BBC Radio: 85 साल की सेवा के बाद बीबीसी अरबी रेडियो बंद, यहां देखें पूरी डिटेल

BBC Radio: रेडियो के अंतिम प्रोग्राम में एक सीरीज़ चलाई गई जिसमें स्टेशन के गौरवशाली अतीत की कहानियां और महत्वपूर्ण अरब हस्तियों के साक्षात्कार के अंश शामिल हैं। बीबीसी धीरे धीरे सभी भाषाई रेडियो बन्द कर रहा है।

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2023-01-29 01:42 GMT

BBC Radio (Social Media)

BBC Radio: 85 वर्षों की सेवा के बाद, बीबीसी अरबी रेडियो बन्द हो गया है। रेडियो के अंतिम प्रोग्राम में एक सीरीज़ चलाई गई जिसमें स्टेशन के गौरवशाली अतीत की कहानियां और महत्वपूर्ण अरब हस्तियों के साक्षात्कार के अंश शामिल हैं। बीबीसी धीरे धीरे सभी भाषाई रेडियो बन्द कर रहा है जिसमें बीबीसी हिंदी भी शामिल है। बीबीसी अरबी रेडियो, ब्रिटिश इम्पीरियल सर्विस की पहली विदेशी भाषा शाखा थी, जिसने 1932 में अंग्रेजी में ब्रिटिश उपनिवेशों को समाचार प्रसारित करना शुरू किया।

1938 में पहला प्रोग्राम

बीबीसी अरबी स्टेशन का पहला शो 3 जनवरी 1938 को शाम 4:45 बजे लंदन समय पर प्रसारित किया गया था। इसके पहले नाजी जर्मनी और फासीवादी इटली ने खाड़ी और मध्य पूर्व में ब्रिटेन की उपस्थिति और हितों के बारे में अरबी हवाई तरंगों पर प्रचार प्रसार शुरू किया था। जर्मन और इतालवी प्रचार का मुकाबला करने के लिए स्थापित ब्रिटिश एम्पायर सर्विस का ये पहला विदेशी भाषा रेडियो था।

व्यापक कवरेज

बीबीसी स्टेशन ने द्वितीय विश्व युद्ध, 1956 का स्वेज संकट, कई अरब-इजरायल युद्ध, फिलिस्तीनी विद्रोह, इराक पर आक्रमण और 2011 में इस क्षेत्र में हुए व्यापक विरोध को कवर किया।

डिजिटल पर फोकस

लागत में कटौती और डिजिटल कंटेंट के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने की योजना के तहत सितंबर में बीबीसी अरबी और फारसी रेडियो को बंद करने की घोषणा की गई थी।इससे बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में लगभग 382 लोगों की नौकरी चली जाएगी। वर्ल्ड सर्विस का कहना है कि इसका उद्देश्य अरबी और फ़ारसी रेडियो स्टेशनों को हटाकर 28.5 मिलियन पाउंड बचाना है, जो सालाना 500 मिलियन पाउंड बचाने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।

वर्ल्ड सर्विस

बीबीसी वर्ल्ड सर्विस अपनी किर्गिज़, उज़्बेक, हिंदी, बंगाली, चीनी, इंडोनेशियाई, तमिल और उर्दू रेडियो सेवाओं को भी बंद कर रही है जबकि चीनी, गुजराती, इग्बो, इंडोनेशियाई, पिजिन, उर्दू और योरूबा में सेवाओं को डिजिटल कर रही है। ब्रिटिश विदेश कार्यालय ने 2014 तक बीबीसी वर्ल्ड सर्विस को वित्तपोषित किया। इसके बाद यह करदाताओं, विज्ञापनों और सरकारी धन पर निर्भर रहने लगा।

पुरानी यादें

मिस्र के पत्रकार अहमद कमाल सरौर ने पैलेस ऑफ वेस्टमिंस्टर की बिग बेन घड़ी की प्रसिद्ध झंकार के बाद अरबी में रेडियो का पहला समाचार बुलेटिन प्रस्तुत किया। बीबीसी अरबी रेडियो को "हुना लंदन" या "यह लंदन है" के रूप में भी जाना जाता था। समाचार प्रस्तुतकर्ता इन शब्दों के साथ शो शुरू करते थे। 3 जनवरी 1938 को प्रसारित एक घंटे और 35 मिनट के प्रसारण में यमन के राजा के बेटे, लंदन में सऊदी अरब और इराक के मंत्रियों और ब्रिटेन में मिस्र के राजदूत के भाषण भी शामिल थे। यह अदन के ब्रिटिश गवर्नर बर्नार्ड रेली के एक संदेश के साथ समाप्त हुआ।

ऑनलाइन मिलेगा कंटेंट

श्रोताओं को उपलब्ध कराने के लिए बीबीसी अरबी रेडियो के संग्रह को ऑनलाइन अपलोड करने की योजना है। हालांकि स्टेशन नहीं रहेगा, लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अरबी में सामग्री का प्रोडक्शन जारी रहेगा।

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