Bharat Bandh: झारखंड सरकार का खुला समर्थन, सड़क पर उतरे कृषि मंत्री
झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बंद से खुद को अलग रखा है। लिहाज़ा, चैंबर से जुड़े दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठान खुले रखे हैं। चैंबर के महासचिव धीरत तनेजा ने कहा है कि, इस बंद का कोई औचित्य नहीं हैं।
रांची: कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ भारत बंद को झारखंड सरकार का पूरा समर्थन मिला है। सरकार की तमाम सहयोगी पार्टी झामुमो, कांग्रेस और राजद के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे हैं। इतना ही नहीं सरकार को बाहर से समर्थन देने वाली भाकपा माले के साथ ही अन्य लेफ्ट पार्टियां भी बंद को सफल बनाने में सहयोग कर रही हैं। इस बीच झारखंड सरकार के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी सड़क पर उतरे। मंत्री ने दुकानदारों से बंद को समर्थन देते हुए अपनी दुकानें बंद रखने का आग्रह किया। सुबह सवेरे ही मंत्री ने क्षेत्र की दुकानों में जाकर उन्हे भारत बंद में शामिल होने की अपील की।
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चैंबर ने बंद का किया विरोध
झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बंद से खुद को अलग रखा है। लिहाज़ा, चैंबर से जुड़े दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठान खुले रखे हैं। चैंबर के महासचिव धीरत तनेजा ने कहा है कि, इस बंद का कोई औचित्य नहीं हैं। कोरोना महामारी से लोग परेशान हैं। कोविड 19 से लोग अब उबरना शुरू किए हैं। बंद से व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होने कहा कि, किसानों की परेशानी से चैंबर वाकिफ है लेकिन इसके लिए बाकी लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
भाजपा ने बताया दोहरा चरित्र
झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा है कि, किसानों के साथ खड़े होने वाले राजनीतिक दल जनता में अपना विश्वास खो चुके हैं। किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर अपना राजनीतिक हित साधने की कोशिश हो रही है। जमशेदपुर में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होने कहा कि, देश में कहीं कोई आंदोलन होता है तो ये राजनीतिक दल अपना अस्तित्व बचाने के लिए कूद पड़ते हैं और देश में अराजकता का वातावरण बनाते हैं। राजनीतिक लाभ के लिए ये दल अपनी विचारधारा और सिद्धांतों को छोड़कर तात्कालिक राजनीतिक फायदे के लिए मैदान में कूद पड़ते हैं। दीपक प्रकाश ने कहा कि, किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं ने शुरू में इसमें पॉलिटिकल पार्टियों की इंट्री नहीं देने की बात कही थी। हालांकि, आज उसके उलट हो रहा है।
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किसानों की क़र्ज़माफ़ी
सरकार ने किसानों की ऋण माफी की घोषणा की है। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस बाबत वादा किया था। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का कहना है कि, सरकार किसानों को राहत देने की दिशा में क़दम आगे बढ़ा चुकी है। विभागीय स्तर पर लगातार बैठकों का दौर जारी है। जल्द ही इसे धरातल पर उतारा जाएगा।
हालांकि, बैंकों से पर्याप्त सहयोग नहीं मिलने की वजह से इसमें देरी हो रही है। इस बीच झारखंड में किसानों से धान ख़रीद की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने इस साल 182 रुपए बोनस देने का निर्णय लिया है। राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा है कि, वर्ष 2020-2021 के लिए धान ख़रीद 1868 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा है कि, धान ख़रीद के लिए आवश्यक राशि ज़िलों को भेज दिए गए हैं। किसानों को धान बिक्री के तीन दिनों के अंदर 50 प्रतिशत राशि का भुगतान कर दिया जाएगा।
रिपोर्ट- शाहनवाज़
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