बाबरी केस: फैसला पढ़ते समय कोर्ट ने क्या कहा, यहां पढ़ें केस से जुड़ा हर अपडेट
जज एसके यादव ने कहा कि विश्व परिषद के नेता अशोक सिंघल के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। फैसले में कहा गया है कि फोटो, वीडियो, फोटोकॉपी में जिस तरह से सबूत दिए गए हैं, उनसे कुछ साबित नहीं होता है।
लखनऊ: आज की सबसे बड़ी खबर बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले से जुडी हुई है। लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है।
अपना फैसला पढ़ते हुए जज एसके यादव ने कहा गया कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। संगठन के द्वारा कई बार रोकने का प्रयास किया गया। गुंबद पर असामाजिक तत्व चढ़े थे। जज ने अपने शुरुआती कमेंट में कहा कि ये घटना अचानक ही हुई थी। अदालत ने ये भी माना है कि सीबीआई ने जो आरोप लगाए हैं उसके साक्ष्य नहीं मिले हैं।
इस केस की सुनवाई से पहले लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, नृत्यगोपाल दास, सतीश प्रधान के अलावा सभी आरोपी कोर्ट में मौजूद थे।
6 आरोपी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए थे। इस केस की चार्जशीट में बीजेपी के एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत कुल 49 लोगों का नाम शामिल था।
जिनमें से 17 लोगों का निधन हो चुका है, बाकि 32 आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने के लिए कहा गया था लेकिन 26 आरोपी ही कोर्ट पहुंचे थे।
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फोटो, वीडियो, फोटोकॉपी से कुछ भी साबित नहीं
जज एसके यादव ने कहा कि विश्व परिषद के नेता अशोक सिंघल के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। फैसले में कहा गया है कि फोटो, वीडियो, फोटोकॉपी में जिस तरह से सबूत दिए गए हैं, उनसे कुछ साबित नहीं होता है।
अच्छा है अदालत ने बरी कर दियाः इकबाल अंसारी
बाबरी विध्वंस मामले में फैसला आने पर अयोध्या जन्मभूमि मामले में पक्षकार रहे हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने कहा कि हम कानून का पालन करने वाले मुसलमान हैं।
अच्छा है, अगर अदालत ने बरी कर दिया तो ठीक है, बहुत लंबे समय से अटका हुआ मामला था, खत्म हो गया, अच्छा हुआ, यह ठीक है हम तो चाहते थे कि पहले ही इसका फैसला हो जाए।
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कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
बचाव के पक्ष के वकील ने कहा कि कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष की तरफ से जो दलील पेश किए गए उसमें मेरिट नहीं थी। अभियोजन पक्ष की तरफ से जो साक्ष्य पेश किए वो दोषपूर्ण थे और उस आधार पर सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
अदालत ने माना कि श्रद्धालुओं को कारसेवक मानना सही नहीं थी। सबसे बड़ी बात यह है कि जिन लोगों ने ढांचा तोड़ा उनमें और आरोपियों के बीच किसी तरह की सीधा संबंध स्थापित नहीं हो सका।
ये 32 लोग बरी हुए
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती , महंत नृत्य गोपाल दास, साध्वी ऋतम्भरा, चम्पत राय, विनय कटियार, राम विलास वेदांती, महंत धरम दास, पवन पांडेय, ब्रज भूषण शरण सिंह, साक्षी महाराज,सतीश प्रधान, आरएन श्रीवास्तव, तत्कालीन डीएम, जय भगवान गोयल, रामचंद्र खत्री , सुधीर कक्कड़, अमरनाथ गोयल, संतोष दुबे, प्रकाश शर्मा, जयभान सिंह पवैया, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, लल्लू सिंह, वर्तमान सांसद, ओम प्रकाश पांडेय, विनय कुमार राय, कमलेश त्रिपाठी, गांधी यादव, विजय बहादुर सिंह, नवीन शुक्ला, आचार्य धर्मेंद्र, रामजी गुप्ता।
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