J&K: विधानसभा भंग होने से करीब आए अब्दुल्ला-महबूबा, गवर्नर को BJP का समर्थन
पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार गठन का दावा पेश किए जाने के कुछ ही समय बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य विधानसभा को भंग कर दिया है।
श्रीनगर: पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार गठन का दावा पेश किए जाने के कुछ ही समय बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य विधानसभा को भंग कर दिया है। राज्यपाल ने कहा कि जम्मू कश्मीर के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गयी है। बता दें, पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
क्या था घटनाक्रम
मुफ्ती ने राज्यपाल सत्यपाल को लिखी चिट्ठी में कहा, विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं। कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है। नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। अत: हमारी संख्या 56 हो जाती है।
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महबूबा ने लिखा, ‘चूंकि इस समय मैं श्रीनगर में हूं, इसलिए मेरा आपसे तत्काल मुलाकात करना संभव नहीं होगा और यह आपको इस बाबत सूचित करने के लिए है कि हम जल्द ही राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आपकी सुविधानुसार मिलना चाहेंगे।
क्या है विधानसभा का हाल
कुल 87 सीटें
पीडीपी- 28
बीजेपी-25
नेशनल कॉन्फ्रेंस-15
कांग्रेस-12
जेकेपीसी-2
निर्दलीय-3
सीपीएम-1
जेकेपीडीएफ़-1
करीब आए अब्दुल्ला और महबूबा
विधानसभा भंग होने के बाद राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक के इस फैसले को एक जल्दबाजी भरा फैलसा बताया है। वहीं, इस फैसले के बाद महबूबा ने लगातार चार ट्वीट किए। सबसे पहले ट्वीट में महबूबा ने लिखा कि उन्हें अपने 26 साल के पोलिटिकल करियर में यही लगता था कि उन्होंने सब कुछ देखा है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।
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उन्होंने आगे लिखा कि कभी किसी को ‘नेवर’ नहीं कहना चाहिए लेकिन वो अंबिका सोनी जी और उमर अब्दुल्ला जी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहेंगी क्योंकि दोनों ने उन्हें असंभव लग रही चीज को हासिल करने में मदद की। बता दें, यहां महबूबा ने साफतौर पर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर सरकार बनाने का इशारा दिया लेकिन विधानसभा भंग होने के बाद अब इसकी भी संभावना खत्म हो गई।
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वहीं, महबूबा के दूसरे ट्वीट की बात करें तो इसमें उन्होंने लिखा कि, ‘खरीद फरोख्त और दलबदल पर रोक लगाए जाने को लेकर हम तो पिछले 5 महीनों से राज्य विधानसभा को तुरंत भंग करने की बाद कह रहे थे। इस दौरान हमने इस बात की भी परवाह नहीं की कि हमारे पास कोई राजनीतिक सहयोग है या नहीं। ’
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इसके बाद महबूबा ने तीसरा ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि, ‘महागठबंधन के विचार से कुछ लोगों में इतनी घबराहट पैदा हो कि यहां विधानसभा भंग कर दी गई। वैसे हमारी मांगें भैंस के आगे बीन बजाने जैसी थीं लेकिन जो काम अब हुआ, उससे साफ़ नजर आ रहा है कि यह महागठबंधन को लेकर घबराहट थी।’
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चौथे और आखिरी ट्वीट में महबूबा ने लिखा कि, ‘तकनीकी दौर में आजकल हर चीज संभव है लेकिन ये बात काफी हैरानी वाली है कि महामहिम राज्यपाल के आवास में हमारा फैक्स नहीं पहुंचा, लेकिन विधानसभा भंग करने का आदेश उन्होंने तुरंत जारी कर दिया।’
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ये तो थे महबूबा के ट्वीट लेकिन इसके बाद जो हुआ वह देखने वाला है। दरअसल, महबूबा के पहले ट्वीट को अब्दुल्ला ने रीट्वीट किया और लिखा कि उन्होंने भी कभी नहीं सोचा था कि वह उनसे सहमत होंगे और उनके ट्वीट को कभी भी रीट्वीट करेंगे। इस ट्वीट में अब्दुल्ला ने ये भी लिखा कि सच राजनीति में एक अलग तरह का होता है। इसके बाद अब्दुल्ला ने महबूबा को आगे के लिए शुभकामनाएं भी दीं।
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बता दें, सिर्फ यही एक मात्र ट्वीट नहीं है जो अब्दुल्ला ने महबूबा के ट्वीट पर किए हों। इसके अलावा अब्दुल्ला ने मजाकिया अंदाज में एक GIF को ट्वीट करते हुए लिखा कि इस तरह राजभवन की फैक्स मशीन काम करती है। इसके बाद महबूबा ने इसका और भी मजाकिया अंदाज में जवाब दिया और एक फोटो को ट्वीट किया कि जो लोग फैक्स रिसीव होने का इंतजार कर रहे हैं, उनका कुछ ऐसा हाल हो जाएगा।
राज्यपाल का बीजेपी ने किया समर्थन
उधर, बीजेपी ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा विधानसभा भंग करने के फैसले का समर्थन किया है। इस मामले पर बीजेपी का कहना है कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति को देखते हुए यही विकल्प सबसे बेहतर है। अब यहां जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव होने चाहिए। इसके अलावा बीजेपी ने विपक्षी पार्टियों के प्रस्तावित गठबंधन की निंदा भी की और इन्हें आतंक-अनुकूल पार्टियों का गठबंधन' बताया।