मिथुन से पहले कई अभिनेता आजमा चुके हैं राजनीति में किस्मत, जानिए कैसा रहा सफर
पश्चिम बंगाल में पैदा हुए अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती कोई पहले अभिनेता नहीं है जो राजनीति में सक्रिय होने की राह पर हैं। फिल्म अभिनेता राज बब्बर तो यूपी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके है।
श्रीधर अग्निहोत्री
नई दिल्ली: मंगलवार को फिल्म अभिनेता और पश्चिम बंगाल में बेहद लोकप्रिय रहे मिथुन चक्रवर्ती की RSS प्रमुख मोहन भागवत से हुई मुलाकात के बाद इस बात के कयास लगने शुरू हो गए कि वह जल्द ही भाजपा में शामिल होगें। हांलाकि वह पूर्व में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की पार्टी TMC से राज्य सभा सदस्य रह चुके हैं। पर इस साल यहाँ होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले एक बार फिर वह चर्चा में हैं।
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पश्चिम बंगाल में पैदा हुए अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती कोई पहले अभिनेता नहीं है, जो राजनीति में सक्रिय होने की राह पर हैं। फिल्म अभिनेता राज बब्बर तो यूपी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके है। शाहजहांपुर के रहने वाले राजपाल यादव से पहले बालीबुड की कई नामीगिरामी हस्तियों ने यूपी से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की। अभिनेता अमिताभ बच्चन,जया प्रदा,जया बच्चन,स्मृति ईरानी सहित कई नामी गिरामी फिल्मी हस्तियों ने यूपी राजनीति के लिए यूपी को ही अपनी कर्म भूमि बनाया। लेकिन राजनीतिक दल बनाकर यूपी में राजनीतिक पारी शुरू करने वाले राजपाल यादव पहले अभिनेता है।
ऐसा करने वाले वे पहले अभिनेता नहीं है
ऐसा करने वाले वे पहले अभिनेता नहीं है। इससे पहले फिल्मों के सदाबहार नेता देवानंद और तमिल और तेलगू फिल्मों के नामीगिरामी अभिनेता एमजी आर और एनटी रामाराव, चिरंजीवी और उनके भाई पवन कल्याण ने भी राजनीतिक दल बनाकर ही अपनी सियासी श्ुारू की थी। लेकिन देवानंद का राजनीति से बहुत जल्दी मोहभंग हुआ तो MGR और NTR ने राजनीति में बुलंदियों को छुआ। 1977 में जब आपालकाल के बाद चुनाव हुए तो कांग्रेस से बदला लेने के लिए एकजुट होकर सारे फिल्म स्टार्स ने जनता पार्टी के उम्मीदवारों का प्रचार किया। लेकिन जनता पार्टी की सरकार बनने पर निराशा हांथ लगी। 1979 में जनता पार्टी सरकार के पतन के बाद सारे फिल्म स्टार्स ने मिलकर राजनीतिक दल के गठन का निर्णय लिया।
देवानंद की अध्यक्षता में नेशनल पार्टी आफ इंडिया का गठन किया गया
तब १४ सितंबर १९७९ को मुंबई के ताजहोटल में देवानंद की अध्यक्षता में नेशनल पार्टी आफ इंडिया का गठन किया गया। उस समय इस पार्टी में देवानंद के भाई विजय आंनद,वी.शांताराम,जीपी सिप्पी, राम वोहरा, आईएस जौहर, रामानंद सागर, आत्माराम, शत्रुघ्न सिन्हा, धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी, संजीव कुमार सहित कई हीरों-हीरोईन इस पार्टी का हिस्सा बने थे। जब इस पार्टी की मुंबई के शिवाजी पार्क में पहली रैली हुई तो उसमें उमड़ी भीड़ ने उस समय कांग्रेस और जनता पार्टी की चिंता बढ़ा दी। दोनो पार्टियों की नसीहत और हिदायत के बाद नेशनल पार्टी आफ इंडिया का वजूद ही खत्म हो गया।
1975 में आपातकाल के बाद दोनों के रिश्ते में गहरी खांई पैदा हो गई
हालांकि एक लंबे अर्से तक फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों का झुकाव शुरू में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ ही था। प्रधानमंत्री जवाहर लाह नेहरू और उससमय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे मोरारजी देसाई के फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों से गहरे रिश्ते थे। 1975 में आपातकाल के बाद दोनों के रिश्ते में गहरी खांई पैदा हो गई। सरकार ने स ती दिखाई तो फिल्म स्टार्स की चूल हिल गई। सरकार की स ती के आगे यह लोग नाचने गाने को मजबूर हुए। अभिनेता और गायक किशोर कुमार ने थोड़ा विरोध जताया तो उनके यहां इनकमटैक्स के छापे पड़ने लगे और रेडियों पर उनके गाने बजने बंद हो गए।
1977 में किसी राज्य के सीएम बनने वाले वे पहले एक्टर थे
हिन्दी फिल्मों के इन नामी गिरामी लोगों द्वारा दल बनाकर राजनीति करने का मंसूबा भले न पूरा हुआ हो लेकिन दक्षिण में कई ऐसे उदाहरण है कि वहां लोगों ने फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी अपना सिक्का जमाया। तमिल फिल्मों में तीन दशकों तक छाए रहे एमजी आर (मरूधर गोपालन रामचंद्रन) ने 1972 में अन्नाद्रमुक पार्टी का गठन किया। और 1977 में किसी राज्य के सीएम बनने वाले वे पहले एक्टर थे। इसी तरह तेलगू फिल्मों में गरीबों के मसीहा की छवि बनाने वाले एनटी रामाराव ने 1982 में टीडीपी का गठन किया।
चुनाव के दौरान रथ यात्रा शुरू करने वाले वे पहले राजनेता थे
चुनाव के दौरान रथ यात्रा शुरू करने वाले वे पहले राजनेता थे। वे स्वयं आन्ध्र प्रदेश के सीएम बने और 1989 में केन्द्र की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के गठन में भी अहमं भूमिका निभाई। इसी तरह दक्षिण फिल्मों के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले चिंरजीवी ने 2008 में प्रजाराज्यम पार्टी बनाई और पहले विधानसभा चुनाव में 18 सीटे जीती। 2011 में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया जबकि उनके छोटे भाई पवन कल्याण जो वहां के फिल्म उद्योग में स्थापित है। ने भी जनसेवा पार्टी का गठन किया था।
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पवन कल्याण भाजपा से प्रभावित थे। दोनों की राजनीतिक कर्मभूमि एक ही थी। इनके अलावा फिल्म अभिनेत्री राखी सावंत ने भी राष्ट्रीय आम पार्टी के नाम से राजनीतिक दल का गठन किया था। उनकी पार्टी का चुनाव निशान मिर्ची था। लेकिन जिस तरह से रूपहले पर्दे से वे आउट हो गई उसी तरह उनकी राजनीतिक पार्टी भी फुस्स हो गई।
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