मधुरता न थी, वह बाजार में बेचा भी नहीं जा सकता था। और उसके दिन भी समाप्त प्राय थे, वह ज्यादा दिन बचने को भी न था। उसे पकड़ रखने की कोई जरूरत भी न थी। उस शिकारी ने उस पक्षी को कहा: ठीक, शर्त स्वीकार है। तुम पहला सूत्र मुझे बता दो।
उस पक्षी ने कहा: मैंने जीवन में उन लोगों को दुखी होते देखा है जो बीते हुए को भूल नहीं जाते हैं। और उन लोगों को मैंने आनंद से भरा देखा है जो बीते को विस्मरण कर देते हैं और जो मौजूद है उसमें जीते हैं, यह पहला सूत्र है। बात काम की थी और मूल्य की थी। उस आदमी ने उस पक्षी को छोड़ दिया। वह पक्षी वृक्ष पर बैठा और उस आदमी ने पूछा कि दूसरा सूत्र? उस पक्षी ने कहा: दूसरा सूत्र यह है कि कभी ऐसी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए जो तर्क विरुद्ध हो, जो विचार के प्रतिकूल हो, जो सामान्य बुद्धि के नियमों के विपरीत पड़ती हो, उस पर कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए, विश्वास करने वाला व्यक्ति भटक जाता है।
पक्षी आकाश में उड़ गया। उड़ते-उड़ते उसने कहा: एक बात तुम्हें उड़ते-उड़ते बता दूं, यह तीसरा सूत्र नहीं है यह केवल एक खबर है जो तुम्हें दे दूं। तुम बड़ी भूल में पड़ गए हो मुझे छोड़ कर, मेरे शरीर में दो बहुमूल्य हीरे थे, काश, तुम मुझे मार डालते तो तुम आज अरबपति हो जाते। वह आदमी एकदम उदास हो गया। वह एकदम चिंतित हो गया। लेकिन पक्षी तो आकाश में उड़ गया था। उसने उदास और हारे हुए और घबड़ाए हुए मन से कहा: खैर कोई बात नहीं, लेकिन कम से कम तीसरी सलाह तो दे दो। उस पक्षी ने कहा: तीसरी सलाह देने की अब कोई जरूरत न रही; तुमने पहली दो सलाह पर काम ही नहीं किया। मैंने तुमसे कहा था कि जो बीत गया उसे भूल जाने वाला आनंदित होता है, तुम उस बात को याद रखे हो कि तुम मुझे पकड़े थे और तुमने मुझे छोड़ दिया। वह बात बीत गई, तुम उसके लिए दुखी हो रहे हो।
मैंने तुमसे दूसरा सूत्र कहा था: जो तर्क विरुद्ध हो, बुद्धि के अनुकूल न हो, उसे कभी मत मानना। तुमने यह बात मान ली कि पक्षी के शरीर में हीरे हो सकते हैं और तुम उसके लिए दुखी हो रहे हो। क्षमा करो, तीसरा सूत्र मैं तुम्हें बताने को अब राजी नहीं हूं। क्योंकि जब दो सूत्रों पर ही तुमने कोई अमल नहीं किया, कोई विचार नहीं किया, तो तीसरा भी व्यर्थ के हाथों में चला जाएगा, उसकी कोई उपादेयता नहीं। इसलिए अगर पिछले दो सूत्रों पर ख्याल किया हो, वह कहीं प्राण के किसी कोने में जगह बना ली हो, तो ही तीसरा सूत्र समझ में आ सकता है। अन्यथा तीसरा सूत्र बिल्कुल अबूझ होगा कि शरीर नाश्वर है इसलिए उसके लिए जुटाई और इच्छा की गई हर भौतिक वस्तु कोई काम की नहीं।
पक्षी ने मुस्कराते हुए कहा, "दौड़-भाग और मेहनत तब तक व्यर्थ नहीं है, जब तक वे तुम्हें सत्य के करीब ले जाती हैं। लेकिन यदि वे तुम्हें लोभ और मोह की बेड़ियों में जकड़ती हैं, तो वे तुम्हें सत्य से दूर कर देती हैं। तीसरा सूत्र यही है: ‘जो अस्थायी है, उसके पीछे मत भागो। जो शाश्वत है, उसे पहचानो।’"