Amrita Pritam: पहली पंजाबी कवयित्री की कुछ ऐसी थी खामोश-इश्क की दास्तां

अमृता प्रीतम ने 31 अक्तूबर 2005 को आखिरी सांस ली। अमृता के निधन पर इमरोज ने कहा कि अमृता उनको छोड़कर नहीं गई हैं। वह अभी भी उनके साथ हैं। अमृता के निधन पर इमरोज ने लिखा था कि उसने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं।

Update: 2019-08-31 06:33 GMT
Amrita Pritam: पहली पंजाबी कवयित्री की कुछ ऐसी थी खामोश-इश्क की दास्तां

नई दिल्ली: पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक अमृता प्रीतम की आज 100वीं जयंती है। 31 अगस्त 1919 को जन्मी अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है। लगभग 100 पुस्तकें लिखने वाली अमृता की सबसे चर्चित आत्मकथा 'रसीदी टिकट' थी।

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अमृता प्रीतम उन साहित्यकारों में थीं जिनकी कृतियों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। अपने अंतिम दिनों में अमृता प्रीतम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्मविभूषण भी प्राप्त हुआ। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से पहले ही अलंकृत किया जा चुका था।

अमृता प्रीतम की लव लाइफ काफी लाइमलाइट में रही

अमृता जितनी प्रसिद्ध कवयित्री थी, उनकी लव लाइफ भी उतनी ही लाइमलाइट में रही। साहिर लुधियानवी से अमृता बेपनाह मोहब्बत करती थीं। मगर अमृता से इमरोज भी काफी प्यार करते थे। बेहद कम उम्र में अमृता की शादी प्रीतम सिंह से हो गई थी। हालांकि, उनकी शादी काफी समय नहीं चल पाई।

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ऐसे में अमृता ने अपनी शादीशुदा जिंदगी से बाहर निकलने का फैसला किया और साहिर का साथ थामा लेकिन ये साथ ज्यादा नहीं चल पाया। मगर जिंदगी के आखिरी समय में इमरोज के रूप में उन्हें सच्चा प्यार मिला। मगर ये बात इमरोज भी अच्छे से जानते थे कि अमृता साहिर से ही प्यार करती हैं।

स्कूटर पर बैठाकर ले जाते थे इमरोज

जब भी इमरोज अमृता को स्कूटर पर बैठाकर ले जाते थे, तब अमृता अपनी ऊंगलियों से उनकी पीठ पर कुछ न कुछ लिखती रहती थीं। दरअसल, अमृता कुछ और नहीं बल्कि साहिर का नाम लिखा करती थीं और ये बात इमरोज भी अच्छे से जानते थे कि लिखा हुआ नाम साहिर का है।

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अमृता प्रीतम ने 31 अक्तूबर 2005 को आखिरी सांस ली। अमृता के निधन पर इमरोज ने कहा कि अमृता उनको छोड़कर नहीं गई हैं। वह अभी भी उनके साथ हैं। अमृता के निधन पर इमरोज ने लिखा था कि उसने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं। अगर अमृता के निधन से कोई सबसे ज्यादा दुखी था तो वो इमरोज ही थे।

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