देश के ये हैं सबसे बड़े वकील! एक-एक सुनवाई की फीस भरने में बिक जाए घर-द्वार; हैरान करने वाले कुछ नाम

Highest Paid Lawyers: देश के सबसे महंगे और बड़े वकीलों की सूची में शुमार हैं ये नाम-;

Update:2025-04-14 12:37 IST

Photo: Social Media

Best and Top Paid Lawyers in India: कहते हैं कि न्याय की राह के रक्षक हैं वकील, सच और कानून का रखते हैं दिल से साथ इतना ही नहीं बल्कि हर मुद्दे को तर्क से सुलझाते हैं और इंसाफ की उम्मीद उन्हीं से जगाते हैं। खबर है कानून और न्याय के बीच की कड़ी वकीलों पर। न्यूजट्रैक की इस रिपोर्ट में पढ़िए कि देश के वकीलों यानी लॉयर्स की टॉप लिस्ट में कौन-कौन से नाम शामिल हैं? इनकी फीस इतनी है कि एक-दो सुनवाई की कमाई मात्र से एक सामान्य इंसान के घर और गाड़ी का सपना पूरा हो जाए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट-  

हरीश साल्वे: कानूनी विरासत और चमकदार करियर की कहानी

भारत के प्रतिष्ठित वकीलों में शुमार हरीश साल्वे न सिर्फ देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी कानूनी प्रतिभा के लिए पहचाने जाते हैं। उनका जन्म 22 जून 1955 को एक मराठी परिवार में हुआ था, जहां कानून की समझ और सेवा भावना उन्हें विरासत में मिली। उनके पिता एन.के.पी. साल्वे पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट थे, जो बाद में कांग्रेस पार्टी में एक प्रमुख नेता बने। उनकी मां अम्ब्रिति साल्वे डॉक्टर थीं। दिलचस्प बात यह है कि उनके दादा पी.के. साल्वे एक प्रसिद्ध आपराधिक वकील रहे हैं, जबकि उनके परदादा एक न्यायिक अधिकारी (मुंसिफ) थे। यह कहना गलत नहीं होगा कि कानून साल्वे के खून में था और उन्होंने इस पारिवारिक परंपरा को बखूबी आगे बढ़ाया।

हरीश साल्वे ने अपने करियर की शुरुआत वरिष्ठ वकीलों की सहायता करते हुए की, जिनमें नानी पाल्खीवाला और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी जैसे कानूनी जगत के दिग्गज शामिल हैं। उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल और अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है, जिनमें कुलभूषण जाधव केस प्रमुख है। इसके अलावा उन्होंने कई भारतीय बैंकों, कॉर्पोरेट्स और डिफॉल्टर्स के पक्ष में भी पैरवी की है। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी अदालती लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं।

Harish Salve (Photo: Social Media)


1999 से 2002 तक साल्वे ने भारत के सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी सेवाएं दीं, और अपनी रणनीतिक सोच व कानूनी समझ से देश की न्याय व्यवस्था में अहम योगदान दिया। उनकी कमाई और संपत्ति हमेशा से चर्चा में रही है। इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल में एक मामले के दौरान उन्होंने 2010-11 में अपनी सालाना आय 35 करोड़ रुपये बताई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आज उनकी फीस हाई-प्रोफाइल केस में 35 लाख रुपये तक जाती है, जबकि एक दिन की कमाई 15-20 लाख रुपये तक मानी जाती है। अनुमान है कि उनकी कुल संपत्ति 200 से 250 करोड़ रुपये के बीच है। टाटा ग्रुप, रिलायंस इंडस्ट्रीज, और ITC जैसी देश की दिग्गज कंपनियां उन्हें अपना कानूनी सलाहकार मानती हैं।

मुकुल रोहतगी: अदालतों के गलियारों में चार दशकों से गूंजता एक सशक्त नाम

देश के कानूनी परिदृश्य में एक प्रभावशाली नाम मुकुल रोहतगी का है, जिनका जन्म 1955 में मुंबई में हुआ था। हालांकि उनकी स्कूली पढ़ाई मुंबई और दिल्ली—दोनों जगह हुई, लेकिन कानून की पढ़ाई उन्होंने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से पूरी की। दिलचस्प बात यह रही कि लॉ की डिग्री मुंबई से लेने के बावजूद उन्होंने वकालत की शुरुआत दिल्ली बार काउंसिल से पंजीकरण कराकर की। एक केस की फीस एक से दो करोड़ रुपए है।

महज 38 साल की उम्र में 1993 में मुकुल रोहतगी दिल्ली हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट के रूप में नियुक्त किए गए, जो उनके तेज़ी से उभरते करियर की पहली बड़ी उपलब्धि थी। इसके बाद 1999 में वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में उन्हें एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाया गया। कानूनी क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता और निष्पक्ष छवि के कारण उन्हें 2014 से 2017 तक भारत का अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया गया। खास बात यह रही कि 2017 के बाद उन्हें दोबारा इस पद के लिए प्रस्ताव दिया गया, जिसे उन्होंने विनम्रता से ठुकरा दिया।

अपने करीब चार दशक लंबे करियर में रोहतगी ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में देश का प्रतिनिधित्व किया है। इनमें 2002 के गुजरात दंगे, और 2022 में अभिनेता शाहरुख़ ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान का ड्रग्स केस प्रमुख हैं। इसके अलावा उन्होंने कई कॉर्पोरेट मामलों में भी बड़ी कंपनियों की ओर से पैरवी की है। उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज, फ्यूचर ग्रुप जैसे दिग्गज कॉर्पोरेट्स का प्रतिनिधित्व किया है। फ्यूचर ग्रुप केस में उनके सामने प्रतिद्वंद्वी के रूप में अमेज़ॉन जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनी थी। इसके अलावा, उन्होंने फेसबुक और व्हाट्सऐप का भी दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया है।

Mukul Rohtagi (Photo: Social Media)


पी. चिदंबरम: कोर्टरूम से संसद तक, वकील से देश के गृहमंत्री बनने का सफर

भारत के वरिष्ठ अधिवक्ताओं में गिने जाने वाले पी. चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश के कई हाईकोर्टों में अपनी वकालत के दम पर एक मजबूत पहचान बनाई। लेकिन उनका करियर सिर्फ अदालतों तक सीमित नहीं रहा — उन्होंने कानूनी पेशे के साथ-साथ राजनीति की दुनिया में भी कदम रखा, और ट्रेड यूनियनों के कई अहम मुकदमों में पैरवी करते हुए एक राजनीतिक चेहरे के रूप में उभरना शुरू किया।

राजनीति में उनकी सक्रिय भागीदारी की शुरुआत 1984 से मानी जाती है, जब उन्होंने तमिलनाडु की शिवगंगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर पहली बार संसद में प्रवेश किया। यह चुनाव उनके राजनीतिक जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। बता दें कि इनकी फीस 10-12 लाख रुपए प्रति सुनवाई है।

इसके बाद चिदंबरम का कद लगातार बढ़ता गया। कांग्रेस पार्टी के प्रमुख चेहरों में शुमार होते हुए, उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में वित्तमंत्री और बाद में गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। आज भी पी. चिदंबरम को एक ऐसे नेता और वकील के रूप में देखा जाता है जिन्होंने कानून, प्रशासन और राजनीति — तीनों क्षेत्रों में अपनी गहरी समझ और प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई है।

P Chidambram (Photo: Social Media)


अभिषेक मनु सिंघवी: राज्यसभा सांसद और मशहूर वकील, फीस और नेटवर्थ के मामले में भी टॉप पर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के नामचीन वकील अभिषेक मनु सिंघवी इन दिनों तेलंगाना से 2024-26 के लिए राज्यसभा सांसद हैं। राजनीति के साथ-साथ कानून के क्षेत्र में भी उनका योगदान शानदार रहा है। जोधपुर (राजस्थान) में 24 फरवरी 1959 को जन्मे सिंघवी ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की और 1997-98 में भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सबसे पहले वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया था। वे सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

40 वर्षों से ज्यादा लंबे करियर में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं का अदालत में प्रतिनिधित्व किया है। हाल ही में उन्होंने केजरीवाल को शराब घोटाले में जमानत दिलाई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिंघवी 6 से 11 लाख रुपये प्रति पेशी चार्ज करते हैं और उनकी नेटवर्थ अरबों रुपये में है। खुद सिंघवी का दावा है कि वे हर साल करोड़ों रुपये इनकम टैक्स के रूप में अदा करते हैं।

Abhishek Manu Singhvi (Photo: Social Media)


कपिल सिब्बल: कानून और राजनीति दोनों में दमदार उपस्थिति

देश के जाने-माने वकील और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का जन्म 8 अगस्त 1948 को जालंधर, पंजाब में हुआ था। एक शिक्षित और कानूनी पृष्ठभूमि वाले परिवार से आने वाले सिब्बल के पिता हीरा लाल सिब्बल भी एक प्रतिष्ठित वकील थे।

1972 में वकालत की शुरुआत करने वाले सिब्बल ने 1973 में आईएएस परीक्षा पास की, लेकिन नौकरी छोड़कर कानून को ही अपना करियर बनाया। 1983 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने और 1989 में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किए गए। इनकी एक सुनवाई की फीस 10-12 लाख रुपए है।

वे 1994 में संसद में पेश होने वाले पहले वकील बने जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग के दौरान सफलतापूर्वक बचाव किया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के वे तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं। कपिल सिब्बल ने कई हाई-प्रोफाइल केस लड़े हैं, जिनमें राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद, 2जी स्पेक्ट्रम, ट्रिपल तलाक, राफेल डील, और नेशनल हेराल्ड मामला प्रमुख हैं। आज भी देश के सबसे अनुभवी और चर्चित वकीलों में गिने जाते हैं।

Kapil Sibble (Photo: Social Media)


Tags:    

Similar News