Gunda Act: गुंडा एक्ट में मनमानी नहीं चलेगी, हाईकोर्ट नाराज़, जानिए क्या है ये कानून

Gunda Act: गुंडा एक्ट की चर्चा हम इसलिये कर रहे हैं क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस एक्ट के इस्तेमाल पर सख्त टिप्पणी की है और सरकार को कुछ आदेश दिए हैं।

Update:2023-08-24 12:55 IST
High Court Angry on Gunda Act (Photo: Social Media)

Gunda Act: ब्रिटिश हुकूमत के दौरान आदतन अपराधियों को कंट्रोल करने के लिए 1923 में एक कानून बनाया गया था जिसका नाम था गुंडा एक्ट। इसे पहली बार 1923 में बंगाल में लागू किया गया। अब 100 साल बाद भी इस कानून को कई राज्यों में कई रूपों में इस्तेमाल किया जाता है। गुंडा एक्ट की चर्चा हम इसलिये कर रहे हैं क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस एक्ट के इस्तेमाल पर सख्त टिप्पणी की है और सरकार को कुछ आदेश दिए हैं।

क्या कहा कोर्ट ने

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक ऐसे मामले की सुनवाई हो रही थी जिसमें याचिकाकर्ता ने गुंडा एक्ट लगाए जाने के खिलाफ कोर्ट में गुहार लगाई थी।
इस मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ सिर्फ एक केस दर्ज होने के आधार पर गुंडा एक्ट की नोटिस अवैध है। केवल आदतन अपराधी पर ही गुंडा एक्ट की कार्रवाई हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि देखा यह जा रहा है कि अपनी सनक के चलते अफसर गुंडा एक्ट की कार्रवाई कर रहे हैं।

क्या दिया आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट राज्य सरकार को आदेश दिया कि 31 अक्टूबर तक गुंडा एक्ट की कार्रवाई के बारे में पूरे प्रदेश में एकरूपता की गाइड लाइंस जारी की जाए और सभी जिलाधिकारियों से इसका कड़ाई से पालन कराने को कहा जाए।
हाईकोर्ट ने क्या क्या कहा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि लोक शांति के लिए खतरा बने समाज में भय फैलाने वाले आदतन अपराधी को गुंडा एक्ट की नोटिस दिया जाना चाहिए, केवल एक आपराधिक केस पर गुंडा एक्ट की कार्यवाही नहीं की जा सकती है।इसके बावजूद एक आपराधिक केस पर ही गुंडा एक्ट की नोटिस देकर दुरुपयोग किया जा रहा है, जबकि केवल आदतन अपराधी पर ही गुंडा एक्ट की कार्रवाई हो सकती है।

- यूपी गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत कार्यवाही में एकरूपता नहीं है। मनमाने ढंग से एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है।

- कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों से अपेक्षा है कि व्यक्ति के विरुद्ध आरोपों की सामान्य प्रकृति, जनता के बीच उनकी व्यक्तिगत छवि और उनकी सामाजिक पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में विचार कर एक निर्धारित प्रोफार्मा पर नहीं बल्कि सोच समझ कर आदेश पारित करेंगे।

- कोर्ट ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों और उनके अधीन काम करने वाले कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे आगे से उचित कार्रवाई करेंगे और ठोस आधार व तथ्य होने पर ही कार्रवाई करेंगे।

क्या था मामला

न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने अलीगढ़ के गोवेर्धन नामक व्यक्ति की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया।

हुआ ये था कि याची के खिलाफ यूपी गुंडा नियंत्रण अधिनियम 1970 की धारा तीन के तहत दिनांक 15 जून 2023 को दो मामलों के आधार पर कार्रवाई नोटिस जारी की गई थी। याची के खिलाफ दर्ज दो मामले में एक एफआईआर है तो दूसरी तथाकथित रपट है। मामले अलीगढ़ के थाना छर्रा में दर्ज हैं। कोर्ट ने कहा कि वास्तव में एक ही मामले को लेकर गुंडा एक्ट की कार्यवाही की गई है। कोर्ट ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट को इस अधिनियम द्वारा प्रदत्त असाधारण और असामान्य शक्तियों का प्रयोग करने से पहले पूरी सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन पाया जा रहा है कि इस अधिनियम के प्रावधानों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है। कोर्ट ने याची के खिलाफ एसडीएम वित्त एवं राजस्व अलीगढ़ की गुंडा एक्ट के तहत जारी नोटिस रद्द कर दी।

क्या है गुंडा एक्ट

- गुंडा एक्ट एक प्रकार का निवारक हिरासत कानून है जिसे पहली बार 1923 में बंगाल में लागू किया गया था।

- शुरुआत में गुंडा अधिनियम, 1923 कलकत्ता या कलकत्ता के पड़ोस में रहने वाले या अक्सर आने-जाने वाले कुछ गुंडों को नियंत्रित करने और कुछ परिस्थितियों में उन्हें अन्यत्र हटाने के लिए बनाया गया था।

- यह कानून अधिकारियों को अदालती सुनवाई का प्रावधान किए बिना व्यक्तियों को जेल में डालने में सक्षम बनाता है। इस कानून में जिलाधिकारी को गुंडा एक्ट के तहत आदतन अपराधी को जिला बदर करने का अधिकार दिया गया है।

- ऐतिहासिक रूप से, राजनीतिक असहमति दिखाने वाले लोगों को हिरासत में लेने में इस कानून के उपयोग के लिए इन कृत्यों की आलोचना की गई थी।

- गुंडा एक्ट किसी कार्यकारी मजिस्ट्रेट को किसी गिरोह के सदस्य या 'गुंडा' के रूप में नामित किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने, हिरासत में लेने या जिले से निष्कासित करने की विशेष शक्तियां देता है।

- आज़ादी के बाद कई राज्यों ने गुंडों से निपटने के लिए कानून बनाए। विशेष रूप से इन राज्यों ने गुंडों से निपटने के लिए विशेष कानून बनाए हैं - मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पंजाब, महाराष्ट्र।

-गुंडा एक्ट जैसे विशेष कानून से पुलिस को गैंगस्टरों, माफिया, अंडरवर्ल्ड के लोगों के खिलाफ कानून को और अधिक कठोर तरीके से लागू करने में सक्षम बनाना है।

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