अब्दुल नजीर ही नहीं इन जजों को भी मिला बड़ा पद, जानें अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाले पांचों जज आज कहां हैं?

Supreme Court Judges: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अब्दुल नजीर ही नहीं 2019 में अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाने वाले जज आज कहां और किस पद पर हैं?

Written By :  aman
Update:2023-02-13 17:37 IST

अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाले पांचों जज (Social Media)

Supreme Court Judges : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस अब्दुल नजीर (Justice Abdul Nazeer) को रिटायरमेंट के महीने भर बाद ही आंध्र प्रदेश का गवर्नर बनाया गया है। अब्दुल नजीर अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली उन 5 जजों की बेंच में थे, जिन्होंने राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) निर्माण का रास्ता साफ किया। अब्दुल नजीर 5 सदस्यीय खंडपीठ में एकमात्र अल्पसंख्यक न्यायाधीश थे। जस्टिस नजीर के आंध्र के राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

विपक्षी पार्टियों के सुर काफी तल्ख हैं। उन्होंने इस नियुक्ति की आलोचना करते हुए इसे 'ज्यूडिशियरी के लिए खतरा' बताया। आपको बता दें, जस्टिस नजीर (Justice Nazir) शीर्ष अदालत का जज रहते कई महत्वपूर्ण फैसलों वाली बेंच का हिस्सा रहे हैं। जिसमें वर्ष 2019 में अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला अहम था।

अयोध्या मामले में इन जजों ने सुनाया था फैसला, अब कहां?  

अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Justice Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली 5 जजों की खंडपीठ ने फैसला सुनाया था। इस बेंच में रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस बोबडे (Justice Bobde), जस्टिस अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan), जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) शामिल थे। इनमें डीवाई चंद्रचूड़ फिलवक्त सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। अब्दुल नजीर के आंध्र प्रदेश का गवर्नर बनाए जाने पर जब विपक्ष ने हंगामा शुरू किया तो लोगों के मन में अन्य जजों के बारे में जानने की इच्छा जगी, अन्य अभी कहां हैं? वो क्या कर रहे हैं? तो चलिए आपको बताते हैं कि अभी ये जज कहां हैं और क्या कर रहे हैं? 


जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud)

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अभी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI DY Chandrachud) हैं। भारत के मौजूदा सीजेआई पद के लिए उन्होंने नवंबर 2022 में शपथ ली थी। जस्टिस चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं। आपको बता दें, डीवाई चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ भी सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश रहे थे। जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ (Justice Y V Chandrachud) भारत के सबसे लंबे समय तक रहने वाले चीफ जस्टिस थे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कई अहम को सुनाया है जिसमें अयोध्या मामला भी एक है। 


जस्टिस रंजन गोगोई (Justice Ranjan Gogoi)

अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Justice Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली 5 जजों की खंडपीठ ने ही अहम फैसला सुनाया था। जस्टिस गोगोई राम मंदिर पर फैसला सुनाए जाने के ठीक बाद रिटायर हुए थे। 17 नवंबर 2019 को जस्टिस गोगोई सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई पद से सेवानिवृत्त हुए थे। लेकिन, बवाल तब मचा जब रिटायरमेंट के 4 महीने बाद ही राष्ट्रपति ने उन्हें राज्यसभा सांसद के तौर पर मनोनीत किया। रंजन गोगोई राज्यसभा पहुंचने वाले तीसरे न्यायाधीश थे। हालांकि, राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत वो पहले जज थे। जस्टिस गोगोई से पहले देश के 21 वें चीफ जस्टिस रंगनाथ मिश्रा (Justice Ranganath Mishra) को कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा था। वो 1998 से 2004 तक राज्यसभा के सदस्य रहे थे। उनसे पहले जस्टिस बहरुल इस्लाम (Justice Baharul Islam) को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 1983 में उनके रिटायरमेंट के 5 महीने बाद राज्यसभा भेजा था।   


जस्टिस अब्दुल नजीर (Justice Abdul Nazeer)

जस्टिस अब्दुल नजीर सर्वोच्च न्यायालय से पिछले महीने यानी जनवरी 2023 में रिटायर हुए हैं। रिटायरमेंट के महीने भर बाद ही नजीर को आंध्र प्रदेश का गवर्नर नियुक्त किया गया है। अयोध्या मामले में फैसला सुनाने वाले 5 जजों की बेंच में जस्टिस नजीर एकमात्र अल्पसंख्यक जज थे। गौरतलब है कि, अब्दुल नजीर वही जस्टिस हैं जिन्होंने साल 2016 में हुए नोटबंदी (Demonetisation) को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाने वाले जजों की खंडपीठ में भी शामिल थे।   


जस्टिस अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan)

अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाले जजों की बेंच का एक महत्वपूर्ण नाम जस्टिस अशोक भूषण का भी रहा है। जस्टिस भूषण जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे। सेवानिवृत्ति के 4 महीने बाद ही यानी नवंबर 2021 में उन्हें नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल यानी NCLAT का चेयरपर्सन बनाया गया। जस्टिस भूषण का कार्यकाल 4 वर्षों का है। उनके पद ग्रहण से पहले 20 महीने तक ये जगह खाली थी। कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमेटी ने अक्टूबर 2021 में उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी थी। आपको बता दें, जस्टिस अशोक भूषण वही जज हैं जिन्होंने कोविड में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को आर्थिक मदद देने का आदेश सरकार को दिया था।


जस्टिस शरद अरविंद बोबडे (Justice Sharad Arvind Bobde)

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे 23 अप्रैल 2021 को अपने पद से रिटायर हुए थे। जस्टिस बोबडे ने ही जस्टिस गोगोई की जगह ली थी। मुख्य न्यायाधीश बनने से पहले जस्टिस बोबडे 8 साल सर्वोच्च न्यायालय में जज रहे थे। हालांकि, रिटायरमेंट के बाद जस्टिस बोबडे (Justice Bobde) ने कोई आधिकारिक सार्वजनिक पद नहीं संभाला। वो महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी नागपुर (Maharashtra National Law University, Nagpur) के चांसलर हैं।

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