AC Cabins for Truck Drivers: एसी केबिन में ट्रक चलाएंगे ड्राइवर, नितिन गडकरी ने फैसले पर लगाई मुहर, 2025 तक की डेडलाइन

AC Cabins for Truck Drivers :मोदी सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए उस नियम को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत ट्रकों में ड्राइवरों के लिए एसी केबिन जरूरी होगा।

Update:2023-07-07 14:09 IST
AC Cabins for Truck Drivers (photo: social media )

AC Cabins for Truck Drivers: ट्रक चालकों के विषम परिस्थितियों में काम करने का मुद्दा समय-समय पर उठता रहा है। खासकर गर्मियों के समय में जब तापमान 40-45 डिग्री के पार चला जाता है, तब उनकी परेशानी और बढ़ जाती है। ऐसे में सड़क हादसे की संभावना भी बढ़ जाती है। मोदी सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए उस नियम को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत ट्रकों में ड्राइवरों के लिए एसी केबिन जरूरी होगा।

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट कर सरकार के इस फैसले की जानकरी दी है। उन्होंने बताया, एन2 और एन3 श्रेणी के ट्रकों के केबिन में एयर कंडीशनिंग सिस्टम की स्थापना को अनिवार्य करने के लिए मसौदा अधिसूचना को मंजूरी दे दी गई। गडकरी ने आगे लिखा, ट्रक ड्राइवर रोड सेफ्टी सुनिश्चित करने में अहम योगदान निभाते हैं। यह निर्णय ट्रक ड्राइवरों के लिए आरामदायक काम करने की स्थिति प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिससे उनकी दक्षता में सुधार होगा और ड्राइवर की थकान की समस्या का समाधान होगा।

कुछ दिनों पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में इस ओर संकेत कर दिया था। उन्होंने तब कहा था, जब मैं मंत्री बना तो मुझे लगा कि 44 से 47 डिग्री टेंपरेचर में ड्राइवरों की हालत कितनी खराब होती होगी। मैंने एसी केबिन का प्रस्ताव दिया तो कुछ लोग यह कहकर विरोध करने लगे कि इससे ट्रकों की लागत बढ़ जाएगी। लेकिन अब मैंने ट्रकों में एसी केबिन होने की फाइल पर साइन कर दिए हैं।

2025 तक की है डेडलाइन

मोदी सरकार ने ट्रक निर्माता कंपनियों को ये बदलाव लागू करने की डेडलाइन 2025 तक की दी है। बीते माह 20 जून को देश चालक नामक एक पुस्तक का विमोचन करते हुए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि ट्रक इंडस्ट्री को केबिन अपग्रेडेशन के लिए 18 महीने का समय जरूरी है। इसलिए ये फैसला 2025 से लागू होगा।

एन2 और एन3 श्रेणी के ट्रक क्या होते हैं ?

एन2 श्रेणी के अंतर्गत ऐसे ट्रक आते हैं, जिनका वजन 3.5 टन से अधिक लेकिन 12 टन से कम होता है। वहीं, एन3 श्रेणी के तहत आने वाले ट्रक का वजन 12 टन से अधिक होता है। विदेशी ट्रकों के ड्राइवर केबिन में एसी की सुविधा पहले से मौजूद रहती है। वॉल्वो और स्कैनिया जैसी मल्टीनेशनल ट्रक निर्माता कंपनियां इसका उदाहरण हैं। वहीं, भारतीय ट्रक निर्माता कंपनियां मसलन टाटा, महिंद्रा और अशोक लेलेंड कम लागत के कारण एसी केबिन नहीं देते।

बता दें कि जून में जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेरिका दौरे पर गए थे, तब उन्होंने वहां के एक सिख ट्रक चालक के साथ सवारी की थी। इससे कुछ दिन पहले उन्होंने दिल्ली से अंबाला तक ट्रक में सफर की थी। राहुल ने दोनों जगहों का अनुभव शेयर करते हुए कहा था कि यूएस में ट्रकों की डिजाइन ड्राइवर के कंफर्ट को ध्यान में रखकर की जाती है, जबकि भारत में ऐसा नहीं है। इसके बाद देश में ट्रक ड्राइवरों की स्थिति पर गंभीर बहस शुरू हुई और कुछ ही दिनों बाद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का ट्रकों के वातानूकुलित केबिन को लेकर बयान आया था।

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