एअर इंडिया की नीलामी: सरकार ने बढ़ाई डेडलाइन, अब इस दिन लगेगी बोली

कर्ज के बोझ तले दबी एअर इंडिया (Air India) के विनिवेश के लिए बोली मंगाने की डेडलाइन को एक बार बार फिर से बढ़ा दिया गया है। यह तीसरी बार ऐसा हुआ है, जब सरकार ने समय सीमा आगे बढ़ाने का फैसला लिया है।

Update: 2020-06-28 06:05 GMT

नई दिल्ली: कर्ज के बोझ तले दबी एअर इंडिया (Air India) के विनिवेश के लिए बोली मंगाने की डेडलाइन को एक बार बार फिर से बढ़ा दिया गया है। यह तीसरी बार ऐसा हुआ है, जब सरकार ने समय सीमा आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। अब सरकार ने एअर इंडिया के विनिवेश के लिए 31 अगस्त तक बोलियां मंगाई है। पहले यह समय सीमा 30 जून तक थी, लेकिन कोरोना संकट को देखते हुए अब इसे बढ़ा दिया गया है।

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31 अगस्त तक जमा करा सकते हैं अभिरुचि पत्र

अब एअर इंडिया के लिए बोली लगाने वाले लोग 31 अगस्त तक अभिरुचि पत्र यानी ईओआई शाम पांच बजे तक जमा करा सकते हैं। इसके अलावा सरकार की तरफ से बिड वापस लेने की तारीख को बढ़ाकर 14 सितंबर 2020 तक कर दिया गया है, जो कि पहले 14 जुलाई तय की गई थी। सरकार ने बढ़ते कोरोना के संकट के मद्देनजर बोली लगाने की तारीख बदल दी है।

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इसलिए तारीखों में किया जा रहा फेरबदल

दरअसल, कई कोशिशों के बाद भी एअर इंडिया (Air India) की हिस्सेदारी खरीदने के लिए कोई खास दिलचस्पी देखने को नहीं मिली है। यह भी वजह है कि अभिरुचि पत्र जमा कराने की आखिरी तारीख में बार बार बदलाव किया जा रहा है। अब तक लगभग तीन बार तारीखों में फेर बदल किया जा चुका है।

इससे पहले कब- कब बदली गई तारीख

इससे पहले 27 जनवरी को जारी मूल आरंभिक सूचना पत्र में 17 मार्च तक बोली लगाने की अंतिम तिथि तय की गई थी। जिसे बढ़ाकर बाद में 30 अप्रैल कर दिया गया था। उसके बाद एक बार फिर तारीख में बदलाव किया गया और इस बार अंतिम तारीख 30 जून तक कर दिया गया और अब बोली लगाने के लिए आखिरी तारीख 31 अगस्त कर दिया गया है।

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काफी लंबे समय से कर्ज में डूबी है एअर इंडिया

गौरतलब है कि काफी लंबे समय से कर्ज में डूबी हुई है। इस पर हजारों करोड़ रुपये का कर्ज है। इसलिए सरकार ने एअर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर ली है। सरकार ने विमानन कंपनी के विनिवेश प्रक्रिया को रफ्तार देते हुए एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली मंगाई थी। इसके अलावा एअर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेज की 50 फीसदी इक्विटी बेचने के लिए भी केंद्र सरकार ने बोलियां मंगाई थी।

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