एम्स के डॉ. गुलेरिया का दावा-कोरोना सबसे ज्यादा इस महीने में मचाएगा तांडव

कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। रोज बड़ी संख्या में नये केस सामने आ रहे हैं। उतनी ही बड़ी संख्या में लोगों की मौतें भी हो रही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के रविवार सुबह तक जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 24,6,628 हो चुकी है।

Update: 2020-06-07 08:24 GMT

नई दिल्ली: कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। रोज बड़ी संख्या में नये केस सामने आ रहे हैं। उतनी ही बड़ी संख्या में लोगों की मौतें भी हो रही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के रविवार सुबह तक जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 24,6,628 हो चुकी है।

अगर हम अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों पर गौर करें तो अमेरिका, ब्राजील, रूस, ब्रिटेन के बाद कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में भारत अब पांचवें स्थान पर आ गया है।

यहां बीते 24 घंटे में कोरोना वायरस के 9971 नए मरीज मिले हैं जबकि 287 लोगों की मौत हो गई है। वर्तमान में देश के अंदर 120,406 एक्टिव केस हैं जबकि 11,9,293 लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं।

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सबसे गौर करने वाली बता ये कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना संक्रमण के फैलाव पर चिंता जाहिर की है। डॉक्टर गुलेरिया का दावा है कि कोरोना वायरस का पीक पर आना अभी बाकी है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर कोरोना वायरस के मामले बढ़ सकते हैं।

वहीं जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक दूसरे मुल्कों में अमेरिका में 1,920,061 कोरोना मरीज, ब्राजील में 672,846 मरीज, रूस में 458,102 मरीज, ब्रिटेन में 286,294 मरीज हो गए हैं। जबकि भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2 लाख 46 हजार को क्रॉस कर चुकी है।

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दिल्ली में जून के अंत तक 15 हजार बेड की जरूरत

दिल्ली में अब सभी बॉर्डर खोल दिए जाएंगे। यानी कि अब दूसरे राज्यों के लोग बिना रोकटोक दिल्ली में एंट्री ले सकते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डॉ महेश वर्मा कमेटी के रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि जून के अंत तक दिल्लीवासियों के लिए अस्पताल में 15 हजार बेड की जरूरत हो सकती है।

क्योंकि हाल के दिनों में तेजी से कोरोना के मामले बढ़े हैं। इसलिए अब से दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में सिर्फ दिल्लीवासियों का इलाज होगा। हालांकि केंद्र के अधीनस्थ आने वाले अस्पतालों में सभी मरीजों का इलाज हो सकेगा।

 

 

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