सेना का बड़ा बयान: आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे
हर साल 15 जनवरी को थल सेना दिवस के रुप में मनाया जाता है। हर साल की तरह आज भी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना यानि कि भारतीय सेना थल सेना दिवस मना रही है।
नयी दिल्ली: हर साल 15 जनवरी को थल सेना दिवस के रुप में मनाया जाता है। हर साल की तरह आज भी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना यानि कि भारतीय सेना थल सेना दिवस मना रही है। 72वें सेना दिवस के मौके पर आर्मी चीफ मनोज मुकुंद नरवणे ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले Article 370 के ज्यादातर प्रावधान हटाए जाने के फैसले को ‘ऐतिहासिक कदम’ करार देते हुए कहा कि इसका, पश्चिमी पड़ोसी द्वारा छेड़े गये छद्म युद्ध पर असर पड़ा है। उन्होंने करियप्पा परेड मैदान में 72वें सेना दिवस के मौके पर अपने संबोधन में कहा कि सशस्त्र बल आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करते।
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नरवणे ने कहा, ''आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को जवाब देने के लिए हमारे पास कई विकल्प हैं और हम उनका इस्तेमाल करने में हिचकिचाएंगे भी नहीं।’’ इससे पहले उन्होंने चीन, पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात तथा कश्मीर में छद्म युद्ध से मुकाबला कर रहे सैनिकों को चौबीस घंटे सतर्क रहने को कहा था। इसके साथ उन्होंने जवानों को भरोसा दिलाया कि उनकी विभिन्न जरूरतों को किसी भी कीमत पर पूरा किया जाएगा।''
उन्होंने सेना दिवस की पूर्व संध्या पर 13 लाख कर्मियों वाले बल को दिए अपने संदेश में कहा था कि ''भारतीय सेना ने राष्ट्र के मन में एक विशेष स्थान बनाया है और यह केवल एक लड़ाकू संगठन या राष्ट्रीय शक्ति का औजार नहीं है। उन्होंने कहा, "यह देश की एक मूल्यवान संस्था भी है। हमें अपने मूल्यों, आचार और अपने नागरिकों द्वारा जताए गए भरोसे को बनाए रखने के संकल्प में दृढ़ बने रहना है।''
उन्होंने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) के अंदर सैन्य मामलों का विभाग बनाने के सरकार के फैसले को एक फलदायक कदम बताया जिससे तीनों सेनाओं के बीच अधिक समन्वय होगा। थल सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सेना की प्राथमिक जिम्मेदारी शीर्ष स्तर की तैयारियां बरकरार रखना है। उन्होंने सभी कर्मियों, खासकर पाकिस्तान, चीन की सीमाओं और सियाचिन ग्लेशियर की रक्षा करने वाले जवानों, से कहा कि वे "हर समय सतर्क रहें।"
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उन्होंने "छद्म युद्ध की जटिल चुनौती" का मुकाबला करने वाले जवानों को भी सतर्क करने को कहा। जनरल नरवणे ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आपकी परिचालन साजोसामान संबंधी जरूरतों को हर कीमत पर पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि ''सेना ने उभरते खतरों से निपटने के लिए सैद्धांतिक अनुकूलन और क्षमता वृद्धि की दिशा में कई कदम उठाए हैं''। सैन्य मामलों के विभाग के गठन पर उन्होंने कहा कि इससे नागरिक-सैन्य तालमेल में वृद्धि होगी, रणनीतिक परिणामों की उत्पादकता बढ़ेगी और तीनों सेनाओं के बीच अधिक से अधिक समन्वय हो सकेगा।