कोरोना का खौफ, बिहार में लागू हुआ ये सख्त कानून, ऐसा नहीं करने पर होगी सजा

कोरोना वायरस से इन दिनों पूरी दुनिया में खौफ का माहौल है। इस खतरनाक वायरस से अभी तक 7 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। भारत में भी इस वायरस से 150 लोग संक्रमित हो चुकी हैं। इसी क्रम में बिहार सरकार ने कोरोना वायरस को लेकर कई एहतियाती कदम उठाए हैं। इसके साथ ही सरकार ने राज्य के कई मंदिरों को 31 मार्च तक बंद कर दिया है।

Update:2020-03-18 17:04 IST

नई दिल्ली: कोरोना वायरस से इन दिनों पूरी दुनिया में खौफ का माहौल है। इस खतरनाक वायरस से अभी तक 7 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। भारत में भी इस वायरस से 150 लोग संक्रमित हो चुकी हैं। इसी क्रम में बिहार सरकार ने कोरोना वायरस को लेकर कई एहतियाती कदम उठाए हैं। इसके साथ ही सरकार ने राज्य के कई मंदिरों को 31 मार्च तक बंद कर दिया है।

नीतीश सरकार ने कोरोना वायरस को प्रदेश में महामारी घोषित कर दिया है। सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने, जांच और इलाज में सहयोग नहीं करने वालों पर सामाजिक हित में कानूनी कार्रवाई करने तथा इसके लिए प्रशासन को व्यापक अधिकार देने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग की अनुशंसा पर राज्य में 'एपिडेमिक डिजीज, कोविड-19, नियमावली 2020' को तत्काल प्रभाव से लागू किया है।

स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर अधिसूचना जारी की है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले दिनों के रिकॉर्ड से यह जानकारी सामने आई कि संबंधित व्यक्ति ने 29 फरवरी, 2020 के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित देश की यात्रा की है या वैसे देश से यहां आए हैं और उनमें संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हें तय मानकों के अनुरूप अस्पताल में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा। इससे संबंधित सभी सूचनाएं जिले के सिविल सर्जन को दी जाएंगी।

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स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस नियमावली के तहत जिलाधिकारी को अधिकार दिया गया है कि वे किसी भी गांव, प्रखंड, नगर, वार्ड, कॉलोनी या किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में किसी व्यक्ति के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की जानकारी मिले तो वह तत्काल कार्रवाई कर सकते हैं। वे उन क्षेत्रों में स्थित स्कूल, कार्यालय को बंद कर सकते हैं और भीड़ के एकत्र होने पर रोक लगा सकते हैं।

इसके मुताबिक जिलाधिकारी संबंधित क्षेत्र में वाहनों के परिचालन पर भी रोक लगा सकते हैं। सभी संदिग्ध मरीजों को अस्पताल में आइसोलेशन के लिए भर्ती किया जा सकता है। उन इलाकों में किसी भी सरकारी विभाग के कर्मी को ड्यूटी में राहत दी जा सकती है।

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बिहार में कोरोना वायरस को लेकर गलत नीयत से इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति, संस्थान या संगठन पर कार्रवाई हो सकती है। इसलिए, नियमावली में लोगों को सलाह दी गई है कि वे ऐसे किसी कार्य में शामिल न हों अन्यथा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि बिहार में अब तक 69 कोरोना संदिग्धों की जांच कराई गई है, लेकिन अब तक एक भी पॉजिटिव केस नहीं मिला है।

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प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, 25 जनवरी से अब तक कोरोना से पीड़ित देशों से लौटे कुल 311 यात्रियों को सर्विलांस (निगरानी) पर रखा गया, जिसमें से 105 लोगों की 14 दिनों की निगरानी पूरी कर ली है। इसके अलावा, गया और पटना हवाईअड्डे पर अब तक 19,529 यात्रियों की स्क्रीनिंग की गई है।

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