बीजेपी के ‘75 साल पर रिटायरमेंट’ फॉर्मूले का किन नेताओं पर हुआ असर, जानिए लिस्ट

BJP Retirement Policy: बीजेपी में 75 प्लस रिटायरमेंट का मुद्दा एक बार तूल पकड़ रहा है। जानिए इसका किन नेताओं पर अब तक असर हुआ है।

Report :  Sonali kesarwani
Update:2024-09-27 08:40 IST

बीजेपी की रिटायरमेंट पॉलिसी क्या है

BJP Retirement Policy: भारतीय जनता पार्टी में 75 प्लस पर रिटायरमेंट का फार्मूला एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल अभी हाल ही में अरविन्द केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को एक चिट्ठी लिखा था। जिसमें उन्हों सवाल पूछते हुए कहा कि क्या नरेंद्र मोदी भी 75 प्लस पर फॉर्मूले के तहत रिटायर होंगे। आपको बता दें कि पीएम मोदी वर्तमान में 74 साल के है। और अगर बीजेपी के इस फॉर्मूले के तहत देखा जाये तो अगले साल उन्हें रिटायमेंट ले लेनी चाहिए।

बीजेपी में 75 प्लस फॉर्मूले की चर्चा पहली बार 2018 में हुई ही। और इसका मकसद नए नेताओं को मौका देने और पुराने नेताओं को स्वास्थ्य लाभ देने के मद्देनजर बनाया गया था। लेकिन इस फॉर्मूले पर बीजेपी ने कही आधिकारिक तौर पर नहीं कहा था कि हम इसके पार्टी के अंदर लागू करेंगे। अब तक 75 प्लस फॉर्मूले की वजह से कई नेताओं पर इसका असर देखा गया है। जानिए कौन- कौन से है वो नेता।

लालकृष्ण अडवाणी पर दिखा असर

लालकृष्ण अडवाणी 2019 में 91 साल की उम्र में राजनीति से बाहर हो गए थे। आडवाणी तब गुजरात के गांधीनगर सीट से सांसद थे। बाद में उनके रिटायरमेंट के बाद उनकी सीट बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष अमित शाह को सौंप दी गई। आडवाणी इसके बाद दिल्ली में अपने घर पर स्वास्थ्य लाभ लेने लगे।

मुरली मनोहर जोशी और करिया मुंडा

75 प्लस फॉर्मूले का असर मुरली मनोहर जोशी पर भी हुआ था। 2019 में 85 साल की उम्र में जोशी सक्रिय राजनीति से विदा हो गए। जोशी उस वक्त उत्तर प्रदेश की कानपुर लोकसभा सीट से सांसद थे। बाद में जोशी की जगह पार्टी ने 2019 के चुनाव में सत्यदेव पचौरी को उम्मीदवार बनाया गया था। इसी के साथ करिया मुंडा पर भी इसका असर हुआ था। 2019 में उनके खूंटी सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन करिया मुंडा इस फॉर्मूले की वजह से रेस से बाहर हो गए थे। करिया मुंडा की जगह 2019 में झारखंड की खूंटी सीट से बीजेपी ने अर्जुन मुंडा को उम्मीदवार बनाया गया था।


सुमित्रा महाजन और बाबूलाल गौर पर भी दिखा था असर

पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन जिन्हे लोग ताई के नाम से भी बुलाते थे वो भी इस 75 प्लस फॉर्मूले की शिकार हुई थी। 2019 में इंदौर लोकसभा सीट से उनके चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन 76 साल होने की वजह से महाजन पिछड़ गईं। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल गौर इस फॉर्मूले के तहत ही राजनीति से अलग हो गए थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने गोविंदपुरा से गौर का टिकट काट दिया। वहीं उनकी जगह उनकी बहू कृष्णा गौर को टिकट दिया गया।


और किन नेताओं पर दिखा था असर

बीजेपी के 75 प्लस फॉर्मूले का असर कुसुम महदेले, कुसुम महदेले, हुकुमदेव नारायण और शांता कुमार पर भी देखने को मिला था। ये सभी नेता अपने समय मे एक फायरब्रांड नेता थे। लेकिन बाद में पार्टी में 75 प्लस फॉर्मूले की वजह से उन्हें राजनीति से हटना पड़ा था।

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