पटना: कहते है राजनीति में न कोई स्थाई दोस्त होता है, न दुश्मन। यहां सब कुछ सिर्फ सत्ता का केंद्र ही होता है, चाहे वह दोस्ती हो या फिर दुश्मनी। ये हम इसलिए कह रहे है क्यों कि बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार राजनीति कि इस परिभाषा में बिल्कुल सटीक बैठते है। करीब एक साल पहले आरएसएस को कोसने वाले नितीश, संघ मुक्त भारत का नारा बुलंद करते थे। लेकिन अब उनकी भाषा बदल चुकी है।
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बिहार के राजनीतिक समीकरण इस कदर बदले कि जिस संघ से भारत को मुक्त कराने की बात नितीश करते थे उसी संघ के सुप्रीमों मोहन भागवत के साथ वो मंच साझा करने वाले है। राज्य के भोजपुर में भारतीय प्रसिद्ध धर्मशास्त्री रामानुजाचार्य के 1000वें जन्मदिन के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत और बिहार सीएम एक साथ नजर आएंगे।
जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने बताया कि, “ये एक धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम है और इसे राजनीति से ऊपर उठकर देखना चाहिए। उस कार्यक्रम में बहुत से नेता आएंगे। आखिर क्यों मोहन भागवत के बारे में बात की जा रही है।”
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