रिपोर्ट: 60 फीसदी से अधिक भारतीय युवाओं का उद्यमिता की तरफ रुझान

भारत में युवाओं के मध्य उद्यमशीलता के विभिन्न पहलुओं को समझने के प्रयास तहत देश की प्रमुख डायरेक्ट सेलिंग एफएमसीजी कंपनी-एमवे इंडिया ने एमवे इंडिया एंट्रिप्रेन्योरशिप रिपोर्ट (एआईईआर)2017 जारी की। इस रिपोर्ट के मुताबिक 60 फीसदी से ज्यादा भारतीय युवाओं का उद्यमिता की ओर रुझान है। एमवे के अध्यक्ष डग डिवॉस ने ग्लोबल एंट्रप्रेन्योरशिप (जीईएस)-2017 समिट हैदराबाद में यह रिपोर्ट जारी की। 2014 से एमवे एआईईआर के नाम से संकलित सालाना रिपोर्ट जारी करता रहा है, जिसमें देश और दुनिया में उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाता है ।

Update:2017-11-29 18:39 IST

हैदराबाद: भारत में युवाओं के मध्य उद्यमशीलता के विभिन्न पहलुओं को समझने के प्रयास तहत देश की प्रमुख डायरेक्ट सेलिंग एफएमसीजी कंपनी-एमवे इंडिया ने एमवे इंडिया एंटरप्रेन्योरशिप रिपोर्ट (एआईईआर)2017 जारी की।

इस रिपोर्ट के मुताबिक 60 फीसदी से ज्यादा भारतीय युवाओं का उद्यमिता की ओर रुझान है। एमवे के अध्यक्ष डग डिवॉस ने ग्लोबल एंट्रप्रेन्योरशिप (जीईएस)-2017 समिट हैदराबाद में यह रिपोर्ट जारी की। 2014 से एमवे एआईईआर के नाम से संकलित सालाना रिपोर्ट जारी करता रहा है, जिसमें देश और दुनिया में उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाता है ।

10 हजार से अधिक छात्रों का सर्वे

एआईईआर के नतीजे एमवे इंडिया के लिए नीलसन की ओर से किए गए अध्ययन से आए हैं। जिसके तहत 10,809 अंडर ग्रेजुएट फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स का सर्वे किया गया, जिसमें 2016 में 21 राज्यों के 28 शहरों और छोटे कस्बों के 6269 पुरुष और 4250 महिलाओं ने हिस्सा लिया। रिपोर्ट भारत में उद्यमिता पर छात्र समुदाय के रवैये को समझने पर ध्यान केंद्रित करती है। एआईईआर 2017 से यह सामने आया था कि 60 फीसदी से ज्यादा छात्र रोजी-रोटी कमाने के बेहतर विकल्प के तौर पर उद्यमशीलता को देखते हैं।

क्या कहा एमवे के अध्यक्ष ने?

रिपोर्ट जारी करते हुए एमवे के अध्यक्ष डग डिवॉस ने कहा, "भारत उद्यमिता के क्षेत्र में बदलाव के लिए काफी अच्छी स्थिति में है। यह देश हमारे लिए टॉप ग्लोबल मार्केट में से एक हैं और हम भारत की भविष्य में उन्नति का भाग बनकर बेहद उत्साहित हैं। उद्यमिता की भावना के आधार पर एमवे की स्थापना 60 साल पहले की गई। हम उन लोगों के लिए अवसर पैदा करने के लिए कटिबद्ध है, जो कारोबारी बनना चाहते हैं।"

एआईईआर 2017 के नतीजों पर टिप्पणी करते हुए एमवे इंडिया के सीईओ अंशु बुद्धराजा ने कहा, "युवा उद्यमी भारतीय अर्थव्यवस्था को आकार दे रहे हैं। सरकार की ओर से शुरू किए गए स्टार्टअप जैसी कई पहलों ने कई युवा कारोबारियों को अपने विचार अमल में लाने के लिए प्रेरित किया है, जिससे भारत में नौकरियों की संख्या बढ़ रही है। एमवे ने कारोबारी बनने की क्षमता को मौजूदा सामाजिक और शैक्षिक व्यवस्था में एकीकृत करने के सरकार के लक्ष्य के साथ विबिन्न कार्यक्रमों के माध्यम ले मजबूता से खुद को जोड़ा है।"

एआईईआर 2017 चार अलग-अलग क्षेत्रों में छात्रों की अवधारणा का विश्लेषण करती है, उद्यमिकता के प्रति अवधारणा, बिजनेस का करियर के रूप में चयन, कारोबारी माहौल और कारोबारी शिक्षा शामिल है।

61% छात्रों की संभावना

भारत को अवसरों की भूमि माना जाता है। भारत में कारोबारी बनने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए काफी संभावनाएं हैं। एआईईआर 2017 से पता चलता है कि भारत में 61 फीसदी छात्र उद्यमिता में रोजी-रोटी कमाने की भरपूर संभावना देखते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों ने अपना बिजनेस शुरू करने के मामले में शहरी क्षेत्रों के छात्रों की अपेक्षा ज्यादा तत्परता दिखाई। 28 राज्यों में से हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, असम, दिल्ली और तमिलनाडु के छात्रों को अपना बिजनेस शुरू करते देख सकते हैं।

एक तिहाई लोगों की नकारात्मक भावना

छात्र प्रतिभागियों ने कारोबारी सफलता के टॉप 3 मंत्र अच्छी शिक्षा (44 प्रतिशत),, आर्थिक सुरक्षा (33 प्रतिशत) और समाज/परिवार के नेटवर्क (30 फीसदी) को माना है। एक तिहाई प्रतिभागियों में बिजनेस में खतरे की भावना भी परिलक्षित हुई। उन्होंने आर्थिक रूप से मजबूत और सुरक्षित फैमिली बैकग्राउंड को बिजनेस के क्षेत्र में सफलता का महत्वपूर्ण पैमाना माना।

71 फीसदी छात्रों में नाकामी का डर

भारत में उपक्रमों की काफी संभावनाएं हैं। उच्च आयवर्ग से आने वाले परिवारों के छात्र कारोबार के प्रति काफी उत्सुक दिखे। मध्यप्रदेश के छात्रों में अपना बिजनेस शुरू करने की भावना सबसे ज्यादा 47 फीसदी देखी गई। इसके बाद गुजरात (45 फीसदी), बिहार (24 फीसदी)। हिमाचल प्रदेश (23 फीसदी) और हरियाणा (21 फीसदी) का नंबर आया। हालांकि 71 फीसदी स्टूडेंट्स ने बिजनेस शुरू करने में नाकामी के डर को सबसे बड़ी रुकावट बताया।

छात्रों ने अपना बिजनेस शुरू करने के लिए सरकार और समाज से सहयोग मांगा :

61 फीसदी छात्रं को यह उम्मीद है कि अगर वह अपना बिजनेस शुरू करेंगे तो उन्हें सरकारी योजनाओं से काफी समर्थन मिलेगा। सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता पर छात्रों ने सबसे ज्यादा विश्वास मध्यप्रदेश (91 फीसदी), गुजरात (82 फीसदी) और पंजाब में 81 फीसदी पाया गया।

81% प्रतिभागी परिवारों पर निर्भर

देश भर में 81 फीसदी प्रतिभागियों का मानना है कि वह नया बिजनेस शुरू करते समय अपने परिवार के सदस्यों पर निर्भर रहेंगे। छात्रों का परिवार की व्यवस्था में मजबूत विश्वास खासतौर पर झारखंड (97 फीसदी), गुजरात (96 फीसदी) और पंजाब में 96 फीसदी देखने को मिला।

छात्रों ने कोर्स शामिल करनी की अपील की

प्रतिभागियों के स्पष्ट बहुमत (80 फीसदी) ने कहा कि उनका मानना है कि बिजनेस की क्षमता और दक्षता सीखनी पड़ती है और यह जरूरी नहीं, कि बिजनेस की समझ हमें विरासत में मिले। इसके लिए बहुत से छात्रों ने मौजूदा शिक्षा प्रणाली में सुधार का आग्रह किया। वहीं 75 फीसदी छात्रों ने सिलबेस में उद्यमिता या कारोबार संबंधी कोर्स शामिल करने की अपील की।

थ्योरी ही काफी नहीं

उद्यमिता की शिक्षा में छात्रों की दिलचस्पी जगाने से कारोबार संबंधी शिक्षा और प्रभावपूर्ण हो जाएगी। इसके लिए शिक्षाविदों को नई-नई तकनीक पर ध्यान केंद्रित करना होगा। कारोबारियों की दिन-प्रतिदिन की जिंदगी के संपर्क में हकीकत में रहना होगा। केवल कारोबार के सिद्धांतों को थ्योरी रूप में जानना काफी नहीं होगा।

आईएएनएस

Tags:    

Similar News