Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे की मिली इजाजत, वाराणसी कोर्ट ने दी अनुमति, मुस्लिम पक्ष को आपत्ति

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का ASI सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है। कोर्ट के इस फैसले से हिन्दू पक्ष में ख़ुशी है।

Update: 2023-07-21 08:05 GMT
Gyanvapi case (Image- Social Media)

Gyanvapi Case:वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी सर्वे के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने ASI सर्वे को मंजूरी दे दी। विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर की ASI सर्वे को मंजूरी मिली है। अदालत के इस फैसले को हिन्दू पक्ष की बड़ी जीत माना जा रहा है। देश और दुनिया की निगाहें इस सुनवाई पर तिकी थी। ज्ञानवापी केस के लिए आज का दिन सबसे अहम माना जा रहा था।

ज्ञानवापी मां शृंगार गौरी मूल वाद में ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर बैरिकेडिंग वाले क्षेत्र का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से रडार तकनीक से सर्वे कराने के आवेदन पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने आदेश सुनाया। मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी थी। कुछ समय बाद फैसला सुनाया गया।

हिन्दू पक्ष उत्साहित, लगे हर-हर महादेव के नारे

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण पर एएसआई सर्वे कराने का आदेश दिया गया है। कोर्ट के फैसले के बाद हिंदू पक्ष में खासा उत्साह दिख रहा है। कई अति उत्साही हर-हर महादेव के नारे लगाने लगे। अदालत परिसर भगवान शिव के नारों से गूंजा उठा। बता दें, ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर बैरिकेडिंग वाले क्षेत्र का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से रडार तकनीक से सर्वे होगा।

ASI सर्वे रिपोर्ट 4 अगस्त को देगा रिपोर्ट

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन (Advocate Vishnu Shankar Jain) ने बताया कि, 'अदालत ने ने ASI सर्वे का आदेश दे दिया है। विष्णु शंकर जैन ने मीडिया को बताया कि, 'मेरा आवेदन मंजूर कर लिया गया है। कोर्ट ने वजू टैंक को छोड़कर, जिसे सील कर दिया गया है। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वेक्षण (Gyanvapi ASI Survey) करने का निर्देश दिया है। ASI इस सर्वे की रिपोर्ट जिला जज को 4 अगस्त, 2023 को देगा।'

हिन्दू पक्ष- स्पष्ट होगी वास्तविकता क्या है?

वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश (Dr. Ajay Krishna Vishwesha) की अदालत ने आज ये महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं की दलील है कि सर्वे से ये स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी की वास्तविकता क्या है? सर्वे में बिना क्षति पहुंचाए पत्थरों, देव विग्रहों, दीवारों सहित अन्य निर्माण की आयु का पता लगाया जाएगा।

सर्वे से पता लगेगा मस्जिद कितना पुराना है

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर मिले शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण तथा कार्बन-डेटिंग की अनुमति देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगाई थी। इस मामले को लेकर एक पक्ष का कहना है कि, यह शिवलिंग है तो दूसरा पक्ष कहता है कि यह एक फव्वारा है। अब इस परिसर के सर्वे से पता लगेगा कि, मस्जिद कितना पुराना है और हिंदू पक्ष की ओर से किए दावों में कितनी सच्चाई है।

मुस्लिम पक्ष का ASI सर्वे को लेकर विरोध

दूसरी तरफ बात करें तो मुस्लिम पक्ष ASI सर्वे का लगातार विरोध कर रहा है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि एसआई सर्वे से ज्ञानवापी मस्जिद को नुकसान पहुंच सकता है। मुस्लिम पक्ष लगातार कोर्ट से इसे रोकने की मांग कर रहा है। हिंदू पक्ष की तरफ से 16 मई को ज्ञानवापी संपूर्ण परिसर के एएसआई सर्वे की मांग को लेकर एक याचिका दाखिल की गई। जिला जज की कोर्ट में इस याचिका पर लगातार सुनवाई की गई। 3 तारीखों के बाद ही आज एक बड़ा फैसला आने जा रहा है।

टर्निंग प्वाइंट हो सकता है फैसाला

इस केस में वाराणसी जिला जज की कोर्ट से आने वाला यह फैसला टर्निंग प्वाइंट हो सकता है। हिंदू पक्ष को इस बात का विश्वास है जिस तरीके से पिछले साल कोर्ट कमिश्नर की कार्रवाई के दौरान ज्ञानवापी परिसर के अंदर हिंदू देवी देवताओं और दीवारों पर शंख,चक्र,गदा, कमल के निशान मिले थे उसी तर्ज पर अगर एसआई सर्वे होता है तो ज्ञानवापी की प्रमाणिकता सामने आ जाएगी। दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष ASI जांच का लगातार विरोध कर रहा है मुस्लिम पक्ष का तर्क है कि अगर ज्ञानवापी परिसर के अंदर ASI जांच होती है तो कहीं ना कहीं जो मस्जिद की दीवारें हैं और भूभाग हैं वह क्षतिग्रस्त हो सकते हैं हालांकि हिंदू पक्ष का यह कहना है कि अब बहुत सारी ऐसी टेक्नोलॉजी आ गई है जिससे बगैर किसी तोड़फोड़ के किसी भी भवन या भूभाग का वैज्ञानिक परीक्षण किया जा सकता है।

इसके पहले कोर्ट में दाखिल जवाब के अनुसार मुस्लिम पक्ष ने यह दावा किया था कि ज्ञानवापी परिसर को मुगल शासक औरंगजेब ने बनवाया था वहां पर 1669 से ही नमाज अदा होती आई है मुस्लिम पक्ष ने बकायदा औरंगजेब को एक बेहतर शासक बताया था उनका यह भी दावा था की बिहार झारखंड और पूर्वांचल के व्यापारी जब कारोबार के सिलसिले में वाराणसी आते थे तो इस दौरान यह लोग ज्ञानवापी के अंदर नमाज अदा करते थे।

मुस्लिम पक्ष साबित करने में रहा नाकामयाब

पिछले 2 साल से चल रही अदालती लड़ाई के दौरान मुस्लिम पक्ष यह साबित करने में नाकामयाब रहा है की ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी के 1991 के वर्सिप एक्ट का उल्लंघन है इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर बक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी है या नहीं इसे भी साबित करने में मुस्लिम पक्ष कामयाब नहीं रहा है इन दो बिंदुओं को हवाला बनाकर अब हिंदू पक्ष एसआई जांच की मांग कर रहा है।

इससे जांच से संबंधित एक अन्य मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में लंबित है 12 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी परिषद के अंदर वजूखाने के पास मिली शिवलिंगनुमा आकृति की ASI जांच की मांग की थी जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर अंतरिम रोक लगा दी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त तक केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है ऐसे में मुस्लिम पक्ष ने जिला जज के सामने यह गुहार लगाई कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है ज्ञानवापी परिषद के एसआई जांच की इजाजत न दी जाए।

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