Banned Chinese Garlic in Market: सावधान! बाजारों में बिक रहा प्रतिबंधित चीनी लहसुन
Banned Chinese Garlic in Market: साल 2014 में चीनी लहसुन भारत में प्रतिबंधित कर दिए गए थे बावजूद इसके ये भारतीय बाज़ारों में पहुंच चुका है जिसके बाद लोग विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
नई दिल्ली. 2014 में प्रतिबंधित होने के बावजूद चीनी लहसुन भारतीय बाजारों में पहुंच गया है। चीनी लहसुन लोकल फसल की तुलना में सस्ता होता है सो तस्करों और एजेंटों के लिए ये फायदे का धंधा बन गया है। बताया जाता है कि जहाँ लोकल वैरायटी के दाम 450 से 600 रुपये किलो हैं वहीँ चीनी लहसुन 200 से 300 रुपये किलो है और सस्ता होने के चलते ग्राहक इसे खरीदते हैं। बताया जाता है कि चीन से गुजरात पहुंचा 120-150 टन से अधिक चीनी लहसुन पहले ही नीलामी के माध्यम से बेचा जा चुका है और पिछले दो हफ्तों में कई बाजारों में जमा हो गया है।
क्या है फर्क?
उल्लेखनीय है कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक है। चीनी लहसुन अपने आकार और गंध के कारण अलग होता है, ये हल्का सफेद और गुलाबी होता है और आकार में भी छोटा होता है। भारतीय लहसुन में तीखी गंध होती है, जबकि चीनी लहसुन में हल्की महक होती है। भारतीय लहसुन न्यूनतम रसायनों के साथ उगाया जाता है और उपभोग के लिए सुरक्षित होता है। लेकिन चीनी लहसुन आधुनिक कृषि तकनीकों के इस्तेमाल से उगाया जाता है जिसमें केमिकल और कीटनाशकों का भारी उपयोग होता है। इसलिए, चीनी लहसुन मानव उपभोग के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। चीनी लहसुन में सिंथेटिक पदार्थ भी होते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं। यही वजह है भारत में चीनी लहसुन प्रतिबंधित है। वहीँ भारतीय लहसुन प्राकृतिक स्वादों से भरा हुआ है और देश में पारंपरिक कृषि पद्धतियों का उपयोग करके उगाया जाता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के राजकोट में व्यापारियों ने हाल ही में गोंडल कृषि उत्पाद बाजार सहकारी (एपीएमसी) में चीनी लहसुन के कई बैग पाए जाने के बाद एक दिन का विरोध प्रदर्शन किया। गोंडल एपीएमसी में व्यापारियों के संघ के अध्यक्ष योगेश कयाडा ने बताया, "हम प्रतिबंध के बावजूद अवैध तरीके से भारत में चीनी लहसुन के प्रवेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।" उधर तमिलनाडु किसान संरक्षण संघ ने कहा है कि कोडईकनाल और ऊटी से कम सप्लाई होने के कारण व्यापारी पिछले तीन महीनों से गुजरात, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से सब्जी खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा, “ये लहसुन बड़े और सफेद रंग के होते हैं; भारतीय किस्म के नहीं होते। गुजरात में लहसुन के व्यापार से जुड़े हर व्यक्ति को इसकी जानकारी है।
चीनी किस्म का आयात कंटेनरों के ज़रिए किया जाता है और गुजरात के बाज़ारों में पहले ही इसकी बाढ़ आ चुकी है। चूंकि इस पर प्रतिबंध है, इसलिए इसे दक्षिणी राज्यों में ले जाया जा रहा है। चूंकि कुछ किसानों के लिए भी चीनी किस्म को पहचानना मुश्किल है, इसलिए व्यापारी इसे खुदरा दुकानों में 420-450 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेच रहे हैं।