बेहद दयनीय स्थितियों में हैं बांग्लादेश के अल्पसंख्यक
बांग्लादेश में ने अल्पसंख्यकों की स्थितियां बेहद दयनीय हैं। इस्लाम के नाम पर विरोधी विचारधारा के लोगों का कत्लेआम हो रहा है। वहां के प्रशासन ने मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन किया है।
लखनऊ: बांग्लादेश में ने अल्पसंख्यकों की स्थितियां बेहद दयनीय हैं। इस्लाम के नाम पर विरोधी विचारधारा के लोगों का कत्लेआम हो रहा है। वहां के प्रशासन ने मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन किया है। इस्लाम मानवाधिकारों के लिए कोई स्थान नहीं है। दुनिया में भारत इकलौता देश है जहां बहुसंख्यक हिंदुओं को अल्पसंख्यकों की अपेक्षा कम अधिकार हासिल हैं। बांग्लादेश का हिंदू समाज समान अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष कर रहा है।
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जबकि वहां के अधिकतर भूभाग और संसाधनों पर हिंदुओं का स्वामित्व है। भारत सरकार को वहां हस्तक्षेप करते हुए हिंदुओं के समान अधिकार और मानवाधिकार की रक्षा के लिए मजबूती से बात रखनी चाहिए। यह बातें इज़राइली मूल के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. रिचर्ड बेंकिन ने रविवार को लखनऊ जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में कहीं। वह “बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के जातीय नरसंहार" पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश और रक्षा नीतियों के संबंध में खुलकर तारीफ़ की। उनका कहना था कि भारत को रक्षात्मक की बजाय आक्रामक रुख अपनाकर ही पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से मुक्ति मिल सकेगी। हिंसा का प्रतिकार करना अनैतिक और अमानवीय नहीं बल्कि अनिवार्य है। उन्होंने "ए क्विट केस ऑफ़ एथेनिक क्लीन्सिंग : द मर्डर ऑफ़ बांग्लादेश इन हिन्दू" पुस्तक भी लिखी है।
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इस अवसर पर समिति की उपाध्यक्षा कुमारी दीक्षा कौशिक ने कहा कि बांग्लादेश मे अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार का खुला उल्लंघन हो रहा है , विशेषकर हिन्दुओ पर वहॉं बर्बर और अमानुषिक अत्याचार हो रहा है ।पूरे दक्षिण एशिया विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप की आत्मा एक ही है , एक ज़िम्मेदार देश होने के कारण भारत को इस मामले मे क़तई चुप नही बैठना चाहिये और एक क्षेत्रीय महाशक्ति की तरह व्यावहार करते हुये बांग्लादेश पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाकर वहॉं सामुदायिक सद्भाव और मानवाधिकारों की रक्षा , तुरंत प्रभाव से करनी चाहिये वरना बांग्लादेश को पाकिस्तान बनते देर नही लगेगी ।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्व संवाद केंद्र के सचिव और लखनऊ जनसंचार संस्थान के निदेशक श्री अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि कुरान कहती है जो अल्लाह के रास्ते पर है वह अल्लाह की पार्टी में है। जो कुरान को नहीं मानते वह शैतान की पार्टी के लोग हैं। जो अल्लाह के बताए रास्ते पर चले वह अपने हैं अर्थात मोमिन हैं। जो दूसरे रास्ते पर चले उनके लिए एक ही सजा है सजा-ए मौत। यह भारत, पाकिस्तान या बांग्लादेश की नहीं है। यह गजवा-ए-हिंद की विचारधारा है। पाकिस्तान का स्वरूप बदल जाने से हिंदुओं को रंचमात्र भी राहत नहीं मिली। यह बड़ा हुआ अत्याचार बांग्लादेश में ही नहीं, म्यामार में भी है।
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मयांमार में जो मंदिर तोड़े गए, हिंदुओं के घर जलाए गए, मीडिया अभी उस विषय को नहीं उठा रहा है। यह सभी जानते हैं जो हिंदुत्व की विचारधारा मानवतावादी है। हमारी विचारधारा यह भी है कि अहिंसा परमोधर्मः हिंसा तथैव च। यह संस्कृति डरपोक संस्कृति नहीं है। हम सभी में आत्मा देखते हैं। पर इसका मतलब यह नहीं है कि हम कमजोर या कायर हैं। जहां हिंदू हैं वहां पंथनिरपेक्षता कायम है। यह समस्या सिर्फ बांग्लादेश में ही नहीं बंगाल में भी आ गई है। बहाबी विचारधारा पूरे विश्व में फैल रही है। इसलिए संपूर्ण विश्व को हमने आदर दिया। इज़राइल भी ऐसा कहता है कि भारत ने हमारे साथ अपनेपन और मानवीय व्यवहार किया। बांग्लादेश में जो हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं, उसका जवाब भी देना होगा। जब-जब दूसरे देश में जन्मे लोग भारत पर शासन करेंगे, यह समस्या बनी रहेगी। भारत यह समस्या 1200 वर्षों से झेल रहा है।
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विषय प्रवेश हिंदू संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री अरुण उपाध्याय ने किया। उन्होंने बताया कि भू राजनीतिक दृष्टि से भारतीय उपमहाद्वीप का विषय भारत के लिए बेहद अहम हो जाता है। बांग्लादेश के हिंदुओं के पास जमीन अधिक है। वहां के अधिकतर व्यापारी हिंदू हैं। वहां के अधिकतर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर हिंदू जन का स्वामित्व है। बांग्लादेश में रूल ऑफ लॉ सभी के लिए एकसमान नहीं है।
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इस मौके पर सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता और असम निवासी सुश्री बेबी देवी बोनिया, दिल्ली में एबीवीपी की सक्रिय कार्यकर्ता सुश्री दीक्षा कौशिक और विद्यानंद दिल्ली से पधारे। बड़ी संख्या में पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचारों से संगोष्ठी के विषय को समझने में सहभागिता की। लखनऊ विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. अमित सिंह कुशवाहा, चैतन्य वेलफेयर फाउंडेशन की अध्यक्ष श्रीमती ओम कुमारी सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता ई. ओमप्रकाश पांडेय, लखनऊ बार एसोसिएशन के संयुक्त मंत्री श्री अभिनव नाथ त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार श्री अमिताभ त्रिवेदी, श्री सांतोष भार्गव, श्री शरद मिश्र, श्री दीपक के एस, श्री अनूप मिश्र, श्री संतोष पटवा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्त श्री गौरव नायक सहित कई अन्य बुद्धिजीवियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम का संयोजन श्री प्रवीण श्रीवास्तव और डॉ. अतुल मोहन सिंह ने किया।