'द वे टू फाइट ग्लोबल पॉवर्टी' से मशहूर हुए अभिजीत बनर्जी
2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को दिया गया है। अभिजीत, एस्थर और माइकल को वैश्विक गरीबी कम करने की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।
नई दिल्ली: 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को दिया गया है। अभिजीत, एस्थर और माइकल को वैश्विक गरीबी कम करने की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।
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अभिजीत अभी एमआईटी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं। इसके पहले वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में भी शिक्षक रह चुके हैं।
अपनी पत्नी एस्थर डुफ्लो, माइकल क्रेमर, जॉन ए. लिस्ट और सेंधिल मुलईनाथन के साथ मिलकर अभिजीत ने कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया।
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इन्हें 2004 अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज का फेलो बनाया गया। 2013 में संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल बान की मून ने अभिजीत बनर्जी को मिलेनियम डेवलपमेंट गोल बनाने वाली टीम में शामिल किया था।
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अभिजीत ने दुनिया को राह दिखाने के लिए अर्थशास्त्र पर कई किताबें लिखी हैं। इनकी पहली किताब 2005 में च्वोलाटिलिटी एंड ग्रोथज् थी। तब से अभिजीत ने कुल सात किताबें लिखी हैं लेकिन इन्हें प्रसिद्धि मिली 2011 में आई किताब च्पूअर इकोनॉमिक्स: ए रेडिकल री थिंकिंग ऑफ द वे टू फाइट ग्लोबल पॉवर्टी से।ज् इस किताब को गोल्डमैन सैक्स बिजनेस बुक ऑफ द इयर का खिताब मिला था।