अयोध्या फैसले से पहले इकबाल अंसारी ने कही ये बड़ी बात
उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसले के मद्देनजर अयोध्या समेत पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी है। वहीं उत्तर प्रदेश के सभी स्कूल-कॉलेजों सहित सभी शिक्षण संस्थान को शनिवार से सोमवार 11 नवंबर तक बंद रखने का आदेश दे दिया गया है। इस संबंध में सभी डीएम को सूचना भेजी जा रही है।
अयोध्या: देश का सबसे विवादित मामला राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद यानि कि अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज शनिवार सुबह 10:30 बजे अपना फैसला सुनाएगा। फैसले से पहले बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि फैसला जो कुछ भी होगा हम उसका सम्मान करेंगे। फैसले के मद्देनजर अंसारी ने कहा कि सभी नेता और समाज के प्रतिनिधित्व करने वाले वर्ग यही संदेश दे रहे हैं कि अदालत का फैसला माना जाएगा और उस फैसले को लेकर कोई भी ऐसी बात न की जाए जिससे किसी को तकलीफ हो और समज में द्वेष की भावना उत्पन्न हो।
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सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसले के मद्देनजर अयोध्या समेत पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी है। वहीं उत्तर प्रदेश के सभी स्कूल-कॉलेजों सहित सभी शिक्षण संस्थान को शनिवार से सोमवार 11 नवंबर तक बंद रखने का आदेश दे दिया गया है। इस संबंध में सभी डीएम को सूचना भेजी जा रही है। वैसे 12 नवंबर को गुरुनानक जयंती के उपलक्ष्य में छुट्टी होने के कारण स्कूल-कॉलेज अब 13 नवंबर को ही खुल पाएंगे। हालांकि बताया जा रहा है कि प्रदेश में स्थिति को देखते हुए ये छुट्टी बढ़ाई भी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में 2017 में शुरू हुई सुनवाई
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 2017 में सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हुई। उस समय चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा थे। दीपक मिश्रा के बाद रंजन गोगोई CJI हुए। 8 जनवरी, 2019 को रंजन गोगोई ने ये मामला पांच जजों की एक खंडपीठ के सुपुर्द किया। 8 मार्च, 2019 को अदालत ने सभी मुख्य पक्षों को आठ हफ़्ते का समय देते हुए कहा कि वो आपसी बातचीत से मध्यस्थता की कोशिश करें।
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मध्यस्थता करवाकर मामले को सुलझाने की भी कोशिश की गयी
13 मार्च को मध्यस्थता की कार्रवाई शुरू हुई। मई में कोर्ट ने इसका समय बढ़ाकर 15 अगस्त तक कर दिया। मगर मध्यस्थता की कोशिशें कामयाब नहीं हुईं। 6 अगस्त से कोर्ट ने फाइनल दलीलें सुननी शुरू कीं। 16 अक्टूबर को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा। इस मामले पर 40 दिन तक सुनवाई चली थी। बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।
2010 में आया था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
बता दें अयोध्या जमीन विवाद पर तीन जजों की खंडपीठ, जस्टिस एस यू खान, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस डी वी शर्मा ने 2:1 की मेजॉरिटी से फैसला सुनाया। कोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन में रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और UP सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, तीनों का मालिकाना हक माना। इन तीनों के बीच जमीन का बंटवारा करने का निर्देश दिया। एक तिहाई रामलला को, एक तिहाई निर्मोही अखाड़ा को। और एक तिहाई मुस्लिम पक्ष को।
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जहां बाबरी मस्जिद का बीच वाला गुंबद हुआ करता था, वो जगह रामलला को मिली। राम चबूतरा और सीता रसोई निर्मोही अखाड़ा को दी गई। सभी पक्षों ने इस फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील की और इस पर स्टे लग गया।
काफी इंतजार के बाद आज इस मामले का निर्णायक फैसला आ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी जी से लेकर फैसला सुनाने वाले जजों ने भी आमजन से यह अपील किया है कि लोग आपसी में सौहार्द्र बनाये रखें।