Mission 2024: पंजाब में BJP और अकाली दल के बीच गठबंधन की बातचीत फेल, जानें क्यों नहीं बनी बात

Mission 2024: लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नेतृत्व की ओर से एनडीए के कुनबे को और मजबूत बनाने की कोशिश में जरूर की जा रही है मगर पंजाब में भाजपा की अकाली दल के साथ बात नहीं बन सकी है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-02-11 08:23 GMT

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और सुखबीर सिंह बादल (Social Media)

Mission 2024: पंजाब में भारतीय जनता पार्टी और अकाली दल के बीच गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत फेल हो गई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी है। अकाली दल भाजपा को डिमांड के मुताबिक सीटें देने के लिए तैयार नहीं है।

इसके साथ ही अकाली दल की ओर से कुछ और मांगें भी की जा रही थीं जिस पर भाजपा नेतृत्व तैयार नहीं दिख रहा है। भाजपा की पंजाब इकाई की ओर से भी गठबंधन का विरोध किया जा रहा था। इन कारणों से अब आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच गठबंधन की संभावनाएं खत्म होती दिख रही हैं।

भाजपा की डिमांड पूरी करने को अकाली दल तैयार नहीं

लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नेतृत्व की ओर से एनडीए के कुनबे को और मजबूत बनाने की कोशिश में जरूर की जा रही है मगर पंजाब में भाजपा की अकाली दल के साथ बात नहीं बन सकी है। पंजाब में लोकसभा के 13 सीटें हैं और भाजपा की ओर से इनमें से 6 सीटों की मांग की जा रही थी। शिरोमणि अकाली दल का नेतृत्व भाजपा को इतनी ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं है।

पंजाब में जब दोनों दलों के बीच गठबंधन था तो अकाली दल 10 सीटों पर चुनाव लड़ा करता था जबकि भाजपा को तीन सीटें मिलती थीं। भाजपा की ओर से अब दूनी यानी 6 सीटों की डिमांड की जा रही थी। गठबंधन के दिनों में विधानसभा चुनाव के दौरान अकाली दल 95 सीटों पर चुनाव लड़ा करता था जबकि भाजपा को 25 सीटें दी जाती थीं।

इसके साथ ही अकाली दल की ओर से किसान आंदोलन और सिख बंदियों की रिहाई की मांग भी की जा रही थी। इसके लिए अकाली दल ने भाजपा नेतृत्व पर दबाव बनाया हुआ था। भाजपा के स्थानीय नेताओं की ओर से भी अकाली दल के साथ गठबंधन का विरोध किया जा रहा था। माना जा रहा है कि इन कारणों से दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत फेल साबित हुई है।

बसपा से गठबंधन नहीं तोड़ना चाहता काली दाल

पंजाब में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया था। हालांकि इसके बावजूद दोनों दलों को ज्यादा फायदा नहीं हुआ था। आम आदमी पार्टी ने भारी बहुमत के साथ पंजाब में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी। वैसे पंजाब में दलित आबादी ज्यादा होने के कारण बहुजन समाज पार्टी का अच्छा खासा असर माना जाता रहा है।

जानकार सूत्रों के मुताबिक अकाली दल सियासी फायदे के मद्देनजर बसपा के साथ अपना गठबंधन नहीं तोड़ना चाहता। इसके साथ ही सुखदेव सिंह ढींढसा के अकाली दल में शामिल होने के मुद्दे पर भी बातचीत चल रही है।

इस बात को लेकर भी अकाली दल में नाराजगी

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के नेता भाजपा से नाराज भी बताए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक अकाली नेताओं का मानना है कि भाजपा ने राज्य में अकाली दल को कमजोर बनाने की कोशिश की है। भाजपा ने अकाली दल के कई नाराज नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया है ताकि अकाली वोटों का फायदा उठाया जा सके। इसे लेकर भी अकाली दल की नाराजगी की बात सामने आई है।

अकाली दल पंजाब में भाजपा का पुराना सहयोगी रहा है मगर मोदी सरकार की ओर से ले गए तीन नए कृषि कानून के मुद्दे पर अकाली दल ने एनडीए से अलग होने का फैसला किया था। पंजाब में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों दलों ने एक-दूसरे पर तीखे हमले किए थे और अब लोकसभा चुनाव के दौरान भी दोनों दलों के बीच तालमेल की संभावनाएं खत्म होती दिख रही हैं।  

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