42 अरब डॉलर के मालिक रहे अनिल अमीरों की लिस्ट से बाहर, वजह है ये मिस्टेक

रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी साल 2008 में दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे। लेकिन शनिवार को उन्होंने रिलायंस कम्युनिकेशंस के पद से इस्तीफा देकर अरबपतियों के क्लब से भी बाहर हो गए हैं। वर्तमान समय में रिलायंस कम्युनिकेशंस दिवालिया कानून की प्रक्रिया से गुजर रही है

Update:2019-11-17 14:17 IST

जयपुर: रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी साल 2008 में दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे। लेकिन शनिवार को उन्होंने रिलायंस कम्युनिकेशंस के पद से इस्तीफा देकर अरबपतियों के क्लब से भी बाहर हो गए हैं। वर्तमान समय में रिलायंस कम्युनिकेशंस दिवालिया कानून की प्रक्रिया से गुजर रही है। शुक्रवार को जारी तिमाही नतीजों के अनुसार कंपनी को 30 हजार करोड़ से अधिक का घाटा हुआ था। अनिल अंबानी के अलावा छाया विरानी, रायना कारानी, मंजरी काकेर और सुरेश रंगाचर ने भी इस्तीफा दे दिया है।

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आखिर अनिल अंबानी से कहा चुक हो गई कि 2008 में उनके पास 42 अरब डॉलर की संपत्ति थी, जो अब 2019 में घटकर 5230 मिलियन डॉलर यानी करीब 3651 करोड़ रुपये हो गई है। जानते हैं कैसी हुई कमी...

*मार्च 2018 में रिलायंस ग्रुप का कुल कर्ज 1.7 लाख करोड़ रुपये था। 31 मार्च 2019 तक आरकॉम पर करीब 35,600 करोड़ रुपये का कर्ज था। साल 2005 में जब धीरूभाई अंबानी के 28,000 करोड़ रुपये के रिलायंस ग्रुप का बंटवारा हुआ था, तब मुनाफा कमाने वाला टेलिकॉम सेक्टर अनिल अंबानी को मिला था। साथ ही यह निर्णय लिया गया था कि आगामी 10 वर्षों तक बड़े भाई मुकेश इस क्षेत्र में दखल नहीं देंगे।

 

*साल 2002 में रिलायंस इन्फोकॉम की शुरुआत हुई थी। तब अनिल अंबानी ने सीडीएमए टेक्नोलॉजी को चुना था। इस टेक्नोलॉजी की एक बड़ी समस्या थी कि 2G और 3G को सपोर्ट करती है। लेकिन भारत में तब 4G की शुरुआत होने वाली थी। निवेश के बाद भी वह तकनीक में पिछड़ गए।

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*अनिल अंबानी ने एक साथ बड़ा विस्तार किया था और उनकी मुख्य कंपनियां भी उसी दौर में घाटे में आ गईं, जिसकी वजह से वे मुसीबतों से घिर गए। 2005 में ऐडलैब्स और 2008 में उन्होंने 1.2 अरब डॉलर का करार ड्रीमवर्क्स के साथ किया था।

*एक ओर अनिल अंबानी की कंपनियां घाटे में चल रही थी, वहीं दूसरी ओर उनके भाई मुकेश अंबानी ने टेलिकॉम क्षेत्र में इंट्री मारी। उन्होंने जियो कंपनी लॉन्च की, जिसकी वजह से अन्य सभी टेलिकॉम कंपनियों को झटका लगा। वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल को भी इसकी वजह से काफी नुकसान हुआ। जियो के आते ही अनिल अंबानी की मुसीबतें भी और बढ़ गईं। पिछले कुछ सालों में अनिल अंबानी ने बिग सिनेमा, रिलायंस बिग ब्रॉडकास्टिंग और बिग मैजिक जैसी कंपनियों को बेचा है।

*अनिल अंबानी की कंपनियों में से सबसे अधिक बाजार पूंजीकरण रिलायंस कैपिटल का, 2,373 करोड़ रुपये था। रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग की बात करें, तो 11 जून तक इस कंपनी का मार्केट कैप 467 करोड़ रुपये था।

 

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* रिलायंस कम्यूनिकेशंस के साथ ही ग्रुप की अन्य कंपनियों पर भी धीरे-धीरे कर्ज का बोझ बढ़ने लगा। अनिल अंबानी की मुश्किलें 2014 में बढ़ने लगीं और एक रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2018 में ग्रुप पर कुल 1.72 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था।रिलायंस पावर पर 30,200 करोड़ रुपये, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर 17,800 करोड़ रुपये, रिलायंस कैपिटल पर 38,900 करोड़ रुपये और रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग पर मार्च 2019 तक 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज था।

इस तरह अनिल अंबानी अब अबरपतियों की लिस्ट से बाहर हैं और उनकी निजी संपत्ति एक अरब डॉलर के नीचे पहुंच गई। दूसरी तरफ अक्टूबर महीने में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) का मार्केट कैप 9 लाख करोड़ के पार पहुंच गया था। ताजा रिपोर्ट के मुताबित, मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति 51.40 अरब डॉलर है।

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