Article 370 का खात्मा: दूसरे कार्यकाल में पीएम मोदी का सबसे साहसिक फैसला, इस तरह पूरा किया भाजपा का सपना
Article 370: मोदी सरकार ने तीन साल पहले 2019 में आज के ही दिन जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था।
Article 370: देश के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने गत मई महीने में आठ वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया। इन आठ वर्षों के दौरान मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियों की चर्चा की जाए तो जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को काफी क्रांतिकारी, ऐतिहासिक और साहसिक माना जाता है। इसे प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के दूसरे कार्यकाल का सबसे बड़ा फैसला माना जा सकता है। कई राजनीतिक दलों के नेता इसे असंभव और कल्पना से परे मानते थे मगर पीएम मोदी ने अपने दृढ़ संकल्प के साथ इसे पूरा कर दिखाया।
मोदी सरकार ने तीन साल पहले 2019 में आज के ही दिन जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था। जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों बांट दिया गया और दोनों राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। हालांकि संसद में सरकार की ओर से पेश किए गए इस प्रस्ताव का विपक्ष की ओर से तीखा विरोध किया गया मगर सरकार इसे पारित कराने में कामयाब रही।
भाजपा अपना एजेंडा पूरा करने में कामयाब
राजनीतिक जानकारों का पहले ही कहना था कि अपनी दूसरी पारी के दौरान मोदी ज्यादा आक्रामक तरीके से अपने फैसलों को लागू करेंगे। अपनी दूसरी पारी में ज्यादा मजबूत बनकर उभरे मोदी ने पहले साल के दौरान सबसे बड़ा फैसला जम्मू-कश्मीर को लेकर लिया। संसद की मंजूरी से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 हटा दिया गया और इसके साथ ही राज्य दो हिस्सों में बांट भी दिया गया।
भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही अपने चुनावी घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने की बात कहती रही है मगर यह काम न तो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में किया जा सका और न तो मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान मोदी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया।
पीएम के रूप में मोदी के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद कश्मीर में भी एक देश, एक विधान और एक निशान की व्यवस्था लागू हो गई। मोदी सरकार के इस कदम को भाजपा की बड़ी विजय माना गया क्योंकि इसके जरिए वह अपने एजेंडे को लागू करने में कामयाब रही।
एकजुट होकर काम करने का संकल्प
बाद में राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि इस आर्टिकल के कारण जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों का जो नुकसान हुआ, उस पर कभी चर्चा नहीं की गई। किसी से भी बात करने पर वह यह नहीं बता पाता था कि आर्टिकल 370 से जम्मू-कश्मीर के लोगों को क्या फायदा हुआ। उन्होंने कहा कि देश में कोई भी सरकार हो, वह संसद में कानून बनाकर देश के लोगों की भलाई के लिए काम करती है। हमने जम्मू कश्मीर प्रशासन में नई कार्य संस्कृति और पारदर्शिता लाने का प्रयास किया है।
दशकों के परिवारवाद ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं को नेतृत्व का अवसर ही नहीं दिया। अब जम्मू-कश्मीर के युवा विकास का नेतृत्व करेंगे और उसे नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर पर लोगों को यह भरोसा भी दिया कि धीरे-धीरे हालात सामान्य हो जाएंगे और उनकी परेशानी भी खत्म हो जाएगी। पीएम मोदी का कहना था कि संसद में किसने मतदान किया और किसने नहीं किया, इससे आगे बढ़कर अब हमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हित में मिलकर और एकजुट होकर काम करना है।
वोट बैंक की राजनीति में विश्वास नहीं
अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बड़े फैसले के जरिए मोदी सरकार देशवासियों के एक बड़े वर्ग का दिल जीतने में कामयाब रही। विपक्षी सांसदों के भारी हंगामे के बीच इस संकल्प को पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह का कहना था कि अनुच्छेद 370 हमेशा से अस्थायी रहा है। पहले की सरकारों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी थी और उन्होंने वोट बैंक की राजनीति के तहत इसे समाप्त करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। मोदी सरकार के भीतर न तो राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है और न हम वोट बैंक की राजनीति में विश्वास करते हैं। इसीलिए हमने अनुच्छेद 370 को खत्म करने का संकल्प पेश करने की हिम्मत दिखाई है।
हालांकि इस दौरान सत्तापक्ष को विपक्ष के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और पीडीपी के सदस्यों ने खास तौर पर तीखा विरोध जताया। कई सांसद आसन के समक्ष आकर बैठ गए तो पीडीपी सदस्यों ने अपने कपड़े फाड़ने के साथ विधेयक और संविधान की प्रतियां तक फाड़ डालीं। विपक्षीकरे इस रवैए पर सभापति वेंकैया नायडू ने कड़ा रुख अपनाया था और मार्शलों को हंगामा करने वाले सांसदों को सदन से बाहर करने का निर्देश दे डाला था।
मुश्किल काम आसानी से पूरा
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करना काफी मुश्किल काम माना जाता था। कई राजनीतिक दलों के नेता तो यहां तक दावा किया करते थे कि भाजपा चाहे जितना जोर लगा ले मगर जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने में कभी कामयाब नहीं हो पाएगी।
सियासी जानकारों का भी मानना है कि मोदी ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प के बूते तीन साल पहले आज के दिन वह काम कर दिखाया जिसे कई राजनीतिक दलों के नेता नामुमकिन माना करते थे। मोदी की दूसरी पारी का इसे सबसे साहसिक फैसला माना जाता है।
बदल रहा है जम्मू-कश्मीर
अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने के बाद घाटी में आतंकी घटनाओं में काफी कमी आई है। घुसपैठ की घटनाओं में 33 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई है जबकि संघर्षविराम तोड़ने की घटनाओं में 90 फ़ीसदी गिरावट दर्ज की गई है। आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में भी 61 फ़ीसदी की कमी आई है। आतंकियों की ओर से किए जाने वाले अपहरण के मामले भी 80 फ़ीसदी घटे हैं।
घाटी में पत्थरबाजों की शामत आ गई है और आतंकियों पर शिकंजा कसने में भी बड़ी कामयाबी मिली है। घाटी में निवेश करने वालों की दिलचस्पी बढ़ी है। अलगाववादी गुटों के गतिविधियां ठप पड़ गई हैं और आतंकी आकाओं को पाकिस्तान से जम्मू कश्मीर में दखल देने का मौका नहीं मिल रहा है। घाटी में विधानसभा चुनाव का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है और जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार की ओर से जल्द ही इस दिशा में भी ठोस कदम उठाया जा सकता है।