बिहार में कोरोना के बाद फैली ये महामारी, अब तक 60 ने दम तोड़ा
राज्य में पिछले दो दिनों में अलग-अलग जिलों में चार नियोजित शिक्षकों ने दम तोड़ दिया है। हड़ताल के दौरान शिक्षकों की मौत सरकार के लिए एक बड़ी समस्या बन रही है
बिहार में में पिछले कुछ दिनों से नियोजित शिक्षक अपने हक़ के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। जिसके चलते वो अपनी जान भी गंवा चुके हैं। सामान वेतन के लिए कई महीनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे नियोजित शिक्षकों की लगातार मौत भी हो रही है। राज्य में पिछले दो दिनों में अलग-अलग जिलों में चार नियोजित शिक्षकों ने दम तोड़ दिया है। ऐसे में हड़ताल के दौरान इन शिक्षकों की मौत सरकार के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है।
हड़ताल के दौरान 60 शिक्षकों की मौत
हड़ताल पर बैठे शिक्षक अपनी बिमारी का इलाज भी वेतन के अभाव में नहीं करा पा रहे हैं। जिसके चलते अब तक 60 शिक्षकों की हड़ताल के दौरान मौत भी हो चुकी है। गौरतलब है कि हड़ताल पर बैठे शिक्षकों का वेतान पिछले 3 महीनों से बंद है। सरकार द्वारा शिक्षकों की हड़ताल खत्म कराने के कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन शिक्षक संघ के पत्र के बाद भी अब तक वार्ता नहीं हुई है। सरकार का कहना है कि वो लॉकडाउन के दौरान नियोजित शिक्षकों से बात नहीं करना चाह रही है। दूसरी ओर शिक्षकों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है और उनकी मौत का सिलसिला लगातार जारी है।
कोर्ट ने दिया था शिक्षकों के विरोध में फैसला
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गौरतलब हो कि नियोजित शिक्षकों का सामान काम सामान वेतन को लेकर मांग का ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। जिसमें कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला नहीं दिया था। जिसके बाद इन नियोजित शिक्षकों ने हड़ताल का फैसला किया। जो अभी तक जारी है। जिसमें कई शिक्षकों की जान भी जा चुकी है। बिहार के लगभग साढे़ तीन लाख नियोजित शिक्षकों ने मैट्रिक और इंटर की परीक्षा के दौरान हड़ताल पर जाने का निर्णय किया था और उसके बाद से लगातार हड़ताल पर चल रहे हैं। लेकिन सरकार अभी भी अपनी जिद पर अड़ी है। और दूसरी ओर शिक्षक लगातार अपनी जान से हाथ धो रहे हैं।