Bihar News: मणिपुर में भाजपा सरकार ने खत्म किया शराबबंदी कानून, बिहार में भी जोर पकड़ने लगी मांग, अब नीतीश सरकार के फैसले पर निगाहें
Bihar News: बिहार में नीतीश सरकार ने शराबबंदी करने का बड़ा कदम उठाया था। महिलाओं की मांग पर प्रदेश सरकार ने यह कदम उठाया था।
Bihar News: शराबबंदी को लेकर देश में खूब सियासत होती रही है। दरअसल यह भावनात्मक मुद्दा होने के साथ ही सरकारों के लिए आय का जरिया बढ़ाने का महत्वपूर्ण साधन भी है। कमाई बढ़ाने के लिए मणिपुर में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने शराबबंदी का कानून खत्म करने का बड़ा कदम उठाया है। राज्य में यह कानून 30 साल पहले बनाया गया था। इसलिए इसे बड़ा कदम माना जा रहा है।
मणिपुर सरकार की ओर से यह बड़ा कदम उठाए जाने के बाद बिहार में भी शराबबंदी कानून को खत्म करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। बिहार में नीतीश सरकार ने शराबबंदी करने का बड़ा कदम उठाया था। महिलाओं की मांग पर प्रदेश सरकार ने यह कदम उठाया था। इस कानून को खत्म करने की समय-समय पर मांग होती रही है मगर नीतीश सरकार ने अभी तक इस दिशा में कदम नहीं उठाया है।
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तीन दशक बाद बड़ा फैसला
मणिपुर सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह कानून पिछले 30 वर्षों से लागू था। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अगुवाही वाली कैबिनेट ने मणिपुर का राजस्व बढ़ाने और जहरीली शराब की आपूर्ति रोकने के लिए शराब नीति में सुधार किया है। इसके साथ ही शराबबंदी कानून को समाप्त कर दिया गया है।
इससे पूर्व सितंबर 2022 में शराबबंदी पर लगी रोक को आंशिक रूप से खत्म करने का बड़ा कदम उठाया गया था। इसके बाद जिला मुख्यालयों और होटलों में शराब की खपत के साथ ही स्थानीय स्तर पर देशी शराब के निर्यात की अनुमति दे दी गई थी।
बिहार में भी तेज हुई मांग
मणिपुर सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद अब बिहार में भी शराबबंदी कानून को खत्म करने की मांग तेज होने लगी है। कनफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनी ने ने मांग की है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी के आदेश को वापस लिया जाना चाहिए। संगठन के महासचिव विनोद गिरि ने एक बयान में कहा कि मणिपुर सरकार की ओर से लगभग तीन दशक बाद एक सकारात्मक कदम उठाया गया है।
इससे राज्य के राजस्व में 600-700 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही अवैध शराब की बिक्री और नशीली दवाओं का प्रसार रोकने में भी मदद मिलेगी। बिहार सरकार को भी इस दिशा में कदम उठाना चाहिए। दूसरी ओर बिहार के निषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री सुनील कुमार का कहना है कि दोनों सदनों की ओर से प्रस्ताव पारित होने के बाद राज्य सरकार की ओर से यह बड़ा नीतिगत फैसला लिया गया था और इसे वापस नहीं लिया जा सकता।
शराबबंदी में सरकार को फेल बताया
बिहार में नीतीश सरकार की ओर से 2016 में बड़ा कदम उठाते हुए पूर्ण शराबबंदी को लागू किया गया था। वैसे राज्य सरकार की ओर से यह कदम उठाए जाने के बावजूद बीच-बीच में जहरीली शराब से मौतों की अनेक घटनाएं होती रही हैं। इसे लेकर विपक्षी दलों की ओर से नीतीश सरकार को निशाना भी बनाया जाता रहा है। हाल में पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी ने कहा था कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फेल साबित हुई है।
मांझी का कहना था कि यदि बिहार में उनकी सरकार बनी तो या तो गुजरात की तर्ज पर शराबबंदी कानून को लागू किया जाएगा या इसे पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। कई अन्य नेताओं की ओर से भी नीतीश सरकार को इस मोर्चे पर पूरी तरह विफल बताया गया है। हालांकि नीतीश सरकार शराबबंदी के आदेश को वापस लेने को तैयार नहीं दिख रही है। अब यह देखने वाली बात होगी कि शराबबंदी को खत्म करने की मांग तेज होने के बाद राज्य सरकार की ओर से क्या कदम उठाया जाता है।