पटना: जन अधिकार पार्टी के संरक्षक और सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने यहां सोमवार को कहा कि बिहार में बाढ़ प्राकृतिक नहीं, 'राजनीतिक आपदा' है। बाढ़ अरबों-खरबों रुपये लूटने का जरिया बन गई है। उन्होंने कहा कि बाढ़ में राहत, बचाव और पुनर्वास के नाम पर नेता, अधिकारी और ठेकेदार को लूटने का मौका मिल जाता है। पटना में सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ की विभीषिका का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों के साथ बैठक भी की। लेकिन बाढ़ से उत्पन्न स्थिति में राहत और पुनर्वास के लिए सिर्फ 500 करोड़ रुपये दिए।
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उन्होंने इस राशि को त्रासदी की अपेक्षा नगण्य बताते हुए कहा, "बिहार के 19 जिलों की दो करोड़ आबादी बाढ़ की चपेट में है। यह तबाही भयावह है। इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए था, लेकिन प्रधानमंत्री ने नहीं किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।"
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बाढ़ त्रासदी में लगातार पीड़ितों के बीच रहने वाले पप्पू यादव ने कहा कि फरक्का बैराज का नवनिर्माण और कोसी में हाईडैम के निर्माण के बिना बिहार को बाढ़ से मुक्ति नहीं मिलेगी। प्रधानमंत्री ने इन मुद्दों पर कोई बात नहीं की।
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उन्होंने कहा जन अधिकार पार्टी अपने स्थापना दिवस पर 31 अगस्त को संघर्ष दिवस के रूप में मनाएगी तथा इसी दिन से फरक्का बैराज के नवनिर्माण और कोसी में हाईडैम के निर्माण के लिए आंदोलन शुरू करेगी।
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सांसद ने दावा करते हुए कहा कि बाढ़ के कारण 30 बांध टूट गए, जिससे लाखों लोग बेघर हो गए। सांसद ने राजद की रैली पर तंज कसते हुए कहा कि यह रैली 'नीतीश भगाओ-परिवार बचाओ' रैली बन गई। इसका मकसद लालू परिवार की राजनीतिक सत्ता को कायम रखना था।
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--आईएएनएस