गाजियाबाद: हिरासत में लिए गए भीम आर्मी चीफ 'चंद्रशेखर आजाद'

गाजियाबाद पुलिस ने शुक्रवार को भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने चंद्रशेखर को हिंडन बैराज के पास उस वक्त हिरासत में लिया जब वह मुस्लिम समाज के लोगों से बातचीत करने गाजियाबाद जा रहे थे।

Update:2019-06-21 16:21 IST

नई दिल्ली: गाजियाबाद पुलिस ने शुक्रवार को भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने चंद्रशेखर को हिंडन बैराज के पास उस वक्त हिरासत में लिया जब वह मुस्लिम समाज के लोगों से बातचीत करने गाजियाबाद जा रहे थे।

जानें पूरा मामला:

दरअसल, चंद्रशेखर ने बीते दिनों ज्ञान खंड स्थित मस्जिद में पहुंचकर मुस्लिम समाज के लोगों से बात करने का ऐलान किया था। इसके बाद खुफिया विभाग के अफसर और पुलिस प्रशासन सक्रिय हो गया था। आज जैसे ही भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर गाजियाबाद की सीमा में प्रवेश करने की कोशिश की, पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर वापस भेज दिया। इससे पहले मस्जिद के बाहर अतिक्रमण हटाने को लेकर मुस्लिम समाज के लोगों के बीच झड़प हुई थी। मौके पर बड़ी संख्या पर पुलिस बल तैनात किया गया है।

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भीम आर्मी है क्या?

भीम आर्मी एक बहुजन संगठन है, जिसे भारत एकता मिशन भी कहा जाता है। यह दलित चिंतक सतीश कुमार के दिमाग की उपज है। इसे वर्ष 2014 में चंद्रशेखर और विनय रतन आर्य ने हाशिए वाले वर्गों के विकास के लिए स्थापित किया। भीम आर्मी का कहना है कि वह शिक्षा के माध्यम से दलितों के लिए काम कर रहा है।

इसका मूल संस्थापक कौन?

भीम आर्मी के मूल संस्थापक छुटमलपुर निवासी एक दलित चिंतक सतीश कुमार हैं। इस आर्मी को उनके दिमाग की उपज बताया जाता है। सतीश कुमार पिछले कई वर्षों से ऐसे संगठन बनाने की जुगत में थे, जो दलितों का उत्पीड़न करनेवालों को जवाब दे सके। लेकिन, उन्हें कोई योग्य दलित युवा नहीं मिला, जो कमान संभाल सके। ऐसे में सतीश कुमार को जब चंद्रशेखर मिले तो उन्होंने चंद्रशेखर को 'भीम आर्मी' का अध्यक्ष बना दिया।

भीम आर्मी ने रफ्तार कैसे पकड़ी?

सितंबर साल 2016 में सहारपुर के छुटमलपुर में स्थित एएचपी इंटर कॉलेज में दलित छात्रों की कथित पिटाई के बाद हुए विरोध प्रदर्शन के बाद पहली बार यह संगठन सुर्खियों में आया था।

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इसके बाद भीम आर्मी ने क्या किया?

5 मई 2017 को सहारनपुर से 25 किलोमीटर दूर शब्बीरपुर गांव में राजपूतों और दलितों के बीच हिंसा हुई थी. इस हिंसा में कथित तौर पर दलितों के 25 घर जला दिए गए थे और एक शख्स की मौत हो गई थी. इस हिंसा के विरोध में जब प्रदर्शन किया गया तो पुलिस ने 37 लोगों को जेल में डाल दिया और 300 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. इस पूरे मामले के बाद चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में भीम आर्मी ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था.

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