Haryana News: हरियाणा में BJP-JJP के बीच बढ़ी तकरार,निर्दलीयों को साधने में जुटी भाजपा,राज्य का सियासी माहौल गरमाया

Haryana News: डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता दुष्यंत चौटाला की विधानसभा सीट उचाना कलां को लेकर पैदा हुआ विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनो दलों के बीच तल्खी के बाद भाजपा ने खट्टर सरकार को पैदा होने वाले खतरे को दूर करने की कवायद भी शुरू कर दी है।

Update: 2023-06-09 07:17 GMT
BJP-JJP Fight, Haryana(Photo: Social Media)

Haryana News: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दल जननायक जनता पार्टी (JJP) के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। राज्य के डिप्टी सीएम और बीजेपी के नेता दुष्यंत चौटाला की विधानसभा सीट उचाना कलां को लेकर पैदा हुआ विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों दलों के बीच बढ़ती खींचतान के कारण राज्य का सियासी माहौल गरमा गया है। दोनों दलों के बीच तल्खी के बाद भाजपा ने खट्टर सरकार को पैदा होने वाले खतरे को दूर करने की कवायद भी शुरू कर दी है।

इसी सिलसिले में राज्य के भाजपा प्रभारी बिप्लव कुमार देब ने गुरुवार को राज्य के चार निर्दलीय विधायकों से मुलाकात की। मुलाकात के बाद देब की ओर से दावा किया गया है कि निर्दलीय विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास जताया है। बिप्लब देब और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला के बीच हाल के दिनों में हुई बयानबाजी के बाद दोनों दलों के गठबंधन को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।

निर्दलीय विधायकों को साधने की कवायद

यदि भाजपा और जेजेपी नेताओं की हाल की बयानबाजी पर गौर किया जाए तो साफ है कि हरियाणा में दोनों दलों के बीच सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। जेजेपी की ओर से तल्ख तेवर दिखाए जाने के बाद खट्टर सरकार के भविष्य को लेकर भी खतरे की बात सामने आई है। भाजपा की ओर से खट्टर सरकार पर किसी भी खतरे को टालने का प्रयास भी शुरू कर दिया गया है। राज्य भाजपा प्रभारी बिप्लब देब ने गुरुवार को राज्य के चार निर्दलीय विधायकों से राज्य की सियासत पर गंभीर चर्चा की है।

उन्होंने जिन निर्दलीय विधायकों से मुलाकात की है उनमें रणधीर सिंह, सोमवीर सांगवान, धर्मपाल गोंदर और राकेश दौलताबाद शामिल है। इस मुलाकात के बाद जारी किए गए बयान में देब की ओर से दावा किया गया है कि निर्दलीय विधायकों ने पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा की नीतियों में भरोसा जताया है। देब के इस बयान से साफ हो गया है कि निर्दलीय विधायकों का समर्थन खट्टर सरकार को हासिल होगा। देब ने कहा कि डबल इंजन की सरकार राज्य में विकास के कामों को पूरा करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है।

इस कारण पैदा हुआ दोनों दलों में विवाद

दरअसल दोनों दलों के बीच विवाद की शुरुआत त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और हरियाणा में भाजपा के प्रभारी बिप्लब देब के एक बयान के बाद शुरू हुई है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य के डिप्टी सीएम और जेजेपी के नेता दुष्यंत चौटाला ने उचाना कलां विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। उन्होंने इस चुनाव के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को हराया था।

उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र में 4 जून को एक सभा को संबोधित करते हुए बिप्लब देव ने कहा था कि बीरेंद्र सिंह की ओर से बहाए गए आंसुओं का बदला लेने की जरूरत है। अगले चुनाव में सीट का प्रतिनिधित्व प्रेमलता को करना चाहिए। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने राज्य के निर्दलीय विधायकों के संपर्क में होने का दावा भी किया था। अपने इस बयान के जरिए वे इस बात का संदेश देने की कोशिश करते दिखे कि जेजेपी के बिना भी खट्टर सरकार को कोई खतरा नहीं पैदा होने वाला है।

दुष्यंत चौटाला की तीखी प्रतिक्रिया

भाजपा नेता की ओर से दिए गए इस बयान के बाद दुष्यंत चौटाला की तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई। दुष्यंत चौटाला ने अपने चुनाव क्षेत्र में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उचाना कलां में मेरी जीत के कारण तीन लोगों बीरेंद्र सिंह, प्रेमलता और बिप्लब देब के पेट में दर्द हो रहा है। उनका कहना था कि इन लोगों का इलाज मेरे पास नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने अगला विधानसभा चुनाव भी उचाना कलां से ही लड़ने का ऐलान कर दिया। चौटाला ने कहा कि इस चुनाव क्षेत्र के लोगों ने मुझे अपार प्यार दिया है और इस प्यार की बदौलत ही मैंने पिछले विधानसभा चुनाव में 48,000 वोटों से जीत हासिल की थी। मैं आगे भी अपने चुनाव क्षेत्र के लोगों की सेवा करता रहूंगा।

बिप्लब देब ने दिया चौटाला को जवाब

बाद में बिप्लब देब की ओर से इस बयान का जवाब भी दिया गया। उनका कहना था कि जेजेपी ने भाजपा सरकार को समर्थन देकर कोई एहसान नहीं किया है। उनके कई विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिला है। इस ताजा बयानबाजी के बाद दोनों दलों के बीच खींचतान लगातार बढ़ती जा रही है। हरियाणा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और दोनों दलों के बीच शुरू हुई इस बयानबाजी को गठबंधन के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है।

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