500 से अधिक रियासतकालीन दुर्लभ हथियार से सुसज्जित है अलवर का बाला किला, वेपन म्यूजियम बनाने की चल रही कवायद

Alwar Fort : अलवर जिले में स्थित बाला किले में 500 से अधिक रियासतकालीन दुर्लभ हथियार से सुसज्जित हैं। इस किले में एक वेपन म्यूजियम बनाने की योजना बनाई गई है।

Update:2023-05-08 20:15 IST
Alwar Fort (SOCIAL MEDIA)

Alwar Fort : भारत में ऐसे कई प्राचीन किले हैं, जो अपने आप में बेहद ही खास और रहस्यों से भरे हुए हैं। एक ऐसा ही किला राजस्थान की अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। इस किले की दीवार पूरी पहाड़ी पर फैली हुई है जो हरे-भरे मैदानों से होकर गुजरती है। यह किला देखने में इतना आलीशान और खूबसूरत लगता है कि इसे देखने के लिए देशी और विदेशी पर्यटक दूर-दूर से बड़ी संख्या में आते हैं।ये किला हमेशा से लोगों के लिए खुला नहीं था। एक समय था जब किले के अंदर प्रवेश करने के लिए इलाके के एसपी से अनुमति लेनी पड़ती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बस पर्यटकों को केवल संतरी के पास रखे रजिस्टर में अपना नाम लिखना होता है। उसके बाद वो इस भव्य किले में प्रवेश कर सकते हैं।

1492 ईस्वी में हसन खान मेवाती ने शुरू करवाया था निर्माण कार्य

इस किले को 'बाला किला' के नाम से जाना जाता है, जो राजस्थान के अलवर में है। इस वजह से इसे 'अलवर फोर्ट' भी कहा जाता है। पूरे अलवर में अगर देखें तो यह किला वहां की सबसे पुरानी इमारत है। माना जाता है कि इस किले का निर्माण कार्य 1492 ईस्वी में हसन खान मेवाती ने शुरू करवाया था। यह अपने भव्य संरचनात्मक डिजाइन के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है।

विशेष प्रयोजन से किले की दीवारों में 446 छेद

इस किले पर मुगलों से लेकर मराठों और जाटों तक का शासन रहा है। किले की दीवारों में 446 छेद हैं, जिन्हें खास तौर पर दुश्मनों पर गोलियां बरसाने के लिए बनवाया गया था। इन छेदों 10 फुट की बंदूक से भी गोली चलाई जा सकती थी। इसके अलावा दुश्मनों पर नजर रखने के लिए किले में 15 बड़े और 51 छोटे बुर्ज बनवाए गए हैं।

अंदर प्रवेश के लिए है कुल छह दरवाजे

इस किले की सबसे खास बात ये है कि जिस काल में इसका निर्माण हुआ, उस समय कई ऐतिहासिक युद्ध लड़े गए लेकिन इतिहास में इस किले पर कभी युद्ध नहीं हुआ। इस वजह से इसे 'कुंवारा किला' भी कहा जाता है। यह किला पांच किलोमीटर लंबा और करीब 1.5 किलोमीटर चौड़ा है। किले के अंदर प्रवेश के लिए कुल छह दरवाजे बनवाए गए हैं, जिनके नाम जय पोल, सूरज पोल, लक्ष्मण पोल, चांद पोल, कृष्णा पोल और अंधेरी पोल हैं

धन के देवता कुबेर का खजाना है यहां

कहते हैं कि इस किले में मुगल शासक बाबर और जहांगीर भी रुक चुके हैं। बाबर ने यहां महज एक ही रात बिताई थी। वहीं जहांगीर किले के अंदर बने जिस कमरे में ठहरे थे, उसे आज 'सलीम महल' के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस किले के अंदर बेशकीमती खजाना छुपा हुआ है। माना जाता है कि वो खजाना धन के देवता कुबेर का है, लेकिन ये खजाना एक रहस्य ही है, क्योंकि आज तक कोई भी ढूंढ नहीं पाया है। फिलहाल कुबेर का खजाना तो नहीं मिल सका लेकिन यहां बेशकीमती हथियारों का खजाना जरूर यहां की शौर्य गाथा को बतलाता है।

बाला किला में बनेगा पहला वेपन म्यूजियम

पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में रियासतकालीन दुर्लभ हथियार से सुसज्जित बाला किला में राज्य का पहला वेपन म्यूजियम बनाया जा रहा है। बाला किले में जिला प्रशासन की ओर से वेपन म्यूजियम बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके लिए जिला कलेक्टर ने कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग जयपुर को पत्र लिखा है। अगर अनुमति मिली ताे यह राज्य का यह पहला वेपन म्यूजियम हाेगा। जहां रियासतकालीन दुर्लभ हथियारों काे जनता देख सकेंगे। इसके खुलने से जिले में पर्यटन काे भी बढ़ावा मिलेगा।

पर्यटन काे मिलेगा बढ़ावा:

बाला किले में बड़ी संख्या में ऐतिहासिक महत्व के हथियारों का जखीरा है। इन हथियारों काे बाला किले में बनाए गए स्टाेर में रखा हुआ है। इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस विभाग के पास है। बाला किले में ऐतिहासिक महत्व के हथियार एवं अन्य चीजाें की सुरक्षा में 24 घंटे गार्ड तैनात रहते हैं।बाला किले के अलावा अलवर संग्रहालय में भी हथियार रखे गए हैं। इन सभी हथियारों काे एक साथ बाला किले में आयुध संग्रहालय बनाकर प्रदर्शित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इससे जनता काे पुराने हथियारों के बारे में ताे जानकारी मिलेगी ही साथ ही पर्यटन काे भी बढ़ावा मिलेगा। बाला किला के संरक्षण, जीर्णोद्धार एवं मरम्मत का कार्य भी तेज़ी से चल रहा है।

वेपन म्यूजियम का प्रस्ताव

कलेक्टर का कहना है कि वेपन म्यूज़ियम का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। अलवर में बहुत ही नायाब और बेशकीमती हथियारों का जखीरा हैं। प्रस्ताव स्वीकृत हाेने के बाद यह अनूठा म्यूजियम का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा । इससे पर्यटन में इजाफा हाेगा।

रियासतकालीन हथियार में गन मैटल व अष्टधातु जैसी शानदार शाही वस्तुओं का है भंडार।

बाला किले में कैमल गन यानि जंबूरा (ऊंट पर रखकर चलाए जाने वाली गन), तिबंदी बंदूक, पत्थर चट्टा (छाेटी बंदूक जाे पत्थर काे भी तोड़ सकती है), क्रिच गन, तीन कमान, तलवारें, छाेटी व बडी ताेपे, ताेप गाेले, टोपीदार बंदूकें सहित अनेक हथियार रखे हुए हैं। इन हथियारों का बाला किला पर कई बार प्रदर्शनी भी लगाई जा चुकी है। अब ये काफी समय से कमराें में बंद पड़े हैं।
राज घराने के निजी सचिव नरेंद्र सिंह ने बताया बाला किले में 500 से अधिक हथियार हैं। इनमें बड़ी संख्या में राजघराने के हथियार भी हैं। पूर्व महाराज तेजसिंह ने इन हथियारों काे मालखाने में रखवा दिया था। इनमें 52 ताे छाेटी-बड़ी ताेपे हैं। ये सभी रियासतकालीन हथियार हैं ओर गन मैटल व अष्टधातु की है।

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