Waqf Bill: कल लोकसभा में पेश होगा वक्फ संशोधन बिल, जानिए बिल से क्या-क्या होंगे बदलाव
Waqf Bill: वक्फ बिल दो अप्रैल को दोपहर 12 बजे लोकसभा में पेश होगा। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में विपक्ष ने इस बिल पर 12 घंटे चर्चा की मांग की। हालांकि, सरकार ने इस बिल पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय निर्धारित किया है।;
Waqf Bill (Photo: Social Media)
Waqf Bill: वक्फ अधिनियम, 1995 में बड़े पैमाने पर बदलाव का प्रस्ताव है, जिसमें ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना शामिल है। अपने उद्देश्यों और कारणों के बयान के अनुसार, विधेयक बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को छोड़ने का प्रयास करता है, जो यह तय करने के लिए है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं। इस कानून में आखिरी बार 2013 में संशोधन किया गया था। सरकार का दावा है कि ये संशोधन क़ानून में मौजूद ख़ामियों को दूर करने और वक्फ़ की संपत्तियों के प्रबंधन और संचालन को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी हैं। पिछले दो सालों में देश के अलग-अलग उच्च न्यायालयों में वक्फ़ से जुड़ी करीब 120 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसके बाद इस क़ानून में संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं।
- गैर-मुस्लिम सदस्यों का समावेश: राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है, जिससे इन निकायों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है। प्रस्तावित संशोधन में बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम प्रतिनिधि रखने का प्रावधान किया गया है। साथ ही दो महिला सदस्यों को रखने की बात कही गई है। साथ ही इसमें कहा गया है कि वही व्यक्ति दान कर सकता है जिसने पांच सालों तक इस्लाम का पालन किया हो, मतलब वह मुसलमान हो और दान की जा रही संपत्ति का मालिकाना हक रखता हो। दरअसल, मुसलमानों द्वारा पीढ़ियों से इस्तेमाल की जा रही अनेक संपत्तियों के पास औपचारिक दस्तावेज नहीं हैं, क्योंकि उन्हें दशकों या सदियों पहले मौखिक रूप से या बिना किसी कानूनी रिकॉर्ड के दान कर दिया गया था।
- महिला प्रतिनिधित्व: राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो मुस्लिम महिला सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य किया गया है, जिससे महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी।
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति: प्रस्ताव है की अब वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) का मुस्लिम होना अनिवार्य नहीं रहेगा, इससे विभिन्न पृष्ठभूमि के योग्य अधिकारियों की नियुक्ति संभव होगी। केंद्रीय वक्फ़ परिषद और राज्य स्तर पर वक्फ़ बोर्ड में दो ग़ैर मुसलमान प्रतिनिधि रखने का प्रावधान किया गया है। नए संशोधनों के तहत बोहरा और आग़ाख़ानी समुदायों के लिए अलग वक्फ़ बोर्ड की स्थापना की भी बात कही गई है।
- संपत्तियों का डिजिटलीकरण: सभी वक्फ संपत्तियों का कंप्यूटरीकरण और डिजिटलीकरण किया जाएगा, जिससे संपत्तियों की पारदर्शिता और प्रबंधन में सुधार होगा। वक्फ़ का पंजीकरण सेंट्रल पोर्टल और डेटाबेस के ज़रिए होगा। इस पोर्टल के ज़रिए मुतवल्ली यानी वक्फ़ संपत्ति की देखरेख करने वालों को ख़ातों की जानकारी देनी होगी।
- अवैध कब्जों की रोकथाम: वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों की निगरानी और रोकथाम के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं, जिससे संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
- वक्फ न्यायाधिकरण: विवादों के समाधान के लिए वक्फ न्यायाधिकरण की शक्तियों को बढ़ाया गया है, जिससे न्यायिक प्रक्रियाएं अधिक प्रभावी होंगी।
- संपत्तियों का सत्यापन: वक्फ संपत्तियों के सत्यापन प्रक्रियाओं को मजबूत किया गया है, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। प्रस्तावित संशोधन के तहत अतिरिक्त कमिशनर के पास मौजूद वक्फ़ की ज़मीन का सर्वे करने के अधिकार को वापस ले लिया गया है और उनकी बजाय ये ज़िम्मेदारी अब ज़िला कलेक्टर या डिप्टी कमीश्नर को दे दी गई है।
- वक्फ बोर्ड की संरचना: राज्य वक्फ बोर्डों में सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव करते हुए, सभी सदस्यों को राज्य सरकार द्वारा नामित करने का प्रावधान किया गया है।
- संशोधन विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के अनुसार वक्फ़ को ऐसा कोई भी व्यक्ति संपत्ति दान दे सकता है जो कम से कम पाँच सालों से इस्लाम का पालन करता हो और जिसका संबंधित ज़मीन पर मालिकाना हक़ हो।
- किसी संपत्ति के वक्फ़ के तहत आने या न आने का फ़ैसला लेने का वक्फ़ बोर्ड का अधिकार वापस ले लिया गया है। नए प्रस्ताव के अनुसार मौजूद तीन सदस्यों वाली वक्फ़ ट्राइब्यूनल को भी दो सदस्यों तक सीमित कर दिया गया है। लेकिन इस ट्राइब्यूनल के फ़ैसलों को अंतिम नहीं माना जाएगा और 90 दिन के भीतर ट्राइब्यूनल के फ़ैसलों को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
- नए विधेयक में लिमिटेशन एक्ट को लागू करने की अनिवार्यता को हटाने का प्रावधान है। इसका मतलब है कि जिन लोगों का 12 साल से वक्फ़ की ज़मीन पर अतिक्रमण करके कब्ज़ा किया हुआ है, वे इस संशोधन के आधार पर मालिक बन सकते हैं।