अनिल अंबानी का दावा, इस वजह से हुआ रिलायंस ग्रुप को नुकसान

अंबानी ने एक प्रेसवार्ता में संवाददाताओं से कहा कि चुनौतीपूर्ण हालातों और वित्तपोषकों से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलने के बावजूद उनके ग्रुप ने एक अप्रैल, 2018 से लेकर 31 मई, 2019 के बीच अपने ऊपर बकाया ऋण में 24,800 करोड़ रुपये मूलधन और 10,600 करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान किया है।

Update:2019-06-11 16:20 IST

नई दिल्ली: रिलायंस समूह के प्रमुख अनिल धीरूभाई अंबानी ने कहा कि उनका समूह सभी कर्जों को समय से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले 14 महीनों में उनके समूह ने 35,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया है।

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अंबानी ने एक प्रेसवार्ता में संवाददाताओं से कहा कि चुनौतीपूर्ण हालातों और वित्तपोषकों से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलने के बावजूद उनके ग्रुप ने एक अप्रैल, 2018 से लेकर 31 मई, 2019 के बीच अपने ऊपर बकाया ऋण में 24,800 करोड़ रुपये मूलधन और 10,600 करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान किया है।

उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ हफ्तों के दौरान गैरवाजिब अफवाहों, अटकलों और रिलायंस समूह की सभी कंपनियों के शेयर में गिरावट के चलते हमारे सभी स्टेकहोल्डर्स को काफी नुकसान हुआ है।'

35,000 करोड़ रुपये के ऋण का भुगतान रिलायंस कैपिटल, रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और इनसे संबद्ध कंपनियों से जुड़ा है। अंबानी ने निवेशकों को आश्वस्त किया कि उनका समूह भविष्य में सभी कर्जों को समय से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए उसके पास परिसंपत्तियों के मौद्रिकरण की योजना है जिसे वह कई स्तर पर लागू भी कर चुका है।

अंबानी ने समूह की कुछ समस्याओं के लिए नियामकीय संस्थानों (रेग्युलेटरी अथॉरिटीज) और अदालतों को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में फैसला आने में देरी की वजह से समूह को 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया नहीं मिल पाया। अंबानी ने कहा कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस पावर और उससे संबद्ध कंपनियों का यह बकाया 5 से 10 साल तक पुराना है। इस पर अंतिम निर्णय आने में एक के बाद एक कारणों से देरी हुई।

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उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रणाली ने ADAG ग्रुप के प्रति पूरी तरह उदासीनता बरती और कहीं से भी कोई समर्थन नहीं मिला जिसका परिणाम यह हुआ कि इसने कर्जदाताओं और अन्य स्टेकहोल्डर्स के हितों का नुकसान हुआ। अंबानी ने भरोसे से कहा कि ग्रुप को बदलने की यात्रा शुरू हो चुकी है जिसमें पूंजी को हल्का रखने, कम से कम ऋण लेने और शेयर पर ऊंचा रिटर्न देने की प्रतिबद्धता है जो सभी स्टेकहोल्डर्स के मूल्य को बढ़ाएगा।

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