ठंड से कांप रहा था भिखारी, DSP ने गाड़ी रोककर देखा तो रह गए दंग

मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक ऐसा मामला सामने आया है , डीएसपी सड़क किनारे बैठे एक भिखारी की मदद करने उसके पास पहुंचे तो दंग रह गए। वो भिखारी उनके बैच का ऑफिसर निकला।

Update: 2020-11-13 15:15 GMT
भिखारी निकला ऑफिसर, सालों से इस हालत में भटक रहा था

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी अनजान की मदद करने जाओ और वो आपके जान पहचान का निकल जाए। जिसको देख कर आप अपनी आँखों पर यकीन ना कर पाए की जिस व्यक्ति की आप मदद करने आए वो आपका ही साथी है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक ऐसा ही मामला सामने आया है , जब डीएसपी सड़क किनारे बैठे एक भिखारी की मदद करने उसके पास पहुंचे तो दंग रह गए। वो भिखारी उनके बैच का ऑफिसर निकला।

डीएसपी ने भिखारी को देख रोकी गाड़ी

दरअसल, ग्वालियर में उपचुनाव की मतगणना के बाद डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया झांसी रोड से निकल रहे थे। जैसे ही दोनों बंधन वाटिका के फुटपाथ से होकर गुजरे तो उन्होंने देखा कि एक अधेड़ उम्र का भिखारी ठंड से ठिठुर रहा है। उसे देख उन्होंने अपनी गाड़ी रोकी और उससे बात करने पहुंच गए।

अधिकारियों ने उसकी मदद

जिसके बाद दोनों अधिकारियों ने उसकी मदद की। उसे जूते और जैकेट भी दी गई। इसके बाद जब दोनों ने बातचीत शुरू की तो हतप्रभ रह गए। वह भिखारी डीएसपी के बैच का ही ऑफिसर निकला। पिछले 10 साल से लापता घूम रहा ये पुलिस अफसर रहा है। उसका नाम मनीष मिश्रा है।

बिगड़ी थी मानसिक स्थिति

1999 बैच का यह पुलिस अधिकारी एक अचूक निशानेबाज रहा था। मिली जानकारी के मुताबिक मनीष मिश्रा एमपी के विभिन्न थानों में थानेदार के रूप में पदस्थ रहे हैं। 2005 तक पुलिस की नौकरी की। लेकिन धीरे-धीरे उनकी मानसिक स्थिति खराब होने लगी। जिसके बाद उनका कई जगहों पर इलाज चला लेकिन वे वह से भाग निकले। परिवार वालों को भी नही पता चला की ये कहां चले गए। उनकी पत्नी ने भी उन्हें छोड़ दिया, बाद में तलाक ले लिया। धीरे-धीरे वह भीख मांगने लगे। 10 सालों से वो ऐसी ही ज़िन्दगी बिता रहे हैं।

इन दोनों अधिकारीयों ने ये सोचा भी नहीं था कि वो ऐसी स्तिथि में मिलेंगे। बता दें, कि मनीष साथ सन 1999 में पुलिस सब इंस्पेक्टर की पोस्ट पर भर्ती हुए थे। इसके बाद दोनों ने काफी देर तक मनीष मिश्रा से पुराने दिनों की और अपने साथ चले को कहा लेकिन वो जाने को राजी नहीं हुए।

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परिवारवाले भी हैं बड़े अधिकारी

इसके बाद दोनों अधिकारियों ने मनीष को एक समाजसेवी संस्था में भिजवाया। वहां मनीष की देखभाल शुरू हो गई है। मनीष के परिवार वाले भी मनीष की तरह अधिकारी हैं। भाई भी थानेदार हैं और पिता और चाचा एसएसपी के पद से रिटायर हुए हैं। बहन भी किसी दूतावास में अच्छे पद पर हैं। मनीष की पत्नी, जिसका उनसे तलाक हो गया, वह भी न्यायिक विभाग में पदस्थ हैं। फिलहाल मनीष के दोनों दोस्तों ने उनका इलाज फिर से शुरू करा दिया है।

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