Anita Sheoran: कुश्ती महासंघ चुनाव में मुख्य दावेदारी पेश कर रही अनिता श्योराण कौन है ?
Anita Sheoran: इनिता श्योरण हरियाणा के भिवानी में स्थित एक छोठे से गांव ढ़ाणी माहू की रहने वाली हैं। पिता पेशे से ड्राइवर हैं जबकि मां गृहणी। अनिता कुल तीन भाई बहने हैं। इनके पिता जी पहलवान थे। दादा जी के पहलवानी के किस्से सुनसुनकर अनिता का भी रुझान स्पोर्ट ओर बढ़ने लगा।
Anita Sheoran: कुश्ती महांसंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष पद के लिए दो उम्मीदवारों- अनिता श्योराण और संजय कुमार सिंह का नाम काफी चर्चा में है। यह पहला मौका है जब कोई महिला इस पद के लिए चुनाव मैदान में है। अनिता श्योराण हिरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं। लेकिन उन्होंने ओडिशा इकाई के प्रतिनिधिक के रूप में अपना नामांकन भरा है। गौरतलब है कि अनिता कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लगे यौन शोषण में गवाह भी है।
इनिता श्योरण हरियाणा के भिवानी में स्थित एक छोठे से गांव ढ़ाणी माहू की रहने वाली हैं। पिता पेशे से ड्राइवर हैं जबकि मां गृहणी। अनिता कुल तीन भाई बहने हैं। इनके पिता जी पहलवान थे। दादा जी के पहलवानी के किस्से सुनसुनकर अनिता का भी रुझान स्पोर्ट ओर बढ़ने लगा।
अनीता श्योरण ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि “घर में रूढ़ीवादी माहौल था। यही कारण था कि पढ़ने दिया जाता था। रनिंग करने जाने पर कमेंट कसा जाता था कि क्या चैंपियन बनेगी। भाई को पीछे लगा दिया जाता था कि कहीं इधर-उधर देख न ले। घर के चबूतरे पर भी बैठने की इजाजत नहीं थी।“
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उन्होंने बताया कि, ''मेरा मौसे रा भाई सेना में भर्ती की तैयारी कर रहा था। वह रोज सुबह दौड़ने जाता था। उसी नें हमसे कहा कि मैं भी उसके साथ रनिंग के चला करूं। लेकिन इतना काफी नहीं था। स्पोर्ट में जाने के लिए मेरा गांव से बाहर निकलना जरूरी था क्योंकि वहां पर न तो माहौल था और न ही मौका। उन्होंने कहा कि मैं भिवानी आना चाह रही थी। लेकिन कुछ जुगाड़ नहीं बन पा रहा था।
चाचा भिवानी में टीचर थे उन्होंने ही अनिता की मां से कहा कि बेटियां पढ़ने में अच्छी हैं क्यों इन्हें भिवानी नहीं भेजती हो। इसके बाद अनिता की आश बंधन लगा और जाने का रास्ता लगभ साफ हो गया था। लेकिन गांव में बस में बिठाकर भिवानी भेजने के लिए कोई तैयार नहीं था।
अनिता श्योराण एक चैनल से बात करते हुए बताया कि, ''मेरी मां ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थीं लेकिन पढ़ाई के महत्व को समझती थीं। उन्होंने मेरी मदद की। मां ने पापा को मनाया और मैं और मेरी दीदी भिवानी पहुंच गए। चाचा ने एक स्कूल में दाखिला दिलाने में मदद किया। दीदी ने कहा कि तुम आर्ट्स विषय से हो तो तुम स्पोर्ट्स ले लो आगेचल कर काफी फायदा होगा। यहीं से सफर की शुरुआत हुई।“