टेलीकॉम कंपनियों का AGR पेमेंट मामले में SC से गुहार, दाखिल की पुनर्विचार याचिका

टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानी एजीआर पेमेंट मामले में - सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इस याचिका में टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट के अपने पिछले फैसले पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाई है।

Update: 2019-11-23 06:01 GMT

जयपुर: टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानी एजीआर पेमेंट मामले में - सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इस याचिका में टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट के अपने पिछले फैसले पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाई है। दरअसल, 24 अक्‍टूबर को एजीआर पेमेंट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की मांग को जायज बताया था।

केंद्र सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों से 92,000 करोड़ रुपये के एजीआर (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) के बकाया की मांग की है। यह रकम अब पेनाल्‍टी और अन्‍य चार्जेज के साथ 1 लाख करोड़ से अधिक हो गई है।

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एजीआर संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज चार्ज और लाइसेंसिग फीस है। सरकार के इस बकाये की रकम के खिलाफ टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में टेलीकॉम कंपनियों से जल्‍द बकाया देने को कहा था।

अगर टेलीकॉम कंपनियां एजीआर का बकाया सरकार को देती हैं तो उन्‍हें बड़ा नुकसान हो सकता है। हाल ही में एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने दूसरी तिमाही के नतीजे जारी किए हैं। इन नतीजों में दोनों कंपनियों ने बताया है कि एजीआर की वजह से कुल 70 हजार करोड़ के करीब घाटा हुआ है।

 

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आर्थिक संकट से जूझ रही टेलीकॉम कंपनियों को सरकार ने एजीआर मामले में फिलहाल राहत नहीं दी है। सरकार ने सदन को बताया कि टेलीकॉम कंपनियों को पेनल्टी और ब्याज में छूट देने के प्रस्ताव पर फिलहाल कोई विचार नहीं है। हालांकि सरकार ने स्पेक्ट्रम किस्त का भुगतान 2 साल के लिए टालने के प्रस्ताव को मंजूरी जरूर दी है।

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