Assembly Election Result: क्या राहुल गांधी की 'पनौती' ही बन गई कांग्रेस की चुनौती? 2024 की डगर नहीं होगी आसान

Rahul Gandhi vs PM Modi: राहुल गांधी का प्रधानमंत्री मोदी पर निजी अटैक उल्टा असर कर गया। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के परिणाम स्पष्ट कर रहे हैं कि पीएम मोदी पर निजी हमले उनके लिए बैकफायर साबित हुआ है।

Report :  aman
Update: 2023-12-03 09:04 GMT

Rahul Gandhi vs PM Modi (Social  MEDIA)

Rahul Gandhi vs PM Modi: कांग्रेस अपनी गलतियों से नहीं सीख रही क्या? ये सवाल देश की सबसे पुरानी पार्टी के समर्थकों को भी बेचैन कर रही है। हम बात कर रहे हैं कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री मोदी पर निजी हमलों की। एक दशक के राजनीतिक इतिहास को देखें तो जब-जब चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर कांग्रेस ने निजी हमले किए हैं, उसे बड़ा नुकसान हुआ है? हाल ही में जब चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार चल रहा था और ओपिनियन पोल में कांग्रेस, बीजेपी से बढ़त बनाए हुए थी, तभी राहुल गांधी ने 'पनौती' का ऐसा तीर चला कि, नतीजे उन्हें ही घायल करते नजर आ रहे।    

उत्तर भारत में एक बार फिर बीजेपी का बोलबाला दिख रहा है। रिजल्ट के रुझानों में जिस तरीके से तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी का प्रदर्शन दिख रहा है, वो 'आंधी' की तरफ इशारा कर रही है। विशेषज्ञ कांग्रेस की इस हार के जिम्मेदार राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पर निजी हमले को बता रहे हैं। मानना तो ये भी है कि, अगर कांग्रेस नेता और खुद राहुल गांधी अपनी इस हरकत से बाज नहीं आते हैं तो 2024 लोकसभा चुनाव में उन्हें और बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है।  

सोनिया ने कहा था 'मौत का सौदागर' 

दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने राजस्थान चुनाव प्रचार के दौरान न केवल प्रधानमंत्री मोदी पर 'पनौती' कहकर निजी हमले किए थे, बल्कि उन पर तंज भी कसा था। कुछ इसी तरह की गलती राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 'मौत का सौदागर' बताकर की थी। उसके बाद का रिजल्ट किसी से छुपा नहीं है। सोनिया के 'मौत के सौदागर' बयान के बाद कांग्रेस गुजरात में पिछड़ती चली गई, आख़िरकार करारी शिकस्त मिली थी। 

'चाय वाला पीएम नहीं बनेगा'

साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा था, 'मोदी कांग्रेस दफ्तर के बाहर चाय बेचें। वह चायवाला क्या प्रधानमंत्री बनेगा!' बस क्या था, इसी बयान ने बीजेपी की चुनावी रणनीति को धार दे दी। अय्यर का ये बयान चुनावी मुद्दा बन गया था। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के बयान को अपना 'हथियार' बना लिया। ये काफी कारगर सिद्ध हुआ। कांग्रेस को अब तक की सबसे बुरी हार का मुंह देखना पड़ा था। नतीजे आए तो बीजेपी को जहां पूर्ण बहुमत मिला, वहीं कांग्रेस 44 सीट पर सिमट गई।

मणिशंकर का 'नीच' बयान  

साल 2017 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Aiyar) ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए 'नीच किस्म का आदमी' वाक्य का इस्तेमाल किया था। वो वक़्त भी गुजरात विधानसभा चुनाव का ही था। मणिशंकर के इस बयान से जबरदस्त सियासी हंगामा मचा। बीजेपी ने तीखी आलोचना भी की। लेकिन, बयान अपना काम कर गई। पीएम मोदी ने इस बयान को इतना भुनाया कि जीत भाजपा के कदम चूम गई। 

कर्नाटक में सधा प्रचार का मिला था फायदा 

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में इस बार कांग्रेस ने काफी नकारात्मक और आक्रामक प्रचार किया था। उसे सिर्फ तेलंगाना में सफलता मिली। उत्तर के किसी राज्य में कहीं फायदा होता नहीं दिख रहा। आपको बता दें, कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव में सधा प्रचार किया था। जिसका फायदा उसे मिला। इन बातों से आप सहज समझ सकते हैं कि जहां कांग्रेस और राहुल गांधी पीएम मोदी पर निजी हमलों से बचती रही, वहां सफलता मिली। जहां निजी हमले हुए वहां नुकसान उठाना पड़ा है। 

ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए ये सबक है कि, जुबानी जंग भी एक हद तक ही मतदाता बर्दाश्त करते हैं। वोटर्स अगर बिदक गई तो नतीजा वही होगा जो फिलवक्त तीन हिंदी भाषी राज्यों से निकलकर सामने आ रहा है। 

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